18वीं शताब्दी के अंत में रायपुर में थे 3000 मकान, कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव से जुड़ा है यहां का इतिहास"/>

18वीं शताब्दी के अंत में रायपुर में थे 3000 मकान, कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव से जुड़ा है यहां का इतिहास

कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव के दो शिलालेख पंद्रहवीं सदी के आरंभिक वर्षों के हैं, जिनसे ब्रह्मदेव के वंश में उसके पिता रामचंद्र के क्रम में सिंहण और लक्ष्मीदेव की जानकारी मिलती है। रायपुर शहर का उल्लेख 1790 (18वीं शताब्दी के आखिर) में आए अंग्रेज यात्री डेनियल राबिन्सन लेकी की यात्रा वृत्तांत में भी मिलता है।

HIGHLIGHTS

  1. प्रतिभागियों ने जाना रायपुर शहर का समृद्ध इतिहास
  2. रायपुर में है कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव के दो शिलालेख
  3. इंडिया टूरिज्म की तर्ज पर रायपुर में हेरिटेज वॉक

 रायपुर। इंडिया टूरिज्म की तर्ज पर रायपुर में हेरिटेज वॉक का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से प्रतिभागियों को ऐतिहासिक और सांकृतिक विरासत से परिपूर्ण जगह पुरानी बस्ती के बारे में जानकारी दी गई। रिमझिम बरसात के बीच रायपुर के इतिहास और संस्कृति को जानने कुछ लोग सुबह सात बजे पुरानी बस्ती के लिली चौक पर एकत्रित हुए। सभी के चहरे पर उत्सुकता और जिज्ञासा झलक रही थी। फिर सभी पुरानी बस्ती के जैतू साव मठ की ओर आगे बढ़े। टूरिज्म विशेषज्ञ और इतिहास के जानकार डा. आलोक कुमार साहू भी उनके साथ मौजूद थे। उन्होंने शहर की विरासत के बारे में जानकारी दी। प्रतिभागियों ने बड़ी ही उत्सुकता से उनकी बातों को सुना।

डा. साहू ने रायपुर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कल्चुरी शासक ब्रह्मदेव के दो शिलालेख पंद्रहवीं सदी के आरंभिक वर्षों के हैं, जिनसे ब्रह्मदेव के वंश में उसके पिता रामचंद्र के क्रम में सिंहण और लक्ष्मीदेव की जानकारी मिलती है।
साथ ही रायपुर शहर का उल्लेख 1790 (18वीं शताब्दी के आखिर) में आए अंग्रेज यात्री डेनियल राबिन्सन लेकी की यात्रा वृत्तांत में भी मिलता है, जिसमें उन्होंने बताया है कि यहां बड़ी संख्या में व्यापारी और धनाढ्य लोग निवास करते हैं।

साथ ही बताया गया है कि यहां किला है, जिसका निचला भाग पत्थरों का और ऊपरी हिस्सा मिट्टी का है। किले में पांच प्रवेश द्वार हैं। पास ही रमणीय सरोवर है। पांच साल बाद आए कैप्टन जेम्स टीलियर ब्लंट बताते हैं कि नगर में 3 हजार मकान थे। नगर के उत्तर-पूर्व में बहुत बड़ा किला है, जो ढहने की स्थिति में है।naidunia_image

जानिए टूरी हटरी जगह का नाम कैसे पड़ा

डा. आलोक कुमार साहू के नेतृत्व में वॉक का समापन टूरी हटरी पर हुआ, जिसके बारे में उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं को सदैव ही सम्मान पूर्ण स्थान दिया जाता रहा है, इसका उदहारण है टूरी हटरी। 14वीं शताब्दी के अंत में टूरी हटरी बाजार का इलाका ब्रम्हपुरी नगर के नाम से जाना जाता था।

तब यहां छोटे स्तर पर बाजार लगना शुरू हुआ। पहले यहां छोटी-छोटी बच्चियां बाजार में बैठती थीं, जो महिलाओं-युवतियों के साज-शृंगार का सामान बेचती थीं। तब इस बाजार का नाम टूरी हटरी रख दिया गया। टूरी का मतलब छोटी बच्ची और हटरी का मतलब बाजार होता है।

आप भी बन सकते हैं हेरिटेज वॉक का हिस्सा

पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार और छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में हेरिटेज वॉक शृंखला का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत शुक्रवार से हुई। इसी कड़ी में अगले दो शुक्रवार यानी 19 और 26 जुलाई 2024 को दो और हेरिटेज वाक की योजना बनाई गई है, जिसका समय सुबह सात से नौ बजे है।

यह विरासत वाक शृंखला की रोमांचक पहल सभी इतिहास और संस्कृति प्रेमी प्रतिभागियों के लिए निश्शुल्क रखी गई है। वाक में शामिल होने के लिए अग्रिम पंजीकरण मो.नं 9968041077 और 7009700747 अथवा छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के उद्योग भवन स्थित रायपुर कार्यालय पर संपर्क कर किया जा सकता है।

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