स्वच्छता की अलख जगी और हम बनाने लगे रोजाना 20 टन खाद :अनुपम तिवारी, प्रभारी, कछार डंपिंग जोन

स्वच्छ भारत अभियान को मूर्त रूप देने में शहर से निकलने वाले कचरा का निपटान करना एक बड़ी समस्या थी, इन बातों को ही ध्यान में रखकर चार साल पहले शहर से लगे ग्राम कछार में डंपिंग जोन बनाया गया और यह महज डंपिंग जोन तक की सीमित नहीं रहा, रोजाना निकलने वाले टनों कचरा का कोई न कोई उपयोग करना जरुरी था,

HIGHLIGHTS

  1. शहर के उद्यान बर रहे हरभरे, जिले के खेतों में इसी खाद से बढ़ रही पैदावार ।
  2. फर्टीलाइजर कंपनियों को भी कछार के डंपिंग जोन में कचरे से मिल रहा खाद
  3. शहर से निकलने वाला 30 से 40 प्रतिशत कचरा इन प्लांटों में खप जा रहा है।

प्रतिनिधि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में एक साथ पूरे देश में स्वच्छता का अलख जलाया और स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत हुई। वही अब इसके दस साल बाद यह अभियान मूर्त रूप पाने के अंतिम चरण में आ चुका है।

बिलासपुर में भी इस अलख का असर दिखा है, दस साल पहले के शहर और के शहर में बहुत अंतर आ चुका है। अब शहर साफ, स्वच्छ और सुंदर नजर आता है, वही अब इस स्वच्छता को बरकरार रखने के लिए जमीनी स्तर पर कार्य चल रहे है। जिसका जीवंत उदाहरण नगर निगम के ग्राम कछार स्थित डंपिंग जोन में देखने को मिल रहा है।
जहां हर दिन शहर से निकलने वाला 220 टन कचरा पहुंचाया जा रहा है ऐसे में इन कचरा के एक बड़े यूनिट से खाद बनाने का निर्णय लिया गया, ताकि इसका सही उपयोग हो सके और यह कार्य ठेका में दिया गया। वही अब चार साल बाद डंपिंग जोन में हर दिन 20 टन खाद बन रहा है, जो कचरा से खाद बनाने में पूरे प्रदेश में अग्रणी स्थान पर आ रहा है। जो शहर के उद्यान को हरा-भरा बना रहा है, साथ ही स्थानीय कृषक इसी खाद का उपयोग कर अपने फसल का पैदावार बढ़ा रहे है।
वही यह खाद भी दमदार बन रहा है, क्योंकि इसे बनाने में छह महिने का समय लगता है, इस खाद को बनाने में कड़ी मेहनत की गई है, इसी वजह से यह श्रेष्ठ दर्जे का बन रहा है। साफ है कि मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को पूरी ईमानदारी से साकार किया जा रहा है, इसका फायदा सभी को मिल रहा है और शहर भी साफ, स्वचछ और सुंदर होता जा रहा है।
प्रोसेस के बाद पावर प्लांट पहुंच रहा कचरा
सरकार का ही निर्देश है कि कचरा निपटान के लिए क्षेत्र में संचालित होने वाले पावर प्लांट का भी सहयोग लिया जाए, इसके तहत सरकार ने नियम बनाया है कि पावर प्लांट में 90 प्रतिशत कोयला के साथ ही 10 प्रतिशत रिसाइकल किया गया कचरे का उपयोग किया जाए, इसमे प्लास्टिक के साथ अन्य कचरा शामिल है, ऐसे में क्षेत्र में पावर प्लांट में रोजाना शहर से निकलने वाला 30 से 40 प्रतिशत कचरा इन प्लांटों में खप जा रहा है, एक तरह से कचरे का सही निपटान हो रहा है और इससे ऊर्जा भी बन रहा है।
फर्टीलाइजर कंपनी को मिल रहा खाद
कछार के डंपिंग जोन में बनने वाले खाद के लिए दो फर्टीलाइजर कंपनी से अनुबंध किया गया है, जो खाद की खरीदी करते है। इसमे कृफ्को खाद कंपनी और एनएफएल (नेशनल फर्टीलाइजर लिमिटेड) प्रमुख है, जो इन खाद की पैकेजिंग कर रहे है, इन दोनों कंपनियों के पास बड़ी मात्रा में कचरा से बना खाद पहुंच रहा है और स्वच्छ भारत अभियान को मूर्त रूप मिलते जा रहा है।

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