ASEAN-India Summit: आसियान का चीन से तकरार, भारत से संबंध सुधारने का करार; पीएम बोले- आखिर हम पड़ोसी हैं

आसियान के सदस्य देशों में ब्रुनेई सिंगापूर थाईलैंड फिलीपींस कंबोडिया म्यांमार इंडोनिशिया मलयेशिया लाओस व विएनताम हैं। भारत ने एक्ट ईस्ट नीति के तहत आसियान क्षेत्र के देशों के साथ अपने सहयोग पर खास ध्यान देना शुरू किया है। तीसरे कार्यकाल के शुरुआत के पहले सौ दिनों के भीतर ही पीएम मोदी ने ब्रुनेई सिंगापूर की यात्रा की और मलेशिया और विएतनाम के प्रधानमंत्रियों का नई दिल्ली में स्वागत किया।

HIGHLIGHTS

  1. आसियान नेताओं से पीएम मोदी की बैठक के बाद जारी हुआ संयुक्त बयान
  2. भारत व आसियान रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ करेंगे, समुद्री सुरक्षा सहयोग पर होगा खास ध्यान

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। आसियान क्षेत्र के रिश्ते चीन व भारत के साथ किस तरह से आगे बढ़ रहे हैं इसकी एक स्पष्ट बानगी लाओस की राजधानी वियनतीयन में गुरुवार को देखने को मिली। दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सभी 10 सदस्य देशों के प्रमुखों की बैठक चीन के पीएम ली शियांग के साथ हुई और इसके कुछ घंटे बाद इन नेताओं की मुलाकात भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ आसियान-भारत शिखर बैठक के दौरान हुई।

भारत के साथ आसियान के मजबूत संबंध

दोनों बैठकों के बाद जारी बयान बताते हैं कि कैसे आसियान के देश के चीन की इस समूचे क्षेत्र में बढ़ती आक्रामकता से असहज व परेशान है तो दूसरी तरफ ये देश भारत के साथ कारोबारी, रक्षा व सुरक्षा संबंधों को और मजबूत करने करने को तैयार हैं। आसियान व भारत ने संयुक्त बयान जारी करके बताया है कि वह समुद्री सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करेंगे, रक्षा व सुरक्षा सहयोग प्रगाढ़ करेंगे और साझा सैन्य अभ्यास को बढ़ाएंगे।

समुद्री कानून समझौते के तहत समाधान

आसियान और भारत ने इस पूरे क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री सुरक्षा, नौवहन व हवाई उड़ानों की आजादी व समुद्री इलाके के शांति पूर्ण इस्तेमाल पर बल देते हुए कहा है कि इससे जुड़ी किसी भी विवाद का संयुक्त राष्ट्र के तहत समुद्री कानून समझौते (यूएनक्लोज-1982) के तहत समाधान की वकालत की है। साथ ही साउथ चाइना सी में यूएनक्लोज के तहत निर्धारित आदेश व आचारसंहित को उसके सही मायने में लागू करने की वकालत संयुक्त बयान में की गई है।

पीएम मोदी ने अभी आसियान के साथ अपनी बैठक में भाषण में कहा, हम एक दूसरे के पड़ोसी हैं, ग्लोबल साउथ के साथी सदस्य हैं। हम शांति प्रिय देश हैं, एक दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता व संप्रभुता का सम्मान करते हैं।’

चीन पर ही निशाना

  • यह भी परोक्ष तौर पर चीन पर ही निशाना है जो साउथ चाइना सी में आसियान क्षेत्र के कई देशों के भौगोलिक हिस्सों पर दावा करता है।
  • यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि वर्ष 2016 में यूएनक्लोज ने फिलीपींस व चीन के बीच साउथ चाइना सी में विवाद का फैसला फिलीपींस के पक्ष में किया था।
  • चीन ने इससे मानने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है। भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, पश्चिमी देश, जापान समेत अधिकांश देश यहां यूएनक्लोज की तरफ से तय आचारसंहिता को लागू करने की बात करते हैं।

यूएनक्लोज को लागू करने की वकालत

आसियान-भारत के संयुक्त बयान के उलट चीन के साथ बैठक में आसियान के कई नेताओं ने साउथ चाइना सी से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए यूएनक्लोज को लागू करने की वकालत की। जबकि इसी बैठक में चीन के पीएम ली शियांग ने यहां के क्षेत्रीय मुद्दों में बाहरी ताकतों पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।

साउथ चाइना सी में आचार-संहिता

प्राप्त सूचना के मुताबिक फिलीपींस और विएतनाम ने खास तौर पर हाल के दिनों में चीन के आक्रामक व्यवहार का मुद्दा उठाया। जल्द ही आसियान की अध्यक्षता संभालने वाले मलेशियाई पीएम अनवर इब्राहिम साउथ चाइना सी में आचार-संहिता के मुद्दे को शीघ्रता से फैसला करने का आग्रह किया है।

बाहरी ताकतों का हस्तक्षेप

उन्होंने यह भी कहा है कि इसमें हो रही देरी से आचार-संहिता संधि को स्वीकार करने को लेकर संदेह पैदा होता है। दूसरी तरफ शियांग ने कहा कि बाहरी ताकतों के लगातार हस्तक्षेप से इस क्षेत्र में विवाद बढ़ रहा है और इस क्षेत्र के देशों की आर्थिक प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रहा है।

2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष घोषित

गुरुवार को आसियाान-भारत सम्मेलन में पीएम मोदी ने इन देशों के साथ भारत के रिश्तों को प्रगाढ़ करने के दस सूत्रीय सुझाव दिए। इसके तहत वर्ष 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष घोषित किया और इसे बढ़ावा देने के लिए भारत की तरफ से 50 लाख डॉलर योगदान दिया। दोनों तरफ की जनता के बीच संपर्क का नया अभियान शुरू करना, वर्ष 2025 में आसियान-भारत एफटीए में संशोधन करने के अलावा हेल्थ सेक्टर में सहयोग को बढ़ाना, ग्रीन हाइड्रोजन में सहयोग बढ़ाने जैसे मुद्दों को पीएम मोदी ने शामिल किया है।

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