पिता को देख छलक उठी मासूम की आंखे, पांच दिन से पेरशान था परिवार, पिता और बच्ची को मिलवाने में नईदुनिया बना माध्यम

बच्ची की मां मानसिक रोगी है,जो पांच दिन पहले सुबह साढ़े चार बजे ही अपने साथ बच्ची को लेकर घर से निकल गई थी और जैसे-तैसे अपने गांव बरेला से 40 किलोमीटर दूर सिम्स पहुंच गई। यहां उसने अपनी बच्ची को सिम्स की ओपीडी (आउट साइड पेसेंट डिपार्टमेंट) में छोड़कर चली गई थी। ऐसे में बच्ची को चाइल्ड लाइन को सौंपा गया था।

HIGHLIGHTS

  1. बच्ची की मां मानसिक रोगी है, सुबह घर से बच्ची को लेकर निकल गई थी।
  2. वो बरेला से 40 किमी दूर सिम्स पहुंच गई और बच्ची छोड़कर चली गई थी।
  3. पिता और बड़े पिता खोज कर रहे थे​ कि नईदुनिया में बच्ची का फोटो दिखा।

 बिलासपुर। सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान) में छुटी तीन वर्ष की मासूम बच्ची को पांच दिन बाद उसका परिवार मिल गया है। गुरुवार को उसे लेने के लिए पिता के साथ उनके बड़े पिता आए थे। बच्ची के संबंध में प्रस्तुत दस्तावेज सही पाए जाने पर बच्ची को सौंपने की कार्रवाई चाइल्ड लाइन की टीम ने की। जैसे ही बच्ची ने अपने पिता को देखा, वैसे ही उसकी आंख खुशी से छलक उठी और अपने पिता को गले लगा लिया।

तीन साल की मासूम बच्ची को सिम्स में छोड़कर चली गई मां शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। इसके के बाद बड़े पिता कुशल धूरी और पिता संजय धूरी तलाश कर रहे थे। कुशल धुरी जब उसकी तलाश में बस में यात्रा कर रहे थे, इसी दौरान उनकी नजर नईदुनिया अखबार पर पड़ी।
खबर पढ़ते ही उनका चेहरा खिला
इसमें बच्ची की फोटो व खबर छपी हुई थी। खबर पढ़ते ही उनका चेहरा खिल गया। इसके बाद चाइल्डलाइन से संपर्क किया गया। इस पर चाइल्ड लाइन के कार्डिनेटर पुरूषोत्तम पांडेय ने उन्हें गुरुवार को चाइल्ड लाइन के दफ्तर में बुलाया था। इसके बाद बच्ची के पिता और बड़े पिता दफ्तर पहुंच गए। उनके द्वारा दिखाए गए कागजात में संजय धूरी के बच्ची के पिता होने की पुष्टि होने पर सभी प्राथमिकता पूरी कर मासूम को पिता को सौप दिया गया।
बच्ची के बड़े पिता कुशल धूरी ने बच्ची के मिलने पर नईदुनिया का आभार जताया है। उनका कहना है कि यदि नईदुनिया बच्ची की गुम हो जाने की खबर अखबार में प्रकाशित नहीं करता, तो शाम हमें बच्ची के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाता। हम तो सिर्फ आसपास के गांवों में बच्ची और उसकी मां की तलाश कर रहे थे। नईदुनिया ने खबर प्रकाशित कर बच्ची को परिवार से मिलवाने का काम किया है। नईदुनिया परिवार की यह मदद हम कभी नहीं भुलेंगे।
दी गई समझाइश, मां का कराएं इलाज
बच्ची को सुरक्षित रखने में सिम्स के सोशल वर्कर आशुतोष शर्मा के साथ ही चाइल्ड लाइन के कार्डिनेटर पुरूषोत्तम पांडेय ने महत्ती भूमिका निभाई। वहीं बच्ची को सौंपने को दौरान पिता को समझाइश दी गई कि बच्ची की मां का पूरा इलाज कराएं, क्योंकि इस तरह की घटना फिर से घट सकती है। उन्हें बताया गया कि शहर से लगे ग्राम सेंदरी में राज्य मानसिक चिकित्सालय संचालित होता है, वहां पर मां का इलाज करा सकते हैं। इससे मां भी ठीक हो जाएगी और बच्ची का भविष्य भी बेहतर हो जाएगा।

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