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Raipur: पीड़ितों का मोबाइल नंबर और पता नहीं होगा सार्वजनिक, पुलिस के सिटीजन पोर्टल से हटाया, ठग करते थे इस्‍तेमाल

HIGHLIGHTS

  1. – केस को खत्म करने का झांसा देकर करते थे ठगी की कोशिश
  2. – शातिर पोर्टल से शिकायतकर्ताओं के नंबर लेकर करते थे फोन
  3. – पुलिस ने सिटीजन पोर्टल पर पता और मोबाइल नंबर को किया गोपनीय

रायपुर। Chhattisgarh Cyer Fraud: छत्तीसगढ़ पुलिस के एप सिटीजन पोर्टल पर अब शिकायतकर्ताओं का मोबाइल नंबर और पता सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। इसके पहले शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर और पता भी सार्वजनिक किया जाता था। पुलिस को शिकायतें मिल रही थी कि लोगों से ठगी करने वाले शातिर पोर्टल से शिकायतकर्ताओं के नंबर लेकर उस पर फोन करते थे और उनसे रुपयों की उगाही करते थे। ऐसी शिकायत मिलने के बाद रायपुर पुलिस ने पुलिस मुख्यालय को इस संबंध में पत्र लिखा था। जिसके बाद अब पोर्टल पर पता और मोबाइल नंबर को गोपनीय कर दिया गया है। एफआइआर से नंबर निकाल कर ठगी करने की खबर नईदुनिया ने सबसे पहले प्रकाशित की थी।

बता दें कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने सीसीटीएनएस के सर्वर पर सिटीजन पोर्टल एप की शुरुआत की थी। इसमें पुलिस सहायता से जुड़े सभी प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया था। इसके साथ ही एफआइआर (फर्स्ट इंफार्मेशन रिपोर्ट) को भी पोर्टल पर सार्वजनिक किया गया था। ताकि पुलिस की प्रक्रिया में पारदर्शिता आ सके।

पुलिस की इस पारदर्शिता को आनलाइन ठगी करने वाले शातिरों ने ठगी का माध्यम बना लिया था। वे एफआइआर से शिकायतकर्ताओं के नंबर लेकर उन्हें फोन करते थे और केस को खत्म करने का झांसा देकर उनसे ठगी करने की कोशिश करते थे।

इस तरह की कुछ शिकायतें मिलने के बाद पुलिस ने पुलिस मुख्यालय को इस संबंध में पत्र लिखा था। जिस पर पुलिस मुख्यालय ने सिटीजन पोर्टल पर नजर आने वाले एफआइआर से शिकायतकर्ताओं के मोबाइल नंबर और पते को गोपनीय कर दिया है।

फोन कर मामले को सेट करने की करते बात

साइबर ठगी करने वाले शातिर किसी भी शिकायतकर्ता को फोन करते थे और बोलते थे कि वे लोग वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के कार्यालय से बोल रहे हैं। वे शिकायतकर्ताओं को धमकाते थे कि जांच में उनकी शिकायत गलत मिली है। इसलिए उनके खिलाफ अब कार्रवाई की जा रही है। इस तरह से आरोपित, शिकायतकर्ताओं से वसूली का प्रयास करते थे। वहीं आरोपित को पकड़ने के नाम पर भी प्रार्थी से पैसे लेने के लिए कहा जाता है।

केस : 01

आरोपित को पकड़ने मांगे 20 हजार

गोलबाजार थाना क्षेत्र में एक माह पहले महिला ने चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। दो दिन बाद महिला के पास अज्ञात नंबर से फोन आया और उसने खुद को गोलबाजार थाने का स्टाफ बताया। फोन करने वाले ने महिला से कहा कि आरोपित की लोकेशन मिल गई है। वह दूसरे राज्य में है, उसको पकड़ने जाने के लिए 20 हजार रुपये की मांग की गई। हालांकि महिला ने पैसे नहीं दिए।

केस-02

वारंट जारी करने के लिए मांगा गया पैसा

कोरिया जिले के चरचा थाना क्षेत्र में एक परिवार से दुर्घटना के मामले में आरोपित की गिरफ्तारी करने के एवज में पैसे मांगे गए। क्षेत्र में पांच दिन पहले सड़क हादसे में एक महिला को गंभीर चोट आई थी। नगर सैनिक अमित राजवाड़े पर लापरवाही से गाड़ी चलाने और एक्सीडेंट करने का आरोप लगाते हुए पीड़ित महिला की बेटी ने चरचा थाने में एफआइआर दर्ज कराई। इसके पांच दिन बाद महिला के स्वजन के मोबाइल पर आरोपित का वारंट जारी करने के लिए 1500 रुपये मांगे गए।

केस-03

कांकेर के केस में पकड़े गए चार आरोपित

कांकेर जिले के चारामा थाना में मनीषा वर्मा, पुष्पा बाई और उत्सव जुर्री ने शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि आरोपित पुलिस अधिकारी बनकर फोन करते थे और उनके प्रकरण में कार्रवाई व दूसरे पक्ष को जेल भेजने के नाम पर के नाम पर पैसों मांगते थे। आनलाइन प्रकरण में दिए गए प्रार्थियों के मोबाइल नंबर पर एसपी कार्यालय कांकेर के पुलिस अधिकारी बनकर उनके प्रकरण में कार्रवाई आगे बढ़ाने के नाम पर पैसे मांगते थे। आरोपियों के द्वारा मोबाइल से बात कर पैसों की मांग की जाती थी और पैसा आपस में बांट लिया जाता था। रिपोर्ट के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर चार आरोपितों को मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किया।

रायपुर एसएसपी संतोष सिंह ने कहा, सिटीजन पोर्टल पर आनलाइन एफआइआर देखकर कुछ शातिर ठगी करने का प्रयास कर रहे थे। इसकी जानकारी लगने पर हमने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा था कि वे शिकायतकर्ताओं के मोबाइल नंबर और पते को गोपनीय करें। मुख्यालय स्तर पर स्वीकृति मिलने के बाद अब एफआइआर में शिकायतकर्ताओं के मोबाइल नंबर और पते को गोपनीय कर दिया गया है।

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