Premanand Maharaj Katha: वृंदावन जाएं तो क्या करें और क्या न करें, प्रेमानंद महाराज ने पाप से बचने के लिए बताए नियम
सनातन धर्म में तीर्थों का विशेष महत्व है। भारत में कई तीर्थ मौजूद है। यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। वृंदावन धाम भी इन्हीं तीर्थों में से एक है। तीर्थ क्षेत्र में कई नियमों का पालन भी जरूरी हाेता है। ऐसे ही कुछ नियम प्रेमानंद महाराज ने वृंदावन धाम के लिए भी बताए हैं।
By Bharat Mandhanya
Publish Date: Wed, 07 Aug 2024 12:03:06 PM (IST)
Updated Date: Wed, 07 Aug 2024 12:03:06 PM (IST)
वृंदावन में हैं श्रीकृष्ण के प्रमुख मंदिर।
HIGHLIGHTS
- प्रमुख हिंदू तीर्थ है वृंदावन धाम
- भगवान श्रीकृष्ण की है स्थली
- यमुना किनारे बसा है वृंदावन
धर्म डेस्क, इंदौर (Premanand Maharaj Katha)। वृंदावन धाम हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में एक है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि वृंदावन में श्रीकृष्ण का बचपन बीता था। यहां श्रीकृष्ण से जुड़े कई मंदिर मौजूद हैं। इसके साथ ही कई ऐसे स्थल भी है, जहां श्रीकृष्ण ने लीलाएं की थी।
अगर आप वृंदावन धाम में श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो कुछ नियमों का पालन अनिवार्य होता है। कथावाचक प्रेमानंद महाराज ने भी अपनी कथा के दौरान वृंदावन में नियमों के पालन के बारे में विस्तार से बताया है। यह नियम आपको यहां बताते हैं।
क्या नहीं करना चाहिए
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि वृंदावन पिकनिक मनाने के उद्देश्य से कभी नहीं आना चाहिए। बुरे विचारों के साथ भी वृंदावन नहीं आना चाहिए। ऐसी कोई क्रिया नहीं करना चाहिए, जो पाप की श्रेणी में आता हो। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि इन परिस्थितियों में वृंदावन आने से अच्छा है, धाम के बाहर से ही जयकरे लगा दीजिए आपका कल्याण हो जाएगा।
वृंदावन में क्या करें
प्रेमानंद महाराज कहते हैं, भले ही आप वृंदावन एक दिन अथवा इससे अधिक दिन के लिए आएं। यहां आकर उपवास करना चाहिए। यहां के अन्न या फल का सेवन करें और दिन-राम खूब भजन कीर्तन करना चाहिए।
क्या हो सकते हैं परिणाम
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, वृंदावन में किए गए गलत कार्यों पर पाप लगता है और यह पाप किसी भी तीर्थ, तप अथवा दान-पुण्य और किसी अनुष्ठान से नहीं धुलता है। यहां किए पाप केवल यहीं नष्ट हो सकते हैं।
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