Kaurav Janam Katha: गर्भ से नहीं, घी से भरे मटकों से हुआ था 100 कौरवों का जन्म, जानें क्‍या है पौराणिक कथा"/>

Kaurav Janam Katha: गर्भ से नहीं, घी से भरे मटकों से हुआ था 100 कौरवों का जन्म, जानें क्‍या है पौराणिक कथा

HIGHLIGHTS

  1. दो साल तक गर्भवती रही थी गांधारी
  2. गर्भ से निकला था लोहे जैसा मांसपिंड
  3. मांसपिंड के टुकड़ों से जन्मे थे कौरव

Kaurav Janam Katha धर्म डेस्क, इंदौर। महाभारत में 100 कौरवों का वर्णन मिलता है। इन सभी की माता गांधारी और पिता धृतराष्ट्र थे। महाभारत के अनुसार कौरव अधर्म और गलत नीतियों के पक्षधर थे, इसी के चलते पांडवों और कौरवों में राज्य को लेकर विवाद हुआ था और अंत में महाभारत युद्ध होता है, जिसमें पांडवों को विजय मिलती है। पौराणिक कथा के अनुसार कौरवों का जन्म महर्षि व्यास द्वारा दिए गए आशीर्वाद के चलते हुए था। कौरवों के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है यहां आपको बताते हैं।

महाभारत कथा के अनुसार, एक समय महर्षि व्यास भूख और परिश्रम से खिन्न होकर धृतराष्ट्र के महल पहुंचे थे, यहां गांधारी ने महर्षि को भोजन करवाया और उनके विश्राम की व्यवस्था की। जब महर्षि व्यास जी ने गांधारी से वर मांगने के लिए कहा तो, गांधारी ने अपने पति के समान ही सौ पुत्र मांगे। इसके बाद व्यास गांधारी को वरदान देकर वहां से चले गए।

निराश हो गई थी गांधारी

कथा के अनुसार, कुछ समय बीतने के बाद गांधारी गर्भवती हुई, लेकिन गर्भधारण के दो साल बीतने के बाद भी प्रसव नहीं हुआ। इसी बीच गांधारी को समाचार मिला कि कुंती ने सूर्य के समान एक पुत्र को जन्म दिया है, तो वे निराश हो गई और पेट पर आघात कर दिया, जिससे उनके गर्भ से मांस का एक पिंड निकला जो लोहे के समान कठोर था। यह स्थिति देख गांधारी ने मांसपिंड को फेंकने का मन बना लिया।

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महर्षि व्‍यास ने गांधारी को रोका

महाभारत के अनुसार जब महर्षि व्‍यास को इस घटना की जानकारी हुई तो, वे गांधारी के पास पहुंचे और उन्हें ऐसा करने से रोका। महर्षि व्यास ने गांधारी से कहा कि वे सौ मटके तैयार कर उसे घी से भर दें और उन सभी को गुप्त स्थान पर रखवाकर उसकी रक्षा की व्यवस्था करें, साथ ही मांसपिंड को ठंडे जल से सींचे।

दो साल बाद हुआ जन्‍म

जब गांधारी ने मांसपिंड को सींचा तो उसके सौ टुकड़े हो गए और इन टुकड़ों को गांधारी ने सभी 100 मटकों में रखवा दिया। जिस क्रम के साथ गांधारी से मांसपिंड के टुकड़ों को रखा था, उसी क्रम से दो साल बाद इन मटकों से सौ कौरवों का जन्‍म हुआ। इनमें सबसे पहले जन्म लेने वाला पुत्र दुर्योधन कहलाया और इस तरह गांधारी के सौ पुत्रों का जन्म हुआ था।

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