J&K: एक पैर से ही दो किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाता है कश्मीर ब्वॉय परवेज, पढ़-लिखकर बनना चाहता है डॉक्टर
श्रीनगर/न्यूयॉर्क : जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा इलाके का परवेज अहमद हाजम एक पैर से दिव्यांग बालक है. उसमें पढ़ने की लालसा है. अपनी दिव्यांगता को चुनौती देते हुए वह रोजाना करीब दो किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचता है. एक पैर से चलते-चले थक जाता है, तो सुस्ताने और थकान मिटाने के लिए वह किसी स्थान पर पेड़ की छांव में बैठ जाता है. फिर उठता है और अपनी मंजिल की ओर चल देता है. उसके अभिभावकों के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि कृत्रिम अंग लगाकर वह स्वस्थ आम बालक की तरह चल सके. उसके इस साहस और पढ़ाई की उत्कंठा को देखते हुए जयपुर फुट यूएसए के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने फ्री में कृत्रिम अंग देने का भरोसा दिया है, ताकि पढ़ाई पूरी करने के लिए परवेज आसानी से स्कूल आ-जा सके और जीवन के लक्ष्यों को हासिल कर सके. उसका सपना पढ़-लिखकर डॉक्टर बनने का है.
परवेज को फ्री में मिलेगा कृत्रिम अंग
बताते चलें कि जयपुर फुट एक गैर सरकारी संगठन है, जो विशेष रूप से दिव्यांगों के शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक पुनर्वास को सुनिश्चित करता है, ताकि वे अपनी गतिशीलता और गरिमा हासिल कर सकें और समाज के स्वाभिमानी और ऊर्जावान सदस्य बन सकें. समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किए गए दिव्यांग बालक परवेज अहमद हाजम के वीडियो को देखने के बाद जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन प्रेम भंडारी ने बालक को मदद करने का फैसला किया. चेयरमैन प्रेम भंडारी ने कहा कि जैसे ही मैंने ट्वीट पढ़ा, मैंने परिवार से संपर्क करने का फैसला किया. मैं परवेज को मुफ्त में एक कृत्रिम अंग मुहैया कराऊंगा.
भीषण आगजनी में एक पैर खो चुका है परवेज
परवेज जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में अपनी शिक्षा को पूरा करने के लिए एक पैर से रोजाना करीब दो किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल जाता है. बचपन में ही आगजनी की एक भीषण घटना में परवेज ने अपना एक पैर खो दिया था. इस समय वह नौगाम के सरकारी हाईस्कूल में नौवीं कक्षा का छात्र है. मीडिया से बातचीत करते हुए परवेज ने कहा कि मैं एक पैर से संतुलन बनाते हुए करीब दो किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद स्कूल पहुंचता हूं. सड़कें भी ठीक नहीं है. उसने कहा कि अगर मेरे पास कृत्रिम अंग होते, तो मैं आसानी से चल सकता हूं. मैं अपने जीवन के सपने को साकार करना चाहता हूं.
परवेज को कबड्डी, क्रिकेट, वॉलीबॉल खेलना पसंद
परवेज ने आगे बताया कि हालांकि, समाज कल्याण विभाग की ओर से उसे व्हील चेयर मुहैया कराई गई है, लेकिन खराब सड़कों की वजह से वह उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है. उसने कहा कि मैं दो किलोमीटर रोजाना चलकर स्कूल पहुंचता हूं. उसने कहा कि मुझे स्कूल पहुंचने के बाद बहुत पसीना आता है, क्योंकि मेरे लिए चलना मुश्किल है. मैं स्कूल पहुंचने के बाद प्रार्थना करता हूं. मुझे क्रिकेट, वॉलीबॉल और कबड्डी पसंद है. मुझे उम्मीद है कि सरकार मेरे भविष्य को आकार देने में मेरी मदद करेगी. मेरे अंदर एक सपना है. मैं अपने सपनों को हासिल करने के लिए रोजाना पैदल आता हूं.
इलाज के लिए परवेज के पिता ने बेची संपत्ति
परवेज कहता है कि जब वह एक पैर से पैदल चलता है, तो उसके साथी भी उसका भरपूर सहयोग करते हैं. मैं अल्लाह से दुआ मांगता हूं कि वह मुझे शक्ति प्रदान कर सके. उसने कहा कि मेरी सरकार से मांग है कि मुझे कृत्रिम अंग या आवागमन के लिए कोई दूसरा साधन मुहैया कराया जाए, ताकि मैं आसानी से अपने स्कूल या दूसरी जगहों तक का सफर तय कर सकूं. उसने कहा कि मेरे इलाज में डॉक्टरों ने काफी पैसे लिये. यहां तक कि मेरे इलाज के लिए मेरे पिता ने अपनी काफी संपत्ति बेच दी.
हृदय रोग से ग्रस्त है परवेज की मां
परवेज के पिता गुलाम अहमद हाजम ने कहा कि मेरा बालक काफी कम उम्र में भीषण आगजनी के दौरान अपना एक पैर खो चुका है. उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी भी हृदय रोग से ग्रस्त है. उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे का पैर एक भयानक हादसे में चला गया, उस समय मैं बारामूला में था. मैं एक गरीब आदमी हूं. मैं उसके इलाज के लिए तीन लाख रुपये का इंतजाम नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि मैं 50,000 का खर्च ही उठा सकता हूं. मैंने अपनी संपत्ति भी बेच दी है. उन्होंने कहा कि मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह परवेज की मदद करे.
पढ़-लिखकर डॉक्टर बनना चाहता है परवेज
परवेज के पिता गुलाम मोहम्मद ने कहा कि नौगाम के सरकारी हाई स्कूल की नौवीं कक्षा में पढ़ने वाला उनका बेटा डॉक्टर बनना चाहता है. वहीं, उसके स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि परवेज काफी मेहनती बच्चा है. वह पढ़ाई के साथ-साथ स्कूल की दूसरी गतिविधियों में पूरी लालसा के साथ शामिल होता है. हम उसके प्रयास की सराहना करते हैं. वह स्कूल का बहुत ही प्रतिभाशाली छात्र है.