Bilaspur CIMS News: घायल को सिम्स में मिला नया जीवन, इंटरनेट मीडिया ने घर तक पहुंचाया
राज्य के मरीज है पहुंच रहे इलाज के लिए सिम्स बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। जहां पर बिलासपुर के साथ कोरबा, मुंगेली, जीपीएम, जांजगीर-चांपा, अंबिकापुर, सरगुजा आदि जिले के मरीज इलाज करवाने के लिए आते है। इसके साथ ही सीमावर्ती राज्य में मध्यप्रदेश, उड़ीसा, बिहार, झारखंड के मरीज भी सिम्स में इलाज करवाने के लिए आ रहा है, जो सिम्स के लिए बड़ी उपलब्धि है।
HIGHLIGHTS
- घायल को सिम्स में मिला नया जीवन, इंटरनेट मीडिया ने घर तक पहुंचाया
- सिम्स के डाक्टरों व सोशल वर्कर के प्रयासों से
- स्वस्थ्य होकर महाराष्ट्र के नांदेड़ अपने घर पहुंचा
बिलासपुर। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स में एक बार फिर ऐसे बुजुर्ग की जान बचाई गई है जो महाराष्ट्र के नांदेड़ जिला का रहना है। जो कुछ दिनों पूर्व रेल दुर्घटना में अपना एक हाथ गंवा चुका था अज्ञात मरीज के रूप में उसे बीते 25 मई को गंभीर दशा में सिम्स में भर्ती कराया गया था। मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सालय के सर्जरी विभाग व अस्थि विभाग के चिकित्सकों ने गहन चिकित्सा कर उसे नया जीवन दिया।
नया जीवन
इसके बाद एक दुविधा यह आई कि उसे अपने रिश्तेदारों का मोबाइल नंबर तक पता नहीं था, इसके बाद सिम्स के सोशल वर्कर इंटरनेट में सक्रिय हुए और महज दो घंटे में मरीज के स्वजन खोज निकाले, वही अब मरीज सुरक्षित अपने घर पहुंच गया है। सर्जरी विभाग के चिकित्सक डा़ नीरज शिंदे, डा़ राजेन्द्र सिंह, डा़ शोभा एक्का, डा़ दिव्यश्री सिंह व अस्थि विभाग से डा़ आरके दास, डा़ संजय गिल्ले, डा़ अविनाश अग्रवाल, डा़ शुभम पांडेय की टीम ने तत्काल इलाज प्रारम्भ किया। मरीज की देखभाल में नर्सिग स्टाफ कंचना, इन्दु स्वाती, अनुपा, मोहन, संतोषी का भी विशेष योगदान रहा। मरीज के स्वास्थ्य में सुधार आने के बाद उसने अपना नाम रहीम खान उम्र 60 वर्ष, पता महाराष्ट्र का बताया।
घर जाने की इच्छा
परिवार के किसी भी सदस्य का मोबाइल नंबर रहीम खान को याद नही था। रहीम खान ने चिकित्सकों से अपने घर जाने की इच्छा जाहिर, लेकिन पूरी तरह से स्वस्थ ना होने एवं परिवारजनों से संपर्क ना होने के कारण अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनकी छुटटी का आग्रह स्वीकार नही किया। इसके बाद सिम्स अधीक्षक डा़ एसके नायक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए चिकित्सालय में कार्यरत सोशल वर्कर आशुतोष शर्मा को मरीज का घर व परिजन खोजने की जिम्मेदारी दी। इसके बाद आशुतोष ने तत्काल बिलासपुर की टीम मानवता के अध्यक्ष प्रिन्स वर्मा से संपर्क किया।
मानवता टीम
तब मानवता टीम वालों ने बताया कि हमारी यह संस्था महाराष्ट्र में भी कार्य करते है, इसके बाद सभी ने मिलकर मरीज की फोटो व अन्य जुरुरी जानकारी इंटरनेट मीडिया में अपलोड किया। अपलोड करने के महज दो घंटे बाद ही रिप्लाई मिला कि मरीज महाराष्ट्र के नादेड़ जिला का रहने वाला है, हम उनके परिवार से संपर्क करते है। इसके बाद उसके लड़के को खोजा गया और उसे जानकारी दी गई कि इसके बाद उनका लड़का मोसीन खान दस जुलाई को सिम्स पहुंचा और अपने पिता को स्वस्थ पाकर खुश हो गया।
कार्य की सराहना
पिता से मिल कर पुत्र ने सिम्स चिकित्सालय के द्वारा किये गये कार्य की सराहना की और आवश्यक कार्यवाही पूर्ण कर अपने पिता को अस्पताल से खुशी-खुशी नादेड़, महाराष्ट्र अपने घर ले गया। समय-समय पर साबित कर रहा अपनी श्रेष्ठता सिम्स में बीच-बीच जटिल सर्जरी कर मरीजों की जान बचाने का काम किया जा रहा है। खासतौर से मेडीसिन डिपार्टमेंट, डेंटल डिपार्ट, ईएनटी डिपार्टमेंट के साथ आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के चिकित्सक व स्टाफ बेहतरीन कार्य कर रहे है। इन विभाग के वरिष्ठ और जुनियर डाक्टरों के बीच मरीज व उसके इलाज के लिए अच्छा तालमेल है।ऐसे में ये एक टीम की तरह कार्य करते हुए समय-समय पर मरीजों का जान बचाने का काम कर रहे है।