IIT Indore: आइआइटी इंदौर ने तैयार किया रिमोट सेंसिंग स्क्रीनिंग, वायु प्रदूषण कम करने को वाहनों की निगरानी करेगी डिवाइस

IIT Indore: मानक से अधिक प्रदूषण कर रहे वाहनों की रिपोर्ट आरटीओ व प्रदूषण नियंत्रण विभाग को तुरंत मिलेगी

IIT Indore:  वायु प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की निगरानी और उन्हें पकड़ने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर की हाल में तैयार डिवाइस बेहद कारगर हो सकती है। यह डिवाइस गाड़ियों के प्रदूषण का पता लगाकर नंबर प्लेट रीडिंग कर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को तत्काल रिपोर्ट भेजने में सक्षम है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की टीम द्वारा तैयार इस स्पेक्ट्रोग्राफी विजुअल डिवाइस को चौराहों पर लगाया जाएगा और यह अपना काम कर देगी। नवंबर में डिवाइस का ट्रायल किया जाएगा।

 

शोधकर्ता टीम का दावा है कि यह देश की पहली डिवाइस होगी, जो इस तकनीक के माध्यम से रियल टाइम प्रदूषण स्तर का पता लगा सकेगी। इस डिवाइस को प्रो. देवेंद्र देशमुख, प्रो. श्रीवत्सन वासुदेवन और विद्यार्थी अभिषेक नायर, अक्षित रायजादा, राजकुमार थामस, तेजल व अभिनव किशोर ने तैयार किया है।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तैयार की डिवाइस
प्रो. देवेंद्र देशमुख का कहना है कि परिवहन अधिकारियों को सड़क पर प्रत्येक वाहन की जांच करना संभव नहीं है, लेकिन हमारी रिमोट सेंसिंग प्रदूषण स्क्रीनिंग तकनीक को वाहनों के प्रदूषण स्तर का पता लगाने के लिए सड़क पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस स्क्रीनिंग तकनीक से प्रदूषण का स्तर देश के मानदंडों के अनुसार है या नहीं यह पता लगाया जा सकेगा। इसके बाद अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को खोज कर, वाहन नंबरों को ट्रैक किया जाएगा।
डिवाइस को हर स्थान पर इस्तेमाल कर सकेंगे
स्पेक्ट्रोग्राफी डिवाइस मिनी डिवाइस होगा, जिसे कहीं भी और कभी भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस डिवाइस से पता लगाया जा सकेगा कि किस क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ाने वाले वाहनों की कितनी संख्या है। इस डिवाइस को ट्रैफिक सिग्नल के साथ मोबाइल व्हीकल के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसे कहीं भी सेटअप किया जा सकता है।
फिलहाल यह डिवाइस 40 किमी की स्पीड तक चलने वाली गाड़ियों की रिपोर्ट तैयार कर सकेगी। इसकी स्पीड को बढ़ाया जा सकता है। डिवाइस को बनाने में पूरी टीम को दो वर्ष का समय लगा। यह देश की पहली ऐसी डिवाइस होगी, जो गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण की रिपोर्ट तत्काल विभाग को भेज सकेगी। इसके ट्रायल के बाद देशभर की अलग-अलग एजेंसियों के साथ इसका उपयोग किया जाएगा।

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