CG Election: 2018 के चुनाव में बदलाव के रथ पर सवार थे छत्‍तीसगढ़ के वोटर, इस वजह से भाजपा को मिली शिकस्‍त"/>

CG Election: 2018 के चुनाव में बदलाव के रथ पर सवार थे छत्‍तीसगढ़ के वोटर, इस वजह से भाजपा को मिली शिकस्‍त

रायपुर Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव ने कई इतिहास रचे। कांग्रेस की आंधी ने भाजपा की जड़ें उखाड़ दी और 15 साल के वनवास के बाद कांग्रेस को सत्ता की चाबी मिली। छत्तीसगढ़ में मतदाता बदलाव के रथ पर सवार थे। भाजपा को इसका तनिक भी आभास नहीं था। भाजपा का लक्ष्य 65 से अधिक सीटों पर परचम लहराना था, लेकिन हालात ऐसे बने कि भाजपा 15 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। कांग्रेस के वक्त है बदलाव का…, खाबो लाठी-जाबो जेल… जैसे नारों और घोषणा-पत्र ने पासा पलट दिया। 2500 रुपये प्रति क्विंटल में धान खरीदी, बिजली बिल हाफ योजना, किसानों के लिए ऋण माफी जैसे वादों ने कांग्रेस की नैया पार लगाने में बड़ी भूमिका निभाई।

कांग्रेस के लिए यह चुनाव छत्तीसगढ़ में उनकी प्रतिष्ठा और अस्तित्व की लड़ाई थी। इस चुनाव में राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में संकटमोचन की भूमिका में नजर आएं। उनका वादा था कि कांग्रेस की सरकार बनी तो 10 दिन के भीतर किसानों को कर्ज से मुक्त कर दिया जाएगा। भाजपा 15 वर्ष में हुए विकास कार्यों को चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बना चुकी थी, लेकिन कांग्रेस के 2500 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी के वादे का सामना करने भाजपा के पास कोई विकल्प नहीं था।

मिशन 2023 में जुटी भाजपा, छत्‍तीसगढ़ की हारी सीटों पर पहले घोषित करेगी उम्मीदवार

दरसअल, भाजपा ने धान का 300 रुपये बोनस देने का वादा किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने बोनस पर रोक लगा दी। जिसके कारण रमन सरकार में आखिरी के दो साल किसानों को बोनस नहीं मिला। इस मुद्दे को कांग्रेस ने हाथों-हाथ लपका और सदन से लेकर सड़क तक संघर्ष किया। कांग्रेस के संघर्ष से प्रभावित होकर सबसे बड़े वोट बैंक किसानों ने अपना समर्थन दे दिया।

भाजपा सरकार के आठ मंत्री नहीं बचा पाए सीट

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में से छत्तीसगढ़ में भाजपा को सबसे करारी हार मिली थी। चुुनाव में रमन सरकार के आठ कद्दावर मंत्रियों को मुंह की खानी पड़ी, वहीं भाजपा का वोट शेयर भी 10 प्रतिशत घट गया। राजेश मूणत (रायपुर पश्चिम), प्रेमप्रकाश पांडेय (भिलाई नगर), भैयालाल राजवाड़े (बैकुंठपुर), रामसेवक पैकरा (प्रतापपुर), अमर अग्रवाल (बिलासपुर), महेश गागड़ा (बीजापुर), दयालदास बघेल (नवागढ़) और केदार कश्यप (नारायणपुर) अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सके। वहीं, महिला बाल विकास मंत्री रमशीला साहू को पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया।

कांग्रेस ने गांवों पर फोकस किया, भाजपा ने चेहरे नहीं बदले

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले ही प्रदेशभर मेंं भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलनों का बिगुल फूंक दिया था। गांव, गरीब, किसानों और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस ने सड़क की लड़ाई लड़ी। वहीं भाजपा ने टिकट बंटवारे में 15 साल पुराने चेहरों को फिर तरजीह दी। भाजपा नेतृत्व को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि जिन पुराने चेहरों पर दांव लगा रही है, वह चुनावी मैदान में ताश के पत्ते की तरह धाराशाही हो जाएंगे। जबकि कांग्रेस के जिन नए चेहरों को मौका दिया, उसमें से करीब एक दर्जन 30 हजार से ज्यादा वोट से जीते।

सीडी कांड में भूपेश की गिरफ्तारी के बाद बदले समीकरण

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए कथित सीडी कांड मामले में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल की गिरफ्तारी ने कांग्रेस को एकजुट कर दिया। सितंबर 2018 में बघेल को चार दिन जेल की सलाखों में काटनी पड़ी, वहीं पूरे प्रदेश में उनके समर्थन में रैलियां निकाली गई। सैंकड़ों गिरफ्तारियां हुईं। सीडी कांड के मामले में बाद में सुप्रीम कोर्ट से बघेल को राहत मिली और इसका फायदा कांग्रेस को मिला। सीडी कांड का मामला 27 अक्टूबर 2017 को वायरल हुआ था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button