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Skanda Shashti 2024: क्यों की जाती है भगवान कार्तिकेय की पूजा, पढ़िए धार्मिक महत्व

HIGHLIGHTS

  1. हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि भगवान कार्तिकेय को है समर्पित।
  2. इस बार स्कंद षष्ठी व्रत 11 जुलाई 2024 को रखा जाने वाला है।
  3. इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने का बहुत महत्व होता है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Skanda Shashti 2024: आषाढ़ माह में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। स्कंद षष्ठी, जिसे षष्ठी व्रत और कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इसे भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है।

भगवान शिव और देवी पार्वती के छठे पुत्र कार्तिकेय की पूजा हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है। स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। आइए, जानते हैं कि स्कंद षष्ठी का व्रत क्यों रखा जाता है।

स्कंद षष्ठी तिथि 2024

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की स्कंद षष्ठी तिथि 11 जुलाई को सुबह 10.03 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 12 जुलाई को दोपहर 12.32 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी व्रत 11 जुलाई 2024 को ही रखा जाएगा।

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

  • स्कंद षष्ठी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए
  • साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा स्थल पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • इसके बाद दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं।
  • भगवान कार्तिकेय को फल, फूल, मिठाई और नैवेद्य चढ़ाएं और षष्ठी व्रत की कथा सुनें।
  • भगवान कार्तिकेय के मंत्र “ओम षडानन स्कंदाय नमः” का 108 बार जाप करें।
  • इस दिन व्रत रखें और सात्विक भोजन करें।
  • रात के समय भगवान कार्तिकेय की आरती करें।
  • ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन और दान दें।

क्यों की जाती है भगवान कार्तिकेय की पूजा

भगवान कार्तिकेय का जन्म भयानक राक्षसों का नाश करने के लिए हुआ था। स्कंद पुराण के अनुसार, कहा जाता है कि जब भगवान शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह किया था, तो भगवान शिव ने अपना आपा खो दिया। राक्षसों ने इसका फायदा उठाया और ब्रह्मांड असहाय हो गया।

तारकासुर नाम का एक राक्षस था। ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करने के बाद वह सभी प्राणियों पर अत्याचार करने लगा और अधर्म भी फैलने लगा। तब ब्रह्मा जी ने देवताओं से कहा कि तारकासुर का वध केवल महादेव के पुत्र ही कर सकता है। तब षष्ठी तिथि को कार्तिकेय प्रकट हुए। तभी से स्कंद षष्ठी पर्व मनाया जाने लगा।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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