Mata Sita Shrap: झूठ बोलने के कारण इन सभी को झेलना पड़ा था माता सीता का क्रोध, आज भी भुगत रहे हैं श्राप
रामायण को हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथों में शामिल किया जाता है। इसमें वर्णित पौराणिक कथाएं ज्ञान का भंडार हैं जो सभी लोगों को प्रेरणा देने का काम करती हैं। ऐसे में आज हम आपको रामायण में वर्णित एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं जिसमें झूठ बोलने पर इन सभी को माता सीता के क्रोध का सामना करना पड़ा था।
HighLights
- रामायण की कथा पढ़ने व सुनने से मिलते हैं कई लाभ।
- माता सीता ने इन सभी को बनाया पिंडदान का साक्षी।
- आज भी माता सीता का श्राप झेल रहे हैं ये लोग।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामायण से संबंधित कई कथाएं पढ़ने और सुनने को मिलती हैं। माता सीता, रामायण ग्रंथ के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। जिन्हें भगवान श्रीराम की पत्नी के रूप में वर्णित किया गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं माता सीता से जुड़ी एक ऐसी कथा, जिसमें यह बताया गया है कि माता सीता का श्राप किन लोगों को आज भी झेलना पड़ रहा है।
माता सीता ने लिया यह निर्णय
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, जब वनवास के दौरान प्रभु श्री राम को अपने पिता अर्थात राजा दशरथ की मृत्यु का पता चला, तो वह उनका पिंडदान करने के लिए बिहार के गया धाम पहुंचे। इस दौरान भगवान राम और लक्ष्मण पिंडदान की तैयारी के लिए सामग्री एकत्रित करने चले गए। इस दौरान राजा दशरथ की आत्मा ने माता सीता से आकर कहा कि पिंडदान का समय निकल रहा है और अगर सही समय पर पिंडदान न किया गया, तो इससे मुझे मुक्ति नहीं मिलेगी। लेकिन उस समय वहां पर भगवान राम उपस्थित नहीं थे, जिस कारण माता सीता ने खुद ही पिंडदान करने का निर्णय लिया।
इन्हे बनाया साक्षी
राजा दशरथ के पिंडदान के दौरान माता सीता ने तट पर मौजूद ब्राह्मण, गाय, वटवृक्ष, कौवे और फल्गु नदी को इसका साक्षी बनाया। राजा दशरथ ने माता सीता का पिंड दान स्वीकार किया और वह तृप्त होकर पितृ लोक को चले गए। इस दौरान जब भगवान राम और लक्ष्मण लौटे तो सीता जी ने उन्हें सारी बात बताई। लेकिन यह सुनकर राम और लक्ष्मण को बहुत ही आश्चर्य हुआ। तब सीता जी ने उन सभी साक्षी को गवाही के लिए बुलाया, जिसमें से केवल वटवृक्ष ने सत्य कहा। लेकिन अन्य सभी साक्षी इस बात से मुकर गए और कहने लगे कि उन्हें इस विषय में कोई जानकारी नहीं है। फल्गु नदी गए और केतकी ने दिया कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता।