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Lok Sabha Speaker: क्यों महत्वपूर्ण होता है लोकसभा अध्यक्ष पद, क्या-क्या जिम्मेदारियां होती हैं, किन परिस्थितियों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं स्पीकर

सदन के संचालन में लोकसभा अध्यक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अनुशासन सुनिश्चित करता है। साथ ही कई मामलों में लोकसभा अध्यक्ष का वोट निर्णायक साबित होता है।

HIGHLIGHTS

  1. सदन का संचालन करते हैं लोकसभा स्‍पीकर
  2. सदन की कार्यवाही का क्रम भी तय करते हैं
  3. सदस्‍य की योग्‍यता और अयोग्‍यता पर फैसला लेते हैं

Lok Sabha Speaker डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। लोकसभा चुनाव के बाद सरकार गठन का दौर शुरू हो गया है। भाजपा जेडीयू और टीडीपी के साथ केंद्र में गठबंधन की सरकार बनाने जा रही है और इन दलों से विभाग बंटवारे को लेकर चर्चा चल रही है। सर्वाधिक खींचतान लोकसभा अध्यक्ष पद के लेकर है। दरअसल, जेडीयू और टीडीपी दोनों ही यह पद अपने पास चाहती है। हालांकि फिलहाल अब तक इसको लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है। लेकिन आखिर लोकसभा अध्यक्ष का पद इतना महत्वपूर्ण क्यों है, यहां जानिए।

लोकसभा अध्यक्ष को पद काफी अहम होता है, कई मामलों में लोकसभा स्पीकर का फैसला निर्णायक होता है। जब सदन में बहुमत साबित करने का बारी आती है और दल बदल कानून लागू होती है, तब भी लोकसभा स्‍पीकर की अहमियत बढ़ जाती है। साथ ही सदन के सदस्यों की योग्यता और अयोग्‍यता का फैसला लेने का अधिकार भी स्पीकर के पास होता है।

कितनी  महत्‍वपूर्ण है लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका?

 
    • लोकसभा अध्यक्ष सदन का प्रतिनिधित्व करते हैं। सदन में अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए अध्यक्ष जिम्‍मेदार होता हैं।
    • लोकसभा अध्यक्ष ही तय करते हैं कि लोकसभा की कार्यवाही का क्रम क्‍या होगा, कौन सा प्रश्न कब पूछा जाएगा और कौन का सदस्य कितने समय तक बोलेगा।
    • वोटिंग के दौरान भी अध्यक्ष की भूमिका बढ़ जाती है और कई मामलों में अध्यक्ष का वोट निर्णायक बन जाता है। मान लीजिए किसी बिल पर वोटिंग हुई है और इसके पक्ष और विपक्ष में बराबर वोट पड़े हैं, ऐसे में अंत में लोकसभा सभा स्पीकर वोट करता है। कुल मिलाकर इस तरह की परिस्थितियों में बिल पास होगा या नहीं, यह तय करने की शक्ति लोकसभा स्‍पीकर के पास आ जाती है। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 100 के अनुसार अध्यक्ष किसी भी वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेता है, लेकिन उक्त स्थिति में ही मतदान कर सकता है।
    • सदन में अनुशासन तोड़ने पर अध्यक्ष सदस्य को सदन की कार्यवाही से निलंबित भी कर सकता है।
    • दल-बदल के आधार पर किसी भी सदस्य को अयोग्य ठहराने की शक्ति भी लोकसभा अध्यक्ष के पास रहती है।
    • लोकसभा की कोई भी प्रक्रिया जैसे स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव और निंदा प्रस्ताव अध्यक्ष की अनुमति के बगैर नहीं होती।
    • कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, यह तय करने की शक्ति भी अध्यक्ष के पास होती है।
  • सदन की कई समितियां लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में रहती है और इनके अध्यक्ष को लोकसभा स्‍पीकर ही मनोनीत करते हैं।

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