गुलाम नबी आजाद को कैप्टन अमरिंदर सिंह न समझे कांग्रेस
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जीए मीर का कहना है कि गुलाम नबी आजाद का हश्र पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह होगा। दरअसल, आजाद ने राज्य में पार्टी गठन करने का ऐलान किया है। इधर, कैप्टन ने भी पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले नई पार्टी बना ली थी। हालांकि, चुनावी नतीजों में उनकी असफलता साफ दिखी। बहरहाल, अगर दोनों के सियासी हालात के देखें, तो मीर का दावा पूरी तरह साबित होता नहीं दिख रहा है।
एक को पद से हटने पर मजबूर किया, दूसरे ने खुद दिया इस्तीफा
पंजाब में कैप्टन और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के बीच हुई तनातनी खासी चर्चा में रही। इसके चलते पंजाब कांग्रेस में जमकर सियासी संकट खड़ा हो गया था। इसका नतीजा हुआ कि सितंबर 2021 में कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें सीएम पद छोड़ने के लिए कह दिया था। खास बात है कि यह घटनाक्रम सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनने के कुछ समय बाद ही हुआ था।
इससे उलट गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से खुद इस्तीफा दिया है। साथ ही अब तक के सियासी घटनाक्रमों से पता चलता है कि उनके पार्टी छोड़ने का कारण कोई अन्य नेता शायद नहीं है। इससे पहले साल 2020 में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, जिसमें संगठन स्तर पर बदलाव की मांगें की गई थी। आजाद का कहना है कि वह पार्टी को पत्र भेजते रहे, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, ‘मैं कब तक उनकी तरफ से मिल रहे अपमान को सहन करता?’
कांग्रेस का साथ
पंजाब में सियासी संकट के बीच कैप्टन को पत्नी प्रणीत कौर, गुरजीत सिंह औजला और मनीष तिवारी जैसे नेताओं की हमदर्दी तो मिली, लेकिन वह कांग्रेस पार्टी से बड़े स्तर पर नेताओं को अपने पक्ष में करने में असफल रहे थे। दिसंबर 2021 में नगर निगमों के सदस्यों और कांग्रेस के करीब 22 नेता उनकी पार्टी ‘पंजाब लोक कांग्रेस’ में शामिल हुए थे। इस्तीफे के बाद सिद्धू की तरफ से उन्हें ‘गद्दार’, ‘जला हुआ कारतूस’ तक कहा गया। पंजाब के सीएम रह चुके चरणजीत सिंह चन्नी ने भी दिसंबर 2021 में कहा था कि कैप्टन ने अपने कार्यकाल के दौरान कुछ भी हासिल नहीं किया। साथ ही उन्होंने आरोप लगाए कि कैप्टन ने सत्ता की भूख को मिटाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। इसके अलावा पार्टी के ही कई बड़े नेताओं ने उन पर सवाल उठाए।
इधर, आजाद ने इस्तीफे के तुरंत बाद से ही हाल में अपने राज्य में बड़े स्तर पर समर्थन मिलता दिख रहा है। अब तक 65 से ज्यादा नेता कांग्रेस छोड़कर उनके साथ आ चुके हैं। खुद वरिष्ठ राजनेता भी दावा कर रहे हैं कि राज्य में 90 फीसदी कांग्रेसियों का समर्थन उनके पास है। मंगलवार को ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का समूह आजाद से उनके आवास पर मिला था। इनमें आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण, भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम शामिल है। खास बात है कि तीनों नेता G-23 का भी हिस्सा रहे हैं। अब इस मुलाकात के बाद भी अटकलों का दौर जारी है।
दिल्ली तक गूंज
कैप्टन अमरिंदर से उलट गुलाम नबी आजाद की राजनीति का असर को दिल्ली तक माना जा सकता है। आजाद अपने सियासी करियर में महाराष्ट्र के वाशिम से सांसद, यूपीए सरकारों में मंत्री और उपमंत्री रह चुके हैं। उनके इस्तीफे की चर्चा दिल्ली में भी खूब हुई। जबकि, कैप्टन पंजाब की राजनीति में खासे सक्रिय रहे। इसके बाद भी वह पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में आप उम्मीदवार अजीत पाल कोहली के हाथों अपने ही गढ़ पटियाला में हार गए थे।
दोनों नेताओं कुछ समानताएं भी
कैप्टन और आजाद दोनों ही अलग-अलग समय पर अपने राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। साथ ही दोनों को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भी करीबी माना जाता है। राजीव और संजय गांधी का दौर खत्म होने के बाद भी दोनों नेताओं को गांधी परिवार को वफादारों में गिना जाता था। इसके अलावा राजनीतिक प्रतिद्विंदी भी उनका सम्मान करते थे। एक ओर जहां कैप्टन को भाजपा की तरफ से राष्ट्रवादी माना गया। वहीं, राज्यसभा से आजाद के रिटायरमेंट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आंसू बहाते देखा गया था।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से नाराजगी
खास बात है कि दोनों नेताओं ने सोनिया गांधी को लंबे इस्तीफे भेजे थे। इतना ही दोनों नेताओं ने पार्टी में राहुल गांधी के काम करने के तरीकों पर सवाल उठाए थे। इस्तीफे के महीनों बाद कैप्टन ने फरवरी 2022 में कहा था, ‘मेरे परपोते हैं। तो मेरे लिए वो क्या हैं? मेरे लिए वो बच्चे हैं। उनके पिता मेरे दोस्त थे। यह उन्हें क्या बनाता है? केवल इसलिए कि वह 50 और जो भी है, यह राहुल और प्रियंका को आइंस्टीन नहीं बना देता।’ उन्होंने राहुल को राजनेता के तौर पर विकसित होने की सलाह दी थी।
आजाद ने भी अपने इस्तीफे में राहुल की राजनीति में एंट्री को लेकर सवाल किए थे। उन्होंने राहुल को पार्टी का मंथन तंत्र खत्म करने का भी जिम्मेदार बताया था।