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Vaishakh Purnima 2024: पितरों को प्रसन्न करने के लिए वैशाख पूर्णिमा पर करें ये खास काम, मिलेगा लाभ

वैशाख पूर्णिमा के दिन तांबे के लोटे में जल लेकर भगवान विष्णु के अष्टभुजी स्वरूप का स्मरण करें। इसके बाद पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें।

HIGHLIGHTS

  1. पीपल के पेड़ के पूजा करने से पितर संतुष्ट होते हैं।
  2. पीपल का पेड़ लगाने से भी कई तरह के लाभ मिल सकते हैं।
  3. वैशाख पूर्णिमा 23 मई, गुरुवार को मनाई जाएगी।

धर्म डेस्क, इंदौर। Vaishakh Purnima 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा पर पीपल के पेड़ के पूजा करने से पितर संतुष्ट होते हैं। इसके कारण जातक के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 22 मई 2024 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है। वहीं, यह तिथि 23 मई 2024 को शाम 5 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में वैशाख पूर्णिमा 23 मई, गुरुवार को मनाई जाएगी।

पितर होंगे प्रसन्न

वैशाख पूर्णिमा के दिन तांबे के लोटे में जल लेकर भगवान विष्णु के अष्टभुजी स्वरूप का स्मरण करें। इसके बाद पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें। इसके बाद पेड़ की पांच बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। इसके साथ ही एक लोटे में जल लेकर दूध और काले तिल मिलाकर, पीपल के पेड़ पर चढ़ाएं। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति

शास्त्रों के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा पर पीपल के पेड़ की पूजा करने के अलावा पीपल का पेड़ लगाने से भी कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। इस प्रकार बृहस्पति ग्रह के नकारात्मक प्रभावों से छुटकारा मिलता है।

शनि दोष से मुक्ति के लिए

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में शनि या गुरु दोष हों, उन्हें पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए। पीपल के पेड़ की पूजा करने से ग्रहों से शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं। साथ ही जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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