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Ganga Saptami 2024: सर्वाथ सिद्धि, लक्ष्मीनारायण व रवि योग में आज मनाई जाएगी गंगा सप्तमी व चित्रगुप्त जयंती

Ganga Saptami गंगा के स्मरण, दर्शन एवं स्नान करने मात्र से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति, यश-सम्मान में वृद्धि व सभी पापों का क्षय, अशुभ ग्रहों के कुप्रभाव में कमी व सकारात्मकता का वास होता है।

HIGHLIGHTS

  1. वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि के दिन श्री गंगा सप्तमी और भगवान चित्रगुप्त जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
  2. पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग का सुयोग
  3. सप्तमी के दिन गंगा की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। Ganga Saptami 2024: वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि के दिन श्री गंगा सप्तमी और भगवान चित्रगुप्त जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस वर्ष श्री गंगा सप्तमी एवं भगवान चित्रगुप्त जयंती 14 मई को पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग के सुयोग में मनाई जाएगी।

गंगा के स्मरण, दर्शन एवं स्नान करने मात्र से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति, यश-सम्मान में वृद्धि व सभी पापों का क्षय, अशुभ ग्रहों के कुप्रभाव में कमी व सकारात्मकता का वास होता है। इस दिन दान-पुण्य व धर्म कृत्य करने से जन्म-जन्मांतर तक इसका पुण्य मिलता है। ज्योतिष्यों के अनुसार के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन गंगा की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गंगा स्नान व पूजा और दान-पुण्य का महत्व (Ganga Saptami Nahan Muhurat 2024)

ज्योतिषाचार्य पंडित गौतम ने बताया कि वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी की उदयातिथि में आ रही है। इसलिए गंगा सप्तमी 14 मई को मनाई जाएगी। इस पर्व पर गंगा स्नान, व्रत-पूजा और दान का विशेष महत्व है, जो लोग किसी कारण से इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते वो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से तीर्थ स्नान का ही पुण्य मिलता है।

पानी से भरी मटकी का दान का महत्व Ganga Saptami Daan

पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि इस दिन पानी से भरी मटकी का दान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। गंगा सप्तमी के दिन पुष्य नक्षत्र, फिर अश्लेषा नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग का संयोग भी बन रहा है। खासकर इस दिन गर एवं वणिज करण के योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों करण को शुभ माना गया है। इन योग में स्नान-ध्यान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

दोबारा प्रकट हुई गंगा

ज्योतिषाचार्य जगदीश शर्मा ने बताया कि महर्षि जह्नु जब तपस्या कर रहे थे. तब गंगा नदी के पानी की आवाज से बार-बार उनका ध्यान भटक रहा था, इसलिए उन्होंने गुस्से में आकर अपने तप के बल से गंगा को पी लिया था, लेकिन बाद में अपने दाएं कान से गंगा को पृथ्वी पर छोड़ दिया था। इसलिए ये गंगा के प्राकट्य का दिन भी माना जाता है।

बन रहे हैं शुभ संयोग

पंडित विष्णु राजौरिया ने कहा इस वर्ष सप्तमी तिथि का आरंभ 13 मई, को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 14 मई की शाम 6 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए इस वर्ष गंगा सप्तमी 14 मई, दिन मंगलवार को पुष्य योग में मनाई जाएगी। इस बार गंगा सप्तमी के दिन कुछ शुभ संयोग का निर्मल भी हो रहा है, जिनके नाम हैं वृद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग, इस दिन पुष्य नक्षत्र भी रहेगा। इन सभी कारणों से इस बार की गंगा सप्तमी बहुत खास मानी जा रही है।

 

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