सीजीएमएससी में भुगतान का मामला: आयकर विभाग के पत्र की अनदेखी, फिर होगी जांच
छत्तीसगढ़ दवा निगम (सीजीएमएससी) द्वारा आयकर विभाग के पत्र को नजरअंदाज कर किए गए भुगतान की फिर से जांच की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगवा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
HIGHLIGHTS
- स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव ने जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने का दिया आदेश।
- पूर्व सरकार में कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए पत्र को अनदेखा किया गया: महाप्रबंधक (वित्त)।
- आयकर ने CGMSC को पत्र लिखकर TDS न भरने के कारण भुगतान रोकने की दी थी सूचना।
रायपुर। आयकर विभाग के पत्र को नजरअंदाज करके भुगतान छत्तीसगढ़ दवा निगम (सीजीएमएससी) द्वारा करने की फिर से जांच होगी। अब स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगवा से शिकायत हुई है। उन्होंने मामले पर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा है।
दवा कंपनी मेसर्स एएनजी लाइफ साइंस इंंडिया लि. का भुगतान रोकने के संबंध में आयकर विभाग का पत्र नहीं मिलने की बयान महाप्रबंधक (वित्त) ने दिया है। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में दवा कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए महा प्रबंधक (वित्त) ने आयकर विभाग के पत्र को अनदेखा कर दिया था।
चौंकाने वाली बात यह है कि सीजीएमएससी के एमडी ने जब मामले की जांच के आदेश दिए तो खुद महाप्रबंधक (वित्त) अपनी ही जांच करके क्लीन चिट दे दी। शिकायतकर्ता रामअवतार केडिया ने बताया कि 30 जून 2023 को ही शाम 5 बजकर 5 मिनट पर कंपनी एएनजी लाइफ साइंस इंंडिया द्वारा अपने पंजाब नेशनल बैंक के खाते के बंद होने की और केनरा बैंक के खाते में भुगतान करने के संबंध में मेल से अनुरोध किया।
कंपनी का मेल शाम को पांच बजकर पांच मिनट पर प्राप्त होने के बाद भी सीजीएमससी के रिकार्ड में बदलाव करके भुगतान भी कर दिया गया। जबकि उसी दिन महाप्रबंधक (वित्त) ने इसी दिन आयकर विभाग का पत्र मिलने की बात स्वीकारी है। इसकी जांच और आयकर विभाग के मेल की जांच तकनीकी अधिकारियों से होनी चाहिए।
यह है मामला
केंद्रीय आयकर विभाग ने 16 जून 2023 ने सीजीएमससी को पत्र लिखकर दवा कंपनी मेसर्स एएनजी लाईफ साइंस इंंडिया लि. का भुगतान दो करोड़ 78 लाख रुपये रोकने के लिए आदेशित किया था। वजह यह थी की कंपनी ने कई वर्षों का टीडीएस का भुगतान 12.30 करोड़ रुपये नहीं किया था। जिसकी रिकवरी के लिए धारा 226(3) के तहत सीजीएमएससी को आयकर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया गया था।
जिसका जवाब 24 घंटे के भीतर आयकर विभाग देना अनिवार्य था। लेकिन सीजीएमससी के अधिकारियों ने आयकर विभाग के आदेश को नहीं मिलने का बहाना बताते हुए कंपनी को एक ही दिन में पूरा भुगतान कर दिया। चौंकाने वाली बता यह है कि आयकर विभाग बार-बार पत्राचार करता रहा लेकिन सीजीएमससी ने कोई जवाब नहीं दिया।