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Raksha Khadse: मोदी की इस मंत्री की देशभर में हो रही चर्चा, पति के निधन के बाद रक्षा खडसे ने सरपंच पद से शुरू की थी राजनीति

महाराष्ट्र के रावेर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की तीन बार की सांसद रक्षा खडसे ने नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है।

HIGHLIGHTS

  1. Raksha Khadse profile: महाराष्ट्र की रावेर लोकसभा सीट से सांसद हैं रक्षा खडसे
  2. Who is Raksha Khadse: भाजपा छोड़ एनसीपी में गई एकनाथ खडसे की बहू हैं रक्षा
  3. Raksha Khadse News: 2013 में पति के निधन के बाद राजनीति में उतरी थीं रक्षा

एजेंसी, नई दिल्ली (Raksha Khadse profile)। नरेंद्र मोदी की टीम में हिस्सा पाने वाले युवा सांसदों में महाराष्ट्र की रक्षा खडसे भी शामिल हैं। रक्षा के संघर्ष की कहानी सामने आने के बाद देशभर में उनकी चर्चा हो रही है।

रक्षा के पति निखिल खडसे का 2013 में निधन हो गया था। इसके बाद रक्षा ने हिम्मत नहीं हारी। खुद को चारदीवारी में कैद करने के बजाए उन्होंने समाज सेवा के लिए आगे बढ़ने का फैसला किया।
दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारी के साथ ही उन्होंने राजनीति में कदम रखा। शुरुआत सरपंच पद से की। वे गांव कोठाडी से सरपंच चुनी गईं। इसके बाद जलगांव जिला परिषद के सदस्य के रूप में काम किया।

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स्थानीय राजनीति में शुरुआती सफलता के बाद उन्हें 26 साल की उम्र में 2014 में रावेर से सांसद के रूप में चुना गया। इस सीट पर रक्षा लगातार तीन बार से जीत दर्ज कर रही हैं।

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दो छोटे बच्चों को गोद में लिए हुए उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। ये तस्वीरें दिखाती हैं कि उनमें राजनीतिक जिम्मेदारियों के साथ अपने निजी जीवन को संतुलित करने की क्षमता भी है।

जिस स्थिति में मैंने अपनी यात्रा शुरू की थी, अगर मैं पीछे मुड़कर देखूं, तो मंत्री पद की शपथ लेना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। मेरे पति की मृत्यु तब हो गई थी, जब मेरा बेटा केवल ढाई साल का था और मेरी बेटी चार साल की थी। मेरी निजी जिंदगी दर्द से भरी थी, लेकिन लोगों के समर्थन और प्यार ने मुझे इन दुखों को भूलने में मदद की। – रक्षा खडसे, मंत्री पद के लिए चुने जाने के बाद

ससुर ने निभाई अहम भूमिका

एकनाथ कभी भाजपा के कद्दावर नेता था। बाद में शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो गए। उन्होंने रक्षा के एक मजबूत राजनेता बनाने में अहम भूमिका निभाई।

 

रक्षा कहती हैं, ‘अपनी बेटियों को मैदान में उतारने के बजाय, मेरे ससुर ने मुझे लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया और हमेशा मेरा समर्थन किया।’

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