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Vastu Tips: क्या आप भी गिनकर बनाते हैं रोटी, तो जान लें वास्तु की ये जरूरी बातें

HIGHLIGHTS

  1. एकादशी के व्रत के दिन चावल खाना वर्जित माना जाता है।
  2. इस नियम को न मानने पर मां अन्नपूर्णा नाराज हो जाती हैं।
  3. रोटी बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

धर्म डेस्क, इंदौर। Vastu Tips: खाने से लेकर सोने तक वास्तु शास्त्र में कई तरह के नियम बताए हैं। इन नियमों का पालन करके व्यक्ति एक खुशहाल जीवन जीता है। इसी तरह हिंदू धर्म में रसोई घर को बहुत महत्ता दी गई है। इसे एक पवित्र स्थान माना जाता है, जहां बना हुआ खाना व्यक्ति को जीवन व्यतीत करने की शक्ति देता है। हर दिन रोटी बनाई जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार, रसोई में बनाई जाने वाली रोटी से जुड़े नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। वरना घर में बरकत नहीं रहती है। साथ ही कई तरह की परेशानियां आने लगती है।

 
 

इस दिन नहीं बनानी चाहिए रोटी

 

एकादशी के व्रत के दिन चावल खाना वर्जित माना जाता है। वहीं, दिवाली, शरद पूर्णिमा, शीतलाष्टमी, नागपंचमी और किसी की मृत्यु पर घर में रोटी नहीं बनाई जाती है। इस नियम को न मानने पर मां अन्नपूर्णा नाराज हो जाती हैं। ऐसे लोगों को अन्न और धन की कमी होने लगती है।

गिनकर न बनाएं रोटी

 
 

रोटी बनाने से पहले अपने परिवार के सदस्यों से पूछना कि वे कितना खाएंगे या रोटी खिलाते या खाते समय रोटी गिनना, यह बहुत ही गलत आदत है। हिंदू मान्यता में इसे शुभ नहीं माना जाता है। रोटी का संबंध सूर्य से होता है और जब आप इसे गिनकर बनाते हैं, तो आप सूर्य देव का अपमान करते हैं। ऐसे में तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

 

रोटी बनाते समय दिशा का ध्यान रखें

रोटी बनाते समय कुछ वास्तु नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए। जिस चूल्हे पर आप खाना बनाते हैं, वह आपकी रसोई के दक्षिण-पूर्व कोने यानी आग्नेय कोण में होना चाहिए। रोटी बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

 

पहली रोटी गाय को दें

 

रसोई में बनी पहली रोटी हमेशा गाय को देनी चाहिए। अगर गाय को नहीं खिला पाएं, तो पहली रोटी किसी कुत्ते को भी खिला सकते हैं। गाय या कुत्ते द्वारा रोटी खाने से उस घर में रहने वाले लोगों की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

 

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

 

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