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UNESCO On Ramcharitmanas: रामचरितमानस से लें सीख, ऐसे व्यक्ति कभी नहीं बन सकते हैं धनवान

रामचरितमानस में लक्ष्मण जी के माध्यम से बताया गया है कि जिन लोगों को नशा करने की आदत है, वह कभी धनवान नहीं बन सकते हैं।

HIGHLIGHTS

  1. यदि आप भी अपने जीवन में किसी परेशानी से जूझ रहे हैं या संकटों से घिरे हुए हैं तो रामचरितमानस आपको राह दिखा सकती है।
  2. हर व्यक्ति की चाह होती है कि खुद के साथ परिवार के लिए भौतिक सुखों की प्राप्ति करें और खूब धन कमाए।
  3. रामचरितमानस से आप सीख ले सकते हैं और अपने जीवन में कुछ बुरी आदतों से बिल्कुल तौबा कर लेना चाहिए।

धर्म डेस्क, इंदौर। रामचरितमानस हिंदुओं को सबसे पवित्र ग्रंथ है और इस ग्रंथ में जीवन जीने की कई सीख दी गई है। यदि आप भी अपने जीवन में किसी परेशानी से जूझ रहे हैं या संकटों से घिरे हुए हैं तो रामचरितमानस आपको राह दिखा सकती है। हर व्यक्ति की चाह होती है कि खुद के साथ परिवार के लिए भौतिक सुखों की प्राप्ति करें और खूब धन कमाए। ऐसे में रामचरितमानस से आप सीख ले सकते हैं और अपने जीवन में कुछ बुरी आदतों से बिल्कुल तौबा कर लेना चाहिए। रामचरितमानस में बताया गया है कि कैसे व्यक्ति जीवन में कभी भी धन नहीं कमा सकते हैं?

जरूर जानें अरण्यकांड का यह प्रसंग

रामचरितमानस के अरण्यकांड में एक प्रसंद दिया गया है, जिसमें रावण की बहन शूर्पणखा राम और लक्ष्मण से विवाह करने की इच्छा जताती है। तब प्रभु राम और लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा को बताया कि वे दोनों उनकी इच्छा को पूरा नहीं कर सकते हैं। साथ ही यह भी कहा कि कुछ मनुष्यों की इच्छाएं कभी पूरी नहीं हो सकती हैं, क्योंकि इन इच्छाओं का संबंध धन से होता है।

नशे के आदि नहीं बन सकते धनी

रामचरितमानस में लक्ष्मण जी के माध्यम से बताया गया है कि जिन लोगों को नशा करने की आदत है, वह कभी धनवान नहीं बन सकते हैं। जबकि ऐसे लोगों को यदि पुरखों का खजाना भी मिल जाता है तो वे उसे खाली कर देते हैं। यदि किसी व्यक्ति को धनवान बनना है तो उसे सबसे पहले नशे की लत को त्यागना चाहिए। लक्ष्मण जी आगे बताते हैं कि पराई स्त्री से संबंध रखने वाले व्यक्ति भी कभी सुखी नहीं रह सकते हैं और उन्हें धन की प्राप्ति नहीं हो सकती है। ऐसे लोगों को मौत के बाद भी सद्गति नहीं मिलती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

 

 

 

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