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Ekadashi In April 2024: अप्रैल में इस दिन पड़ रही है एकादशी, जानिए सही तिथि और पूजा विधि

HIGHLIGHTS

  1. ये एकादशियां शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान आती हैं।
  2. शाम के समय भी भगवान विष्णु की पूजा करें।
  3. पीले फूलों की माला चढ़ाएं।

धर्म डेस्क, इंदौर। Ekadashi in April 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा बहुत महत्व होता है। एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। ये एकादशियां शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान आती हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। अगर इस दिन विधि-विधान से और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाए, तो जीवन में खुशहाली बनी रहती है। साथ ही धन से जुड़ी समस्याएं नहीं आती। आइए, जानते हैं कि अप्रैल माह में किस दिन एकादशी आ रही है।

पापमोचनी एकादशी (कृष्ण पक्ष)

एकादशी तिथि आरंभ – 4 अप्रैल 2024 – शाम 4.14 बजे।

एकादशी तिथि समाप्त – 5 अप्रैल 2024 – दोपहर 1.28 बजे।

पारण का समय – 6 अप्रैल 2024 – सुबह 05:36 से 08:05 तक।

कामदा एकादशी (शुक्ल पक्ष)

एकादशी तिथि आरंभ – 18 अप्रैल 2024 – शाम 5.31 बजे।

एकादशी समाप्ति तिथि – 19 अप्रैल 2024 – रात्रि 8:04 बजे।

पारण का समय – 20 अप्रैल 2024 – सुबह 05:50 से 08:26 तक।

एकादशी व्रत पूजा विधि

    • एक वेदी पर श्रीयंत्र के साथ भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित करें।
    • इसके बाद भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं और पूरी श्रद्धा से एकादशी व्रत का संकल्प लें।
    • श्रीहरि को स्नान कराएं।
    • भगवान को गोपी चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं।
    • पीले फूलों की माला चढ़ाएं।
    • “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
    • श्री कृष्ण महामंत्र का भी 108 बार जाप करें।
    • भगवान को पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें।
    • शाम के समय फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें।
    • भगवान को पीली मिठाई, फल आदि का भोग लगाएं।
  • आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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