छत्तीसगढ़ के हर लोकसभा क्षेत्र में IIT की तर्ज पर खुलेंगे प्रौद्योगिकी संस्थान, स्कूलों में 18 बोली-भाषा में होगी पढ़ाई
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में अब 18 स्थानीय बोली-भाषाओं में शिक्षा दी जाएगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है, जिससे आदिवासी अंचलों के विद्यार्थियों को उनकी स्थानीय भाषाओं में बेहतर शिक्षा मिल सके। इस पहल के तहत, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) ने किताबों के लेखन का कार्य शुरू कर दिया है।
HIGHLIGHTS
- पहले चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी अन्य बोली में किताब लेखन शुरू।
- छत्तीसगढ़ के 211 स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में किया जाएगा विकसित।
- उच्च शिक्षा कोर्स को रोजगारमूलक बनाने के लिए उच्च शिक्षा मिशन का गठन।
रायपुर। स्कूलों में अब 18 स्थानीय बोली-भाषा में पढ़ाई हाेगी। इससे आदिवासी अंचलों के विद्यार्थी स्थानीय बोली-भाषा में बेहतर सीख सकेंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने यह फैसला लिया है। सीएम के निर्देश के बाद राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने लेखन कार्य शुरू कर दिया है। पहले चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादड़ी, गोंडी और कुडुख में किताब लेखन किया जाएगा। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू हो चुकी है।
इस नीति के अनुसार विद्यार्थियों को स्थानीय-बोली भाषा में पढ़ाई करानी है। एससीईआरटी के संचालक राजेंद्र कटारा ने बताया कि किताबों का लेखन शुरू कर दिया गया है। उच्च शिक्षा में भी पाठ्यक्रम का बदलाव किया जा रहा है। आइआइटी की तर्ज पर प्रदेश के हर लोकसभा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी संस्थान आरंभ करने जा रहे हैं। इसके लिए पहले चरण में रायपुर, रायगढ़, बस्तर, कबीरधाम और जशपुर में इनकी स्थापना की जाएगी।
राज्य में कई बोली-भाषा, इनमें चुनिंदा पर हो रहा काम
एक सर्वे के मुताबिक प्रदेश में 93 बोली-भाषाएं हैं। इनमें चुनिंदा 18 बोली-भाषा पर काम हो रहा है। इसके लिए स्थानीय बोली-भाषा विशेषज्ञों की मदद से किताबों का लेखन चल रहा है। राज्य निर्माण के बाद तत्कालीन सरकार ने 2007 में छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया था। उसके बाद छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध और विकसित करने के लिए 2008 में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग का गठन किया था।
इसके पहले सचिव पद्मश्री सुरेंद्र दुबे थे, जिनके कार्यकाल में अनेक साहित्यकारों की करीब 1200 पुस्तकें छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रकाशित हुई हैं। छत्तीसगढ़ी बोली-भाषा का व्याकरण हीरालाल काव्योपाध्याय ने तैयार किया था, जो हिंदी के व्याकरण से भी पुराना माना जाता है। इसके अलावा बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा में एक शिलालेख है, जो छत्तीसगढ़ी भाषा में है। इसे 1700 ईस्वी का बताया जाता है। छत्तीसगढ़ अपनी बोली-भाषा की विविधता से समृद्ध है। हमारे यहां कहावत प्रचलित है कि ”कोस-कोस मा पानी बदलय, चार कोस मा बानी”।
पीएमश्री स्कूल योजना से संवारेंगे स्कूल
स्कूलों की अधोसंरचना को बेहतर करने और यहां शैक्षणिक सुविधाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार ने प्रथम चरण में प्रदेश के 211 स्कूलों में पीएमश्री योजना आरंभ की है। इन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। तीसरे चरण में 52 स्कूलों की स्वीकृति केंद्र सरकार से मिली है। स्कूलों में स्थानीय भाषाओं के साथ रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे विषय भी पढ़ाए जाएंगे। विद्यार्थियों के लिए न्योता भोज का आयोजन भी किया जा रहा है। इसमें जन्मदिन जैसे विशेष अवसरों पर स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने समाज की सहभागिता सुनिश्चित की गई है।
छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा मिशन का गठन
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उच्च शिक्षा में भी अपनाया गया है। इसके चलते उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम को भी रोजगारमूलक बनाया जा रहा है। राज्य में उच्च शिक्षा मिशन का गठन किया गया है।
मेडिकल शिक्षा का विस्तार
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति को मजबूत करने मेडिकल शिक्षा का लगातार विस्तार जरूरी है। हमने संभाग स्तर पर एम्स की तर्ज पर छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (सिम्स) आरंभ करने का निर्णय लिया है। रायपुर में आंबेडकर अस्पताल तथा बिलासपुर में सिम्स के भवन विस्तार व अन्य सुविधाओं पर काम प्रारंभ कर दिया है।