Garud Puran: अंतिम संस्कार के बाद लौटते समय पीछे मुड़कर बिल्कुल न देखें, गरुण पुराण में मिलता है वर्णन
हिन्दू धर्म में गरुड़ पुराण को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ देव से वार्ता के दौरान कुछ बातें बताई थीं। गरुड़ पुराण में स्वर्ग एवं नर्क लोक का विस्तृत विवरण दिया गया है। साथ ही अंतिम संस्कार से जुड़े विशेष नियम भी बताए हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है।
HIGHLIGHTS
- 16 संस्कारों में से एक है माना जाता है अंतिम संस्कार
- आत्मा की शांति के लिए 13 दिनों तक किए जाते हैं कर्मकांड
- अंतिम संस्कार की सारी क्रिया को देखती है आत्मा
धर्म डेस्क, इंदौर। Garud Puran: कहा जाता है की मृत्यु के बाद इंसान की आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है। मृत्यु के बाद कई तरह के कार्य किए जाते हैं। हिंदू धर्म में 16 संस्कार बताए गए हैं, जिनमें 16वां अंतिम संस्कार माना जाता है। इन संस्कारों के कई नियम भी होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। अंतिम संस्कार के लिए श्मशान जाने वाले लोग कई बार अनजाने में कुछ ऐसे कार्य कर देते हैं, जो उन्हें नहीं करने चाहिए जिनका अशुभ परिणाम उन्हें भविष्य में देखने को मिलता है।
कहा जाता है की दाह संस्कार के बाद श्मशान घाट से लौटते समय पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। इस बारे में गरुड़ पुराण में भी विस्तार से बताया गया है। आइए, जानते हैं कि इसका क्या कारण है ।
अमर मानी जाती है आत्मा
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा देह का त्याग कर देती है। अंतिम संस्कार के बाद शरीर भी भस्म हो जाता है, लेकिन आत्मा का अस्तित्व बना रहता है। भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि आत्मा अमर, अजर और अविनाशी है। आत्मा को कोई भी शास्त्र मार नहीं सकता है और ना ही अग्नि जला सकती है। ना ही इसे पानी में से डुबाया जा सकता है। जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो श्मशान ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया जाता है।
अंतिम संस्कार की सारी क्रिया देखती है आत्मा
अंतिम संस्कार के बाद आत्मा दूसरे लोक में चली जाती है। यदि दाह संस्कार के बाद कोई परिवारजन पीछे मुड़कर देखता है, तो परिवार के प्रति आत्मा का मोह उसे दूसरे लोक में जाने नहीं देता है, इसलिए मृतक की आत्मा की शांति के लिए 13 दिनों तक कई कर्मकांड किए जाते हैं। कहा जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा अपने अंतिम संस्कार की सारी क्रिया को देखती है। मृतक के परिजन श्मशान में मौजूद होते हैं और उनके प्रति उसका मोह होता है। ऐसे में जब पीछे मुड़कर देखते हैं, तो आत्मा को परलोक गमन करने में कठिनाई आती है।
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