चकरा गया अधिकारी का सिर, जब उसकी ID पर ऑनलाइन कंपनी बनाकर करोड़ों का हुआ लेन-देन, आयकर ने भेजा नोटिस
छत्तीसगढ़ में टैक्स चोरी का हैरान कर देने वाला सामने आया है। यहां जालसाजों ने छत्तीसगढ़ के अफसर की आधार और पैन कार्ड के जरिए जीएसटी नंबर हासिल की। इसके बाद जालसाजों ने फर्जी कंपनी बनाकर करोड़ों रुपये के टैक्स चोरी कर दिए।
HIGHLIGHTS
- अफसर के आधार कार्ड और पैनकार्ड का उपयोग कर बनाई गई कंपनी
- अफसर की आईडी से बनाई कंपनी से किया गया दो करोड़ से ज्यादा का लेन-देन
- आयकर विभाग के नोटिस के बाद अफसर को लगी खबर, फिर थाने में की शिकायत
रायपुर। छत्तीसगढ़ समाज कल्याण विभाग में पदस्थ अधिकारी मनीष पाठक के नाम पर उनकी जानकारी के बगैर दो ऑनलाइन कंपनी बनाकर करोड़ों रुपये का लेन-देन किया गया। अधिकारी को आयकर विभाग से नोटिस जारी होने के बाद इसकी जानकारी मिली। आमानाका थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पूर्व में भी डाक्टर और सीए को बनाया है निशाना, आरोपित अब तक पहुंच से दूर
पेशे से सीए और ट्रांसपोर्टिंग कारोबार से जुड़े अंकित बांगर को अपने नाम से कंपनी होने की जानकारी तब मिली, जब उन्होंने आइटी रिटर्न जमा करने के लिए फार्म निकाला। इससे पता चला कि उनके पैन नंबर से हैदराबाद में कंपनी चल रही है। उनके जीएसटी नंबर पर करोड़ों रुपये का कारोबार किया जा रहा है। इसके बाद विधानसभा थाने में अपराध दर्ज किया गया।
फेक कंपनी बनाकर करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी
राजधानी सहित प्रदेश के कई शहरों के लोगों के आधार, पैनकार्ड और अन्य निजी जानकारी हैक कर जालसाज जीएसटी नंबर हासिल कर, फेक कंपनी बनाकर करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी कर रहे हैं। इस संबंध में जीएसटी के अफसर संदिग्ध कंपनियों को नोटिस भेजकर जानकारी हासिल कर रहे हैं।
डॉक्टर के नाम पर दिल्ली में कंपनी
सड्डू निवासी डा. दीपक जायसवाल मोवा स्थित एक निजी अस्पताल में सेवा दे रहे हैं। चिकित्सा को छोड़ वे और कोई कारोबार नहीं करते। डाक्टर को भी अपने नाम से जीएसटी नंबर हासिल कर कारोबार करने की जानकारी आइटी रिटर्न जमा करने के दौरान मिली। डाक्टर के नाम से जालसाज दिल्ली में फर्जी कंपनी खोलकर कारोबार कर रहे हैं।
हैकर नंबरों का इस तरह से कर रहे दुरुपयोग
पुलिस के मुताबिक हैकर लोगों के पैन और आधार कार्ड की कापी निकालकर फेक डिजिटल सिग्नेचर तक कर रहे हैं। इसके बाद उसके माध्यम से जीएसटी नंबर हासिल कर किसी दूसरे राज्य में कंपनी खोलकर जीएसटी चोरी कर रहे हैं। ठगी के शिकार को ठगी की जानकारी तब मिलती है, जब उसके पास जीएसटी का नोटिस पहुंचता है।