7 फीट गहरे गड्ढे में तपस्या करने में लीन रहे स्वामी पुरुषोत्तमानंद 3 दिन बाद आये बाहर
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्वामी पुरुषोत्तमानंद महाराज कथित तौर पर ली गई तीन दिन की भू समाधि से आज बाहर आ गए। इससे पहले बाबा की तप समाधि स्थल पर पूजा की गई। वे 72 घंटे (3 दिन) तक 7 फीट गहरे गड्ढे में तपस्या करने में लीन रहे। बता दें, साउथ टीटी नगर स्थित मां भद्रकाली विजयासन दरबार में महाराज शुक्रवार सुबह 10 बजे 5 बाय 6 के 7 फीट गहरे गड्ढे में साधना के लिए बैठे थे। समाधि स्थल के गड्ढे को ऊपर से लकड़ी के पटिए और मिट्टी से ढंक दिया गया था। तीन दिन तक धार्मिक अनुष्ठान चला। बड़ी संख्या में भक्त भी समाधि स्थल पर पहुंचे।
भोपाल स्थित टीटी नगर स्थित मां भद्रकाली बिजासन दरबार परिसर में स्वामी पुरुषोत्तम नंद महाराज ने 3 दिन के लिए भू समाधि ली थी. बाबा ने जमीन में 7 फिट गहरे गड्ढे में भूमिगत समाधि लिया था. जहां वो तपस्या में लीन थे. मंत्रोचारण के साथ संतों की मौजदूगी में बाबा पुरषोत्तमानंद 72 घंटे बाद बाहर निकाले.
समाधि साधना के लिए दरबार परिसर में पांच फीट चौड़ा, छह फीट लम्बा और सात फीट गहरा गड्ढा समाधि स्थल तैयार किया गया था. पुरुषोत्तमानन्द ध्यानमुद्रा बनाकर आसन लगाए. इसके बाद उक्त गड्ढे को लकड़ी के पटियों से ढंक दिया गया. वहां पर वस्त्र बिछाकर फूल चढ़ाए दिए गए थे. स्वामी पुरुषोत्तमानन्द ने अपने द्वारा भूमिगत समाधि साधना का उद्देश्य लोक कल्याण की कामना बताया था.
बाल्यकाल से ही देवी भगवती की आराधना में संलग्न पुरुषोत्तमानन्द ने समाधि के पहले बताया कि भूमिगत समाधि के लिए उन्हें माता ने ही प्रेरित किया है. उन्हें पूरा भरोसा था कि उनके द्वारा भूमिगत समाधि साधना का यह अनुष्ठान पूर्णतया सफल होगा और इससे माता रानी के आशीर्वाद स्वरूप जो भी सिद्धि प्राप्त होगी. उसका उपयोग वह निःस्वार्थ भाव से प्राणी मात्र के कल्याण के लिए करेंगे.