गार्डनिंग का शौक: आर्गेनिक फल-सब्जियों के स्वाद के साथ मानसिक स्वास्थ्य को कर रहे बेहतर
गार्डनिंग करने से न केवल शरीर को शारीरिक रूप से सक्रिय रखा जा सकता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी साबित हो रही है। बिलासपुर में कई लोग अपने घरों में गार्डनिंग का आनंद ले रहे हैं और दूसरों को भी इस दिशा में प्रेरित कर रहे हैं।
HIGHLIGHTS
- सेहत के लिए खज़ाने से कम नहीं है आर्गेनिक खाद्य पदार्थ
- शहरी जीवन में गार्डनिंग का शौक भा रहा शहरवासियों को
- बिलासपुर में कई लोग अपने घरों में गार्डनिंग का आनंद ले रहे
बिलासपुर। प्लांटेशन और गार्डनिंग अब केवल शौक तक सीमित नहीं रहे, बल्कि यह तनाव दूर करने का बेहतरीन माध्यम बनते जा रहे हैं। आज के समय में लोग अपने घरों की छतों और आंगनों में पौधों की देखभाल कर न केवल ताजगी भरी हवा का आनंद ले रहे हैं, बल्कि खुद उगाए गए आर्गेनिक फल और सब्जियों का स्वाद भी चख रहे हैं।
आर्गेनिक फलों और सब्जियों का टेरेस पर उत्पादन
रामा ग्रीन सिटी के रहने वाले सीएल पटेल अपने घर की छत पर टमाटर के पौधे लगाए हैं। सालभर उन्हें बाजार से टमाटर खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती, जिससे वे टमाटर की बदलती कीमतों से भी बेफिक्र रहते हैं। पेशे से किसान पटेल के पास उन्नत बीज हैं, जिनसे वे अपने टेरेस पर ही टमाटर की खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि गार्डनिंग न केवल एक शौक है, बल्कि इससे मिलने वाली ताजगी और शुद्धता का कोई मुकाबला नहीं। सीएल पटेल का कहना है कि उनके छत पर उगे टमाटर के पौधों को देखकर पड़ोसी भी प्रेरित होते हैं। वे स्वयं दूसरों को गार्डनिंग के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
स्वाद और सेहत के लिए आर्गेनिक खाद का उपयोग
चंदेला नगर निवासी केनेथ कालिंस ने अपने टेरेस पर रेड बेरी, शहतूत, आम, अमरूद, नींबू, माल्टा, अंगूर और अनार जैसे फलों के पौधे लगाए हैं। कालिंस बताते हैं कि आजकल बाजार में मिलने वाले फलों को पकाने के लिए केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो उनके स्वाद को प्रभावित करता है और सेहत के लिए हानिकारक भी होता है। इस समस्या से निपटने के लिए वे खुद गोबर, बेसन, गोमूत्र, दही और गुड़ की सहायता से जैविक खाद तैयार करते हैं। इससे न केवल फलों का स्वाद बढ़ता है, बल्कि ये स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं।