हेलो डॉक्टर: बिना फोन बजे सुनाई दे रही रिंग और फोन के बिना हो रही बेचैनी तो डाक्टर को दिखाएं

आधुनिक युग में, तकनीक ने हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। एक तरफ जहां स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा ने हमारे दैनिक जीवन को सरल और सुलभ बना दिया है। वहीं दूसरी तरफ कुछ मानसिक विकार भी सामने आए हैं, जैसे कि नोमोफोबिया और फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम या फ़ोन रिंगिंग सिंड्रोम।

HIGHLIGHTS

  1. नोमोफोबिया और फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम जैसी समस्याएं आधुनिक तकनीकी युग की देन
  2. इस विकार से न केवल मानसिक स्वास्थ्य , सामाजिक और शैक्षणिक जीवन भी प्रभावित
  3. मनोरोग विशेषज्ञ डा. अनिल यादव ने बताए इन समस्याओं से निपटने के उपाय

 बिलासपुर। अपोलो अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डा. अनिल कुमार यादव बताते हैं कि नोमोफोबिया और फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम जैसी समस्याएं आधुनिक तकनीकी युग की देन हैं, जो विशेष रूप से युवाओं को प्रभावित कर रही हैं। ये विकार न केवल मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक जीवन को भी प्रभावित करते हैं। इसे समय रहते पहचानना और सही कदम उठाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन वे कहते हैं कि आज लोग इस समस्या को एड्रेस ही नहीं करना चाह रहे हैं। उन्हें इस समस्या का एहसास तो है, लेकिन फिर भी लोग इस समस्या से निपटने के लिए किसी भी तरह के कदम नहीं उठा रहे हैं।

नोमोफोबिया: मोबाइल फोन से दूर रहने का डर

नोमोफोबिया एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति अपने मोबाइल फोन से दूर रहने पर अत्यधिक चिंता और असहजता महसूस करता है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति का फोन बंद हो जाता है, बैटरी खत्म हो जाती है या वह अपना फोन भूल जाता है। इसके लक्षणों में बार-बार फोन चेक करना, फोन न होने पर घबराहट, नींद में बाधा और सामाजिक अलगाव शामिल हैं। इसके साथ ही सामाजिक अलगाव, शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट और नींद की कमी जैसी समस्याएं भी देखी जा सकती हैं।

फैंटम वाइब्रेशन-रिंगिंग सिंड्रोम

फैंटम वाइब्रेशन-रिंगिंग सिंड्रोम एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसका फोन वाइब्रेट कर रहा है, जबकि ऐसा नहीं होता। यह सिंड्रोम विशेष रूप से उन लोगों में देखा जाता है जो अपने फोन का अत्यधिक उपयोग करते हैं। इस सिंड्रोम के लक्षणों में फैंटम वाइब्रेशन की अनुभूति, फोन का बार-बार चेक करना, और ध्यान भंग होना शामिल हैं। इसके साथ ही ध्यान भंग होना, चिंता और तनाव जैसी समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं।

 

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