हमारा क्या कसूर, हम तो सड़क किनारे रहकर देते छांव, मुझे आज मेरे दर्द चिंता नहीं तुहारे कल की है फिक्र

शहर में हरियाली के हत्यारे सक्रिय है। यकीन नहीं होता है तो एक बार मंगला चौक से उसलापुर ओवरब्रिज तक हरियाली की ताजा स्थिति का मुआयना कर लीजिए। इस मार्ग के किनारे लगे बरसों पुराने वृक्ष अब ठूंठ में तब्दील हो गए है।

HIGHLIGHTS

  1. बिलासपुर शहर में सक्रिय है हरियाली के हत्यारे
  2. मंगला चौक से उसलापुर ओवरब्रिज काट डाले वृक्ष
  3. निजी स्वार्थ के चक्कर में बेधड़क वृक्षों को नुकसान

बिलासपुर। वृक्ष के ठूंठ के चारों ओर कुल्हाड़ी से वार के इतने निशान है कि अंदाजा लगाया जा सकता है कितनी बेरहमी से वृक्षों को काटा गया है। शहर के बीचो- बीच हरियाली को क्षति पहुंचाई जा रही है। लेकिन, जिला प्रशासन खामोश है। उन पर कार्रवाई तो दूर जांच तक नहीं की गई।

हरे- भरे वृक्ष कितने लाभकारी है, यह किसी को समझाने या बताने की आवश्यकता नहीं है। कक्षा पहली का छात्र भी बता देगा कि वृक्षों से शुद्ध आक्सीजन मिलता है। प्रदूषण कम होते हैं और गर्मी में इनकी छांव में पहुंचकर सुकून मिलता है। लेकिन, कुछ लोगों को हरियाली चुभ रही हैं।
निजी स्वार्थ के चक्कर में बेधड़क वृक्षों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस तरह की बदमाशी सबसे ज्यादा मंगला चौक से उसलापुर ओवरब्रिज तक हो रही है। कुछ माह पहले ब्रिज से कुछ कदम पहले तीन वृक्षों को जानबुझकर छील दिया गया। इसे गडलिंग कहा जाता है। जिसके बाद वृक्ष सूखने लगते हैं। जिन तीन वृक्षों की बात हम कह रहे हैं, उनके साथ भी यही हुआ।
सूखने के बाद तीनों वृक्षों को काट दिया गया। कटाई इतनी चालाकी से हुई कि मौके पर किसी तरह का सबूत नहीं छोड़ा गया। हालांकि इस मामले को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। जिसका दुष्परिणााम है कि तीन हरे- भरे वृक्ष गायब हो गए। इसके बाद भी हरियाली के दुश्मनों के सीने का सुकून नहीं मिली और लगातार हरे- भरे वृक्षों को बड़ी बेरहमी से काट रहे हैं।
पुराने एफसीआई गोदाम के ठीक सामने चार से पांच पेड़ों के ताजा ठूंठ मिले हैं। जिन्हें दो से तीन दिन के भीतर काट दिया गया। इसके आगे भी कई वृक्षों के ठूंठ ही रह गए हैं। शहर के भीतर हरियाली के दुश्मन सक्रिय है और जिला प्रशासन को इतनी फुर्सत नहीं कि मौके पर जाकर कार्रवाई कर सके।
प्रशासन की अनदेखी की स्थिति यही रही तो आने वाले दिनों में इस सड़क पर हरियाली का नामोनिशान मिट जाएगा। इसके बाद, जो दुष्परिणाम होगा यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। बाक्स-कटाई के लिए बिजली कर्मियों को दुकानदारों से मिले रहे आफर ने जब हरियाली की दुर्दशा की वजह जानने पड़ताल की तो चौकाने वाला मामला सामने आया।
बिजली कंपनी के कुछ कर्मचारियों ने बताया कि इस मार्ग के किनारे संचालित कुछ दुकानों के संचालकों के द्वार दुकान के सामने के वृक्षों को काटने के लिए आठ से 10 हजार रुपये देने का आफर दिया जा रहा है। कुछ कर्मचारी सहमति भी दे रहे हैं। इस मार्ग पर मेंटेनेंस के नाम पर जिस छंटाई की जगह हरियाली साफ कर दी गई, उससे तो आफर अपनाने की स्थिति नजर आ रही है।
वर्जन वृक्षों की छटाई का आदेश दिया गया है। विद्युत विभाग को यह भी हिदायत दी गई है कि अगर बहुत ज्यादा जरूरी न हो तो पेड़ो की कटाई नहीं करनी है। केवल छटाई करनी है। अगर पेड़ों की कटाई की जा रही है तो जांच कराया जाएगा। वृक्ष किसके द्वारा काटे जा रहे हैं, इसको लेकर भी अमले को भेजा जाएगा। पीयूष तिवारी एसडीएम बिलासपुर

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