मृत हिंदू पुरुष की बेटियां पिता की खुद से खरीदी गई और दूसरी संपत्ति पाने की हकदार होंगी और उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों के मुकाबले प्राथमिकता मिलेगी : संपत्ति में बेटी के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट का 51 पेज का फैसला

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH : संपत्ति में बेटी के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 51 पेज का फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि बिना वसीयत के मृत हिंदू पुरुष की बेटियां पिता की खुद से खरीदी गई और दूसरी संपत्ति पाने की हकदार होंगी और उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों के मुकाबले प्राथमिकता मिलेगी.

उच्चतम न्यायालय का यह फैसला मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर आया है, जो हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत हिंदू महिलाओं और विधवाओं को संपत्ति अधिकारों से संबंधित था. न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि वसीयत के बिना मृत किसी हिंदू पुरुष की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति चाहे वह खुद से ली गई संपत्ति हो या पारिवारिक संपत्ति के विभाजन में मिली हो, उसका उत्तराधिकारियों के बीच बंटवारा होगा.

पीठ ने इसके साथ ही कहा कि ऐसे पुरुष हिंदू की बेटी अपने दूसरे संबंधियों (जैसे मृत पिता के भाइयों के बेटे/बेटियों) के साथ वरीयता में संपत्ति की उत्तराधिकारी होने की हकदार होगी. पीठ किसी दूसरे कानूनी उत्तराधिकारी की गैर-मौजूदगी में बेटी को अपने पिता की स्व-अर्जित संपत्ति को लेने के अधिकार से संबंधित कानूनी मुद्दे पर गौर कर रही थी l

न्यायमूर्ति मुरारी ने पीठ के लिए 51 पेज का फैसला लिखते हुए इस सवाल पर भी गौर किया कि क्या ऐसी संपत्ति पिता की मृत्यु के बाद बेटी को मिलेगी जिनकी वसीयत तैयार किए बिना मृत्यु हो गई और उनका कोई अन्य कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हो. फैसले में कहा गया है कि विधवा या बेटी का मृत हिंदू पुरुष की खुद खरीदी गई या बंटवारे में मिली प्रॉपर्टी के हिस्से पर न केवल पुराने पारंपरिक हिंदू कानून के तहत मान्यता है, बल्कि इसे लेकर अलग-अलग न्यायालयों के फैसलों में भी कहा गया है. फैसले में कहा गया है कि अगर कोई महिला हिंदू बिना किसी वसीयत के मर जाती है, तो फिर उसके द्वारा हासिल की गई उत्तराधिकार में मिली प्रॉपर्टी उसके पिता के उत्तराधिकारियों को जाएगी, जबकि उसके पति या ससुर की प्रॉपर्टी उसके पति के उत्तराधिकारियों को मिलेगी.

इसमें कहा गया है कि कानून का बेसिक मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मृत महिला हिंदू जो बिना किसी वसीयत के मर जाती है, उसके द्वारा विरासित में मिली प्रॉपर्टी स्रोत के पास वापस जाए, इस बात को सुनिश्चित करना है.

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