सतना लोकसभा सीट : भाजपा के गणेश सिंह व कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा के बीच आ गए दलबदलू नारायण त्रिपाठी
HIGHLIGHTS
- गणेश सिंह को इकलौता ओबीसी प्रत्याशी होने का भी लाभ मिलता था।
- मैहर से चार बार के विधायक रहे नारायण के कारण यहां संघर्ष त्रिकोणीय हो गया है।
- विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ कुशवाहा सतना सीट से गणेश सिंह को पराजित कर चुके हैं।
Satna Lok Sabha Seat: श्याम मिश्रा, सतना। सतना लोकसभा सीट में इस बार चुनावी समीकरण पिछले चुनाव के मुकाबले बदले हैं। भाजपा से लगातार चार बार लोकसभा सदस्य रहे गणेश सिंह फिर यहां पार्टी से प्रत्याशी हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा से है। दोनों के बीच लड़ाई इसलिए रोचक है कि नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ कुशवाहा सतना सीट से गणेश सिंह को पराजित कर चुके हैं।
इधर, लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पांचवीं बार दल बदलकर बहुजन समाज पार्टी के हाथी निशान से चुनाव लड़ रहे नारायण त्रिपाठी ने समीकरण के प्रभावित किए हैं। मैहर से चार बार के विधायक रहे नारायण के कारण यहां संघर्ष त्रिकोणीय हो गया है। सतना सीट में ठाकुर मतदाता निर्णायक भूमिका में है, यही कारण है कि टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार तक सभी दल के नेता ठाकुर नेताओं को मनाने में जुटे थे।
पिछले चुनावों में गणेश सिंह को इकलौता ओबीसी प्रत्याशी होने का भी लाभ मिलता था, लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी भी ओबीसी हैं। नारायण त्रिपाठी को बसपा के परंपरागत मतों के अतिरिक्त सवर्ण मतदाताओं से उम्मीद है। गणेश सिंह मोदी की गारंटी तथा राम मंदिर के नाम पर भाजपा को जिताने के लिए कह रहे हैं तो सिद्धार्थ कुशवाहा महंगाई एवं बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं।
नारायण क्षेत्रीय मुद्दे उठा रहे हैं। इस सीट पर छह लाख से अधिक मतदाता ब्राह्मण हैं। सतना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीट आती हैं, जिनमें दो पर कांग्रेस और पांच पर भाजपा जीती थी। भाजपा, कांग्रेस और बसपा तीनों से अनुभवी नेता मैदान में हैं।
चार बार सांसद रहे गणेश सिंह तो सिद्धार्थ कुशवाहा दो बार के विधायक हैं। सिद्धार्थ के पिता सुखलाल कुशवाहा ने बसपा उम्मीदवार के तौर पर 1996 में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री वीरेन्द्र सखलेचा को हराया था।
कुल मतदाता — 17,08,823
पुरुष — 8,92,427
महिला — 812827
मतदान केंद्र — 1950