65 साल पुराने अस्पताल को है पेस्ट कंट्रोल की जरूरत, कीड़े-मकोड़े कर रहे मरीज को तंग
पुराने सिम्स अस्पताल भवन के बाहर में मधुमक्खियों के दो दर्जन से ज्यादा बड़े छत्ते हो गए है, जो भर्ती मरीजों और स्टाफ को परेशान करते है और कुछ मधुमक्खियों का डंक का शिकार भी हो जाते है। ऐसे में मधुमक्खियों के छत्तों को भी हटाने का निर्णय लिया गया है। सभी वार्डो और ओपीडी का पेस्ट कंट्रोल कराने का निर्णय लिया गया है
HIGHLIGHTS
- बिलासपुर सिम्स अस्पताल के वार्डो और ओपीडी में पेस्ट कंट्रोल कराने का लिया गया निर्णय।
- डीन डॉ रमणेश मूर्ति ने कहा तत्काल चालू किया जाए काम, दीवारों से हटेंगे मधुमक्खियों के छत्ते।
- सुविधाओं के विस्तार के लिए परिचारिका अधीक्षक, सिस्टर स्टाफ के साथ डाक्टरों की बैठक ली।
बिलासपुर। सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) का अस्पताल भवन 65 वर्ष पुराना हो चुका है, ऐसे में दीवारों में दरार, सीपेज की समस्या भी है, इसी वजह से कीड़े, मकोड़े ने इसे अपना घर बना लिया है।ऐसे में ये कीड़े-मकोड़े भर्ती मरीजों को भी तंग करते है, मरीजों के साथ स्टाफ भी इसकी शिकायत सिम्स प्रबंधन से करते आ रहे है। वहीं अब इस समस्या को दूर करने के लिए ही सभी वार्डो और ओपीडी का पेस्ट कंट्रोल कराने का निर्णय लिया गया है, ताकि इस समस्या से निजात मिल सके।
डीन डा़ रमणेश मूर्ति ने इसी तरह की समस्याओं को दूर करने और मरीजों को दी जानी वाली सुविधाओं के विस्तार के लिए मंगलवार की दोपहर परिचारिका अधीक्षक, सिस्टर स्टाफ के साथ डाक्टरों की बैठक ली। जिसमे समस्याओं को दूर करने आवश्यक सुझाव मांगा गया।
जिसमे पेस्ट कंट्रोल कराने की आवश्यकता पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया। क्योंकि कई बार कीड़े-मकोड़ों के साथ ही कुछ काटने वाले कीड़ों से भी भर्ती मरीजों और स्टाफ का सामना हो जा रहा है। इस सुझाव को गंभीरता से लेते ही डीन डा़ मूर्ति ने तत्काल पेस्ट कंट्रोल करवाने का निर्णय लिया है।
ये निर्णय भी लिए गए
- – अस्पताल आने वाले मरीजों के आयुष्मान योजना के अंतर्गत सील लगवाने के बाद फिर से रशीद नहीं कटवाया जाएगा। आयुष्मान योजना के अंतर्गत यह अब पुरी तरह से निश्शुल्क रहेगा। आयुष्मान
- – सीनियर सिटीजन को अब अकेले जांच के लिए नहीं भेजा जाएगा, उनके साथ में ओपीडी में कार्यरत एक सहायक भी भेजा जाएगा, ताकि सभी काम आसानी से हो सके।
- – भर्ती मरीजों का सेंपल जांच के लिए सिर्फ वार्ड में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही सेंट्रल लैब लेकर जाएंगे।
- – रिक्विजेशन फार्म में ही प्रापर रूप से जांच लिखकर कंसलटेंट के ही द्वारा हस्ताक्षर बाद जांच केंद्र भेजा जाएगा।
- -. सभी वार्ड, ओपीडी और गलियारों में नियमित रूप से तीन शिफ्ट में सफाई होगी।
- – वार्ड में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नियमित रूप से रोजाना गंदा बेडशीट लांडी लेकर जाएंगे और धुलाई के बाद वार्ड में लेकर आएंगे।
ये भी पढ़े..
सिम्स हास्पिटल में उपचार के दौरान बंदी की मौत, लंबे समय से था बीमार, बिलासपुर जेल में हत्या के आरोप सजा का रहा था बंदी
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। बिलासपुर सेंट्रल जेल में हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे बंदी धर्मेंद्र सिंह कुर्रे (61) की उपचार के दौरान मौत हो गई। सिम्स में शव का पोस्टमार्टम किया गया है और रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही कारण स्पष्ट हो सकेगा। मृतक का बेटा दीनदयाल कुर्रे भी हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है और वर्तमान में रायपुर में उनका उपचार चल रहा है।
धर्मेंद्र और उसका बेटा दीनदयाल, रायगढ़ जिले के घरघोड़ा थाना क्षेत्र के निवासी हैं। कोर्ट ने उन्हें हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जेल प्रशासन के अनुसार, धर्मेंद्र की हालत शनिवार रात को बिगड़ी, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई।
स्वजन का कहना है कि वह पहले से ही बीमार चल रहा था। जेल अधीक्षक ने बताया कि धर्मेंद्र का शव पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए स्वजन को सौंप दिया गया। धर्मेंद्र के बेटे दीनदयाल को पिछले कुछ समय से लीवर की समस्या के कारण रायपुर के अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उसका इलाज जारी है।