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Bilaspur News: गौ माता की सेवा कर पेश की मिसाल, लगातार एक हजार दिन तक कराते रहे भोजन

HIGHLIGHTS

  1. फाउंडेशन की यह सेवा भी है खास
  2. कोरोना काल में पेश कर चुके है सेवा की मिसाल
  3. संस्था के फाउंडर नीरज गेमनानी का कहना है कि यह सेवा आगे भी निरंतर चलते रहेगी।

 बिलासपुर। सेवा की मिसाल पेश करने वाली संस्था शांता फाउंडेशन की सेवा में एक नया अध्याय जुड़ गया है। फाउंडेशन ने लगातार एक हजार दिनों से गो सेवा करने का काम शुक्रवार को पूरा किया है। संस्था के सदस्य लगातार एक हजार दिनों से हर दिन शहर में स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले गाय को गुड़ व रोटी खिलाने का काम करती आ रही है। इस सेवा का एक हजार दिन पूरा होना फाउंडेशन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

संस्था के फाउंडर नीरज गेमनानी का कहना है कि यह सेवा आगे भी निरंतर चलते रहेगी। शांता फाउंडेशन को मानव सेवा एवं गो सेवा के लिए जाना जाता है। यह मानव सेवा समय की मांग के अनुसार किया जा रहा है, जरूरतमंद लोगों को स्थिति के अनुरूप संस्था उन लोगों की सेवा करती है। जैसे बरसात में छतरी वितरण करना, ठंड के समय में गर्म कपड़ों का वितरण करना, गर्मी में ग्लूकोज वितरण, प्याऊ घर, फल वितरण आदि का कार्य निरंतर करते आ रहे है। नीरज गेमनानी बताते है कि गो माता को रोजाना गुड़ व रोटी खिलाने का सिलसिला इसलिए चालू किया गया कि शहर में रोजाना हजारों गे माता बेसहारा विचरण करती है, उन्हें खाने को कुछ खास नहीं मिलता है।

वैसे कुछ लोग खाने को दे देते हैं, लेकिन इसके बाद भी बड़ी संख्या में गो माता इधर-उधर विचरण करते हुए खाने को थोड़ा बहुत जो मिल गया, उसी को खाकर रहती है। उनकी इस व्यथा को देखते हुए गो माता को रोटी व गुड़ खिलाने का सिलसिला शुरू किया गया। उनका कहना है कि शुरूआत में संस्था ने यह नहीं सोचा था कि इस सेवा को निरंतर जारी रखेंगे, लेकिन जैसे-जैसे रोजाना गो-माता को रोटी व गुड़ खिलाते गए वैसे ही मुझे और मेरी फाउंडेशन के सभी सदस्यों को आत्मीय सुख की प्राप्ति होगी लगी। इसी के बाद से हमारी कोशिश रही कि जब तक हमारे पास संसाधन है। इस सेवा कार्य को जारी रखेंगे और समय गुजरता गया और लगातार एक हजार दिन तक गो माता का सेवा करने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है। यह सेवा आगे भी निरंतर चलती रहेगी।

फाउंडेशन की यह सेवा भी है खास

– बेरोजगारों को सक्षम बनाने समय-समय पर स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण देना।

– महिला स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए निश्शुल्क सिलाई प्रशिक्षण व सिलाई मशीन का वितरण करना।

– हर नवरात्रि के प्रथम दिन में 40 भिक्षुकों को मां महामाया देवी की दर्शन करवाना।

– निश्शुल्क हैंड स्टिक का वितरण करना।

– स्वास्थ्य शिविर ,नेत्रोपचार शिविर का समय-समय पर आयोजन करना।

– बेटियों को आत्मरक्षा का गुर सिखाने लगातार तीन वर्षो से जूडो का प्रशिक्षण देना।

– होली के समय जरूरतमंद महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण।

– स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ गांव व स्लम क्षेत्र के बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे जानकारी समय-समय पर देना।

– कुष्ठ बस्ती जाकर कुष्ठ रोगियों की सेवा करना, उन्हें भोजन व दवा उपलब्ध कराना।

कोरोना काल में पेश कर चुके है सेवा की मिसाल

कोरोना काल के समय शांता फाउंडेशन से सेवा की मिसाल पेश की थी। उस दौरान ऐसे कोरोना संक्रमित जो होम आइसोलेशन में रहते थे और उनके लिए भोजन की व्यवस्था नहीं हो पाती थी, उनके लिए लगातार एक साल तक दोनों समय का भोजन निश्शुल्क उपलब्ध कराने का काम किया गया। इस दौरान संस्था के सदस्य खुद ही जान जोखिम में डालकर मरीजों के पास पहुंचते थे और रोजाना उन्हें भोजन का पैकेट देते थे, जो शांता फाउंडेशन के बेहतरीन सेवा में से एक है।

 

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