प्लेसमेंट में ही नहीं बैठ रहे आईआईटी छात्र, इन 3 वजहों से छोड़ रहे…
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा और स्टार्टअप के लिए आईआईटी छात्र प्लेटमेंट और मोटे पैकेज वाली सैलरी के जॉब ऑफर ठुकरा रहे हैं। आईआईटी मद्रास के बीटेक केमिकल इंजीनियरिंग कोर्स के निखिल पई इस वर्ष अपने बैच के बाकी स्टूडेंट्स के साथ प्लेसमेंट के लिए नहीं बैठेंगे। इसके बजाय पई एक ऐसे स्टार्टअप में काम करेंगे जो अभी-अभी शुरू हुआ है। 2023 बैच के 23 वर्षीय छात्र ने कहा, ‘मैं एक ऐसे स्टार्टअप में काम करना चाहता हूं जिसमें 10-15 लोग हों, जो सोशल इनोवेशन में हो और मैं ऐसी कुछ कंपनियों से बात कर रहा हूं।”
आईआईटी छात्र ने कहा, ‘ये नई स्टार्टअप कंपनियां कैंपस में आने के लिए बहुत छोटी हैं और उनके द्वारा दी जाने वाली तनख्वाह प्लेसमेंट में मिलने वाले लाखों रुपये के मोटे सैलरी पैकेज के आसपास भी नहीं है। लेकिन मैंने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि मैं भविष्य में अपना स्टार्टअप शुरू कर सकूं।’
पई जैसे इंजीनियरिंग छात्रों की तादाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में बढ़ती जा रही है। इन स्टूडेंट्स ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षाओं में बैठने या अपने खुद के स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्लेसमेंट प्रक्रिया से बाहर रहने का ऑप्शन चुना है। प्लेसमेंट टीमें वैश्विक मंदी की आशंका के बीच छात्रों के इस फैसले से हैरान है। पई ने कहा, ‘मेरा परिवार शुरू में चिंतित था, लेकिन मैंने जल्दबाजी में यह कदम नहीं उठाया। मैंने अपने सेकेंड ईयर के आखिर में यह निर्णय लिया था कि मैं बिजनेस डेवलपमेंट का हिस्सा बनना चाहता हूं। बिजनेस को शुरुआत से ही समझना चाहता हूं।’ पई की क्लास के कुछ अन्य साथियों ने भी हायर स्टडीज करने या अपना स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्लेसमेंट से बाहर होने का विकल्प चुना है।
आईआईटी दिल्ली ने कहा, ’10 छात्रों ने इंस्टीट्यूट की डेफर्ड प्लेसमेंट (बाद में प्लेसमेंट में बैठने की सुविधा) का विकल्प चुना है। डेफर्ड प्लेसमेंट की सुविधा उन छात्रों के लिए उपलब्ध है जो अपनी इंजीनियरिंग ग्रेजुएशन के बाद एक स्टार्टअप स्थापित करना चाहते हैं। कॉलेज ने 15 दिसंबर तक की अपनी प्लेसमेंट रिपोर्ट में कहा, “डेफर्ड प्लेसमेंट विकल्प चुनने वाले छात्र इस विकल्प का लाभ उठाने के बाद 2 साल के भीतर एक बार प्लेसमेंट सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं, यानी 2024-25 तक।”
आईआईटी में प्लेसमेंट सीजन 1 दिसंबर को शुरू हुआ, जिसमें कई कंपनियां, विशेष रूप से हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) फर्में, प्रति वर्ष एक करोड़ से ऊपर के वेतन की पेशकश कर रही हैं। कुछ नए आईआईटी संस्थानों में 2022 के बैच की तुलना में डेफर्ड प्लेसमेंट का विकल्प चुनने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।
आईआईटी गुवाहाटी के सेंटर फॉर करियर डेवलपमेंट के प्रमुख ने कहा, ‘एक छात्र मुख्य तौर पर हायर स्टडीज, यूपीएससी परीक्षा और इंटरप्रिन्योरशिप के लिए डेफर्ड प्लेसमेंट का विकल्प चुन सकता है। पिछले साल डेफर्ड प्लेसमेंट का विकल्प चुनने वाले छात्रों की संख्या 11 थी और इस वर्ष के लिए यह 20 है।
आईआईटी मंडी में इस बार दो छात्रों ने डेफर्ड प्लेसमेंट का विकल्प चुना है। पिछली बार ऐसा भी स्टूडेंट नहीं था। प्लेसमेंट कार्यालयों ने कहा कि वे डेफर्ड प्लेसमेंट के प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले क्रॉस-चेक करते हैं। एक पुराने आईआईटी संस्थान के सीनियर प्लेसमेंट ऑफिसर ने कहा, ‘छात्र अपनी एप्लीकेशन भेजते हैं और हम उनके आइडिया की प्रैक्टिकैलिटी की जांच करते हैं। आमतौर पर वे स्टार्टअप से जुड़ने व अपना बिजनेस खड़ा करना सीखने के लिए ऐसा करना चाहते हैं। मंदी के दौरान छात्रों को जोखिमों के बारे में भी बताया जाता है।’
इन तीन वजहों से प्लेसमेंट में नहीं बैठ रहे – 1. यूपीएससी की तैयारी, 2. नई व छोटी स्टार्टअप से जुड़ना या अपना वेंचर खोलना है उद्देश्य. 3. हायर स्टडीज के लिए
दिलचस्प बात यह है कि मंदी की आशंका के बीच स्टार्टअप्स और ई-कॉमर्स फर्मों का आईआईटी कैंपस में आना नहीं रुका है। कंपनियां औसतन 15 लाख से 35 लाख रुपये तक के वेतन की पेशकश कर रहीं हैं। आईआईटी में प्लेसमेंट अप्रैल-मई तक चलेगा।