घर के इस दिशा में लगाएं भगवान शिव का पसंदीदा बेल का पेड़, मां लक्ष्मी पैसों से भर देंगी घर

बेलपत्र का पेड़ भगवान शिव को प्रिय है। इसे घर में लगाने से सकारात्मकता, समृद्धि और मानसिक शांति मिलती है। धार्मिक महत्व और औषधीय गुणों के कारण बेलपत्र के पेड़ घर में लगाना शुभ माना जाता है। आज आपको बताते हैं बेलपत्र को किस दिशा में लगाएं और पूजा में इसका उपयोग।

HIGHLIGHTS

  1. बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, तीन पत्तियों वाले डंठल को अर्पित करें
  2. धार्मिक महत्व और औषधीय गुणों के कारण बेलपत्र के पेड़ घर में लगाना शुभ
  3. बेल की ठंडी तासीर होने के कारण गर्मियों में इसका जूस पसंद किया जाता है

धर्म डेस्क। भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र का पेड़ उन चुनिंदा पेड़-पौधों में है, जिन्हें हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। वैसे तो गर्मियों में बेल फल का शरबत ठंडक पहुंचाता है और काफी फायदेमंद भी होता है। बेल का पेड़, जड़, फल और पत्तियों में कई औषधीय गुण होते हैं। बेलपत्र का पेड़ न केवल औषधीय और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह घर में सकारात्मकता और समृद्धि भी लाता है।

भगवान भोले का प्रिय

बेल को महादेव का प्रिय माना जाता है, पुराणों के अनुसार, शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रशन्न होते हैं। भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है। यह माना जाता है कि जिस घर में बेलपत्र का वृक्ष होता है, वहां महादेव की विशेष कृपा बनी रहती है। इसके साथ ही, माता लक्ष्मी का वास भी होता है, जिससे धन-धान्य की कमी नहीं होती।

किस दिशा में लगाए बेलपत्र का पौधा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, बेलपत्र का पौधा हमेशा उत्तर या पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। इस दिशा में लगाने से कई समस्याओं का समाधान होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे घर में रहने वाले सदस्य तेज और ऊर्जावान बनते हैं। माना जाता है कि, बेलपत्र का पेड़ लगाने से बुरी शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता।

यह तंत्र संबंधी बाधाओं को दूर करने में मदद करता है और परिवार के सदस्यों की सुरक्षा करता है। घर में बेलपत्र होने से चंद्र दोष से भी मुक्ति मिलती है, जिससे मानसिक शांति बनी रहती है।

दूसरे दिन भी चढ़ा सकते हैं बेलपत्र

बेलपत्र की तीन पत्तियों के डंठल को तोड़कर महादेव को अर्पित करने का विधान है। इसको लेकर दिलचस्प तथ्य यह है कि पत्ता कभी बासी नहीं होता। यदि पूजा के लिए बेलपत्र की आवश्यकता हो, तो आप दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को धोकर पुनः उपयोग कर सकते हैं, जिससे पूजा में कोई कमी नहीं आती।

बेलपत्र कब नहीं तोड़ना चाहिए

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए, साथ ही सोमवार को भी तोड़ने से बचें। बेलपत्र को टहनी सहित कभी नहीं तोड़ना चाहिए।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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