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Auspicious Activities : शुक्रोदय हुआ, 61 दिन बाद आज से फिर शुरू होंगे सभी शुभ-मांगलिक कार्य

सभी शुभ और मांगलिक कार्य शादी-विवाह, नामकरण, जनेऊ, मुंडन, गृहप्रवेश, भूमि पूजन, भवन-वाहन, आभूषण की खरीदारी शुरू हो जाएगी। शुक्र ग्रह के उदय होने से विवाह आदि के लिए इंतजार कर रहे लोगों को कुछ शुभ मुहूर्त भी मिलेंगे। आइए जानते हैं शुक्र के उदय होने के बाद कब से कब तक विवाह आदि कार्य किए जा सकेंगे।

HIGHLIGHTS

  1. जुलाई में केवल छह मुहुर्त हैं, जिनमें शुभकार्य आदि होंगे।
  2. नौ ग्रहों में गुरु, शुक्र और सूर्य का उदित होना जरूरी है।
  3. सुख-समृद्धि के कारक शुक्र ग्रह 29 अप्रैल को अस्त हुए थे।

 मैहर। धन, वैभव, प्रेम, सौंदर्य और सुख-समृद्धि के कारक शुक्र ग्रह 29 अप्रैल को अस्त हो गए थे। ज्योतिष के अनुसार, किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने के लिए शुक्र ग्रह का उदित होना बेहद जरूरी माना जाता है।

मैहर के देवीधाम के पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि 29 जून की शाम पश्चिम दिशा में शुक्र उदय होंगे। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी पर बुध की राशि मिथुन में शुक्र ग्रह का उदय हो रहा है। इस राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है।
कब से कब तक शुभ कार्य कर सकेंगे

शुक्रोदय होने के 10 दिन बाद ही शहनाइयां की गूंजेंगी। इसके बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्य शादी-विवाह, नामकरण, जनेऊ, मुंडन, गृहप्रवेश, भूमि पूजन, भवन-वाहन, आभूषण की खरीदारी शुरू हो जाएगी।

शुक्र ग्रह के उदय होने से विवाह आदि के लिए इंतजार कर रहे लोगों को कुछ शुभ मुहूर्त भी मिलेंगे। शुक्र के उदय होने के बाद कब से कब तक विवाह आदि कार्य किए जा सकेंगे।

मांगलिक कार्यों में ग्रहों की शुभता जरूरी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी-विवाह में शुभ मुहूर्त का होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। विवाह बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता कहा गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। शादी के शुभ मुहूर्त के लिए नौ ग्रहों में गुरु, शुक्र और सूर्य का उदित होना जरूरी माना गया है।

अगर रवि गुरु का संयोग हो तो यह और अधिक सिद्धिदायक और शुभ फलदायी होता है। इन तिथियों पर शादी-विवाह करना बेहद शुभ माना गया है। शुक्र और गुरु ग्रह के अस्त होने पर विवाह आदि कार्य नहीं किए जाते हैं।

शुक्र अस्त तिथि

शुक्र का उदय 29 जून 2024 की रात 7 बजकर 52 मिनट पर पर होगा. विवाह मांगलिक आदि कार्यो के लिए शुक्र तारे के उदित होने का विशेष महत्व बताया जाता है। इसके बाद 7, 9, 11, 12, 13, 15 जुलाई के दिन विवाह आदि हो सकेंगे।

इन दोनों तारों के उदित होने के बाद देवशयनी एकादशी तक विवाह आदि कार्य संपन्न किए जा सकेंगे। फिर 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद चातुर्मास का आरंभ होगा, जिससे चार महीने तक मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी।

इसके बाज 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी से विवाह मुहूर्त फिर से शुरू हो जाएंगे और 14 दिसंबर तक चलेंगे। नवंबर में विवाह के 7 और दिसंबर में 8 मुहूर्त मिलेंगे।

 

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