World Physiotherapy Day : फिजिकल थेरेपी से मिलेगी राहत, गलत तरीके से प्रबंधन से हो सकता है करियर पर संकट

मानसिक तनाव, घुटनों, पीठ या कमर में दर्द जैसे कई रोगों से बचने के लिए बिना दवा खाए या चीरा लगवाए फिजियोथेरेपी एक असरदार तरीका है। वर्तमान में अधिकांश लोग दवाओं के झंझट से बचने के लिए फिजियोथेरेपी की ओर रुख कर रहे हैं। अस्थमा और फ्रैक्चर पीड़ितों के अतिरिक्त गर्भवतियों को भी फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती है। देश के हर बड़े अस्पताल में फिजियोथेरेपी की जाती है।

HighLights

  1. एक खिलाड़ी के लिए खेलकूद में चोट लगना आम बात
  2. इसके लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सहायता लेने की जरूरत
  3. चोटिल खिलाड़ियों की एक उपचार प्रक्रिया तैयार की जाती

बिलासपुर। खेल में इंजरी होना बेहद आम बात है, या दूसरे शब्दों में कहें तो इंजरी एक स्पोर्ट्समैन का गहना होती है। गलत तकनीक, अत्यधिक कार्यभार, शरीर में पोषक तत्वों की कमी और निर्जलीकरण आदि जैसे कारणों से खिलाड़ियों को इंजरी हो सकती है। इन चोटों से उबरने में खिलाडी फिजियोथेरेपी की सहायता लेते है। ऐसे में फिजियोथेरेपिस्ट पर खिलाड़ियों को फिट रखने की बड़ी जिम्मेदारी होती है। फिजियोथेरेपिस्ट ऋचा शर्मा बताती हैं कि खेल के दौरान लगने वाली चोटों के अलग-अलग स्टेज होते हैं। खिलाड़ियों की तकलीफ के लक्षणों के आधार पर उनकी जांच की जाती है जिसके बाद उनके लिए एक उपचार प्रक्रिया तैयार की जाती है।

राइस प्रक्रिया से उपचार
 
सिम्स के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रविकांत दास बताते हैं कि बीते सालों में स्पोर्ट्स इंजरी से जुड़े खिलाड़ी ओपीडी में देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स इंजरी से जूझ रहे खिलाड़ियों के उपचार की एक पूरी फिजियोथेरेपी प्रक्रिया है जिसमें हम “आर.आई.सी.ई” राइस (रेस्ट, आइस, कम्प्रेशन, एलिवेशन) कहते हैं। स्पोर्ट्स इंजरी के खिलाड़ियों को सबसे पहले रेस्ट की सलाह दी जाती है। इसके बाद आइस से सिकाई, फिर आता है कम्प्रेशन जिसमें क्रैम्प बैंडेज या नी ब्रेसेस का इस्तेमाल कर चोट की जगह को दबाकर रखना और आखिर में एलिवेशन मतलब चोट की जगह को सपोर्ट के माध्यम से उठाकर रखना शामिल है।
 
बिना एक्सपर्ट की सलाह के न लें दवाई
 
फिजियोथेरेपिस्ट आशुतोष शर्मा बताते हैं कि खेल-कूद के दौरान लगने वाली चोट को खिलाड़ी अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन ऐसा करना आपके स्पोर्टिंग करियर को बर्बाद भी कर सकता है। बिना फिजिशियन से मिले किसी भी तरह की दवाओं का सेवन करना खिलाड़ियों को आराम देने के बजाय नुकसान पहुंचा सकता है। खिलाड़ियों को प्रॉपर ट्रीटमेंट की प्रक्रिया से गुजरना चाहिए, इससे खिलाड़ी लंबे समय तक अपना स्पोर्टिंग करियर जारी रख सकते हैं।
समय रहते ध्यान देकर इंजरी से बच सकते हैं
 
फिजियोथेरेपिस्ट ऋचा शर्मा कहती हैं कि एक्यूट इंजरी किसी घटना या एक्सीडेंट के कारण हो सकती है। जिसके लक्षण आपको साफ पहले ही नजर आ सकते हैं, जैसे स्लिप होना, गिर जाना, किसी चीज से टकराना आदि। यह सब एक्यूट इंजरी का कारण बन सकते हैं। वहीं, एक्यूट इंजरी के प्रॉपर मैनेजमेंट नहीं किए जाने की स्थिति में यह क्रॉनिक इंजरी में बदल सकती है। जिन्हें ठीक होने में काफी लंबा समय लगता है। समय रहते समस्या को आइडेंटीफाय कर क्रॉनिक इंजरी से बच सकते हैं।

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