मिनी बस्ती बना नशे का गढ़
बिलासपुर : सिविल लाइन क्षेत्र के मिनी बस्ती में पुलिस के नाक के नीचे नशे का कारोबार फल फूल रहा है.पुलिस की सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण नशे का धंधा यहां दिन दूना और रात चौगुना बढ़ रहा है. सूत्रों की माने तो यहां बड़े लोगों से संरक्षण प्राप्त कर नशे के सौदागर आसानी से अपना धंधा जमा चुके हैं. बिलासपुर जरहाभाठा का मिनी बस्ती जिले में नशे का गढ़ बन चुका है. अब तक बिलासपुर शहर और आसपास के जितने भी नशेड़ियों से नशे के समान पकड़ाए हैं, उसमें सबसे ज्यादा इसी जगह मिले हैं. मिनी बस्ती से नशे के सौदागर माल खरीदते हैं. उसे शहर मे बेचते हैं. शहर और आसपास के क्षेत्र में जितने नशे के सामान या आरोपी पकड़े जाते हैं. उनका किसी न किसी रूप में मिनी बस्ती से संबंध रहता है. ऊंची पहुंच वालों के संरक्षण में यहां के नशे के सौदागर नशे का कारोबार करते हैं. बड़े लोगों के संरक्षण में नशे का कारोबार चल रहा है. शहर के अंदर मिनी बस्ती के नशे के सौदागर गुंडागर्दी के साथ ही उनके खिलाफ नशे के खिलाफ आवाज उठाने वालों की हत्या और हत्या का प्रयास जैसे कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. (Mini basti of Bilaspur became drug stronghold )
मिनी बस्ती बना नशे का गढ़
एक ही जगह बरामद हुआ नशे का जखीरा : बिलासपुर का मिनी बस्ती जरहाभाठा क्षेत्र में वैसे तो पुलिस ने कई कार्रवाई की है. लेकिन 15 ऐसे मामले हैं जिनमें पुलिस ने कार्रवाई में लाखों रुपए के कोडीन युक्त सिरफ और नशे के टेबलेट सहित इंजेक्शन बरामद किए हैं. इसके अलावा गांजा भी पकड़ाया है. पुलिस ने एक साल में 15 मामलों में 20 आरोपियों से लाखों रुपए के नशे की सामग्री बरामद की है.
जिले की एसएसपी पारुल माथुर ने बताया कि ” लगातार जिले सहित जरहाभाटा के मिनी बस्ती में नशे के कारोबार को अंकुश लगाने कार्रवाई की जाती रही है. इसमें लाखों टेबलेट हजारों कोडीन नियुक्त सिरप और इंजेक्शन बरामद किए गए हैं.लेकिन हर बार नशे के इस कारोबार का मुख्य सरगना पुलिस पकड़ से बाहर रहा है. पुलिस उसकी तलाश करती है, लेकिन लिंक सही नहीं मिल पाता. हर बार नशे के मुख्य सौदागर पुलिस पकड़ से बाहर रहते हैं.
एसएसपी पारुल माथुर ने बताया कि ” इसके लिए मिनी बस्ती में कई बार जन जागरूकता अभियान चलाया गया और लोगों को जानकारी दी गई कि ”वे सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से पुलिस को नशे के कारोबार से जुड़े सौदागर और व्यापार की जानकारी दें. ताकि वे उनका नाम बताएं बिना आरोपियों को पकड़ सके. कई बार आम जनता के सहयोग से मिनी बस्ती के नशे के छोटे सौदागर पकड़े गए और लगातार कार्रवाई की जा रही है.”
जरहाभाठा मिनी बस्ती क्षेत्र सिविल लाइन थाना के अंतर्गत आता है. यहां लगातार नशे का कारोबार पिछले कई सालों से फलता फूलता रहा है. यही वजह है कि यहां से निकले नशे के सामान युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है. युवा पीढ़ी लगातार गांजा, प्रतिबंधित नशे का सिरप और इंजेक्शन, टेबलेट का इस्तेमाल कर रहा है. वह नशे की गिरफ्त में फंसता ही जा रहा है. यदि सालों पहले शुरुआत से ही सिविल लाइन थाना स्टाफ नशे के कारोबार पर अंकुश लगाता तो शायद यह कारोबार अब तक बंद हो जाता और नशाखोरी करने वालों की संख्या बहुत कम होती. लेकिन शुरू से ही सिविल लाइन थाना स्टाफ की निष्क्रियता ने शहर में नशाखोर बढ़ा दिया है.
बिलासपुर के वरिष्ठ पत्रकार कमलेश शर्मा ने बताया कि ”नशे के कारोबार में शहर ही नहीं पूरे जिले के युवा गिरफ्त में आ गए हैं ज्यादातर नासा गांजा नशीले इंजेक्शन टेबलेट और कोड इन युक्त कफ सिरप प्रतिबंधित कफ सिरप का नशा किया जा रहा है. पूरे जिले में इस नशे के कारोबार में अहम भूमिका जरहाभाटा के मिनी बस्ती की है. क्योंकि ज्यादातर नशे का कारोबार यहीं से शुरू होता है. जिले के सभी क्षेत्रों में नशे के सामान यही के माध्यम से चलाया जा रहा है. इस पूरे मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आती है. कमलेश शर्मा ने कहा कि यदि पुलिस शुरुआत से ही नशे के कारोबार को नियंत्रित करने की कोशिश करती तो शायद अब तक इसका नामोनिशान तक मिट जाता.”