CG Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ भाजपा का गढ़, 25 वर्ष से अभेद्य है BJP के ये चार गढ़
संदीप तिवारी/रायपुरl Chhattisgarh Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ भाजपा का गढ़ रहा है मगर चार ऐसी सीटें हैं जो कि मध्यप्रदेश के जमाने यानी 25 वर्ष से अभेद्य हैं। कांग्रेस उन सीटों में भाजपा की काट नहीं ढूंढ नहीं पाई है। इन सीटों से लोकसभा चुनाव जीतने वाले कई बड़े नेता शीर्ष पदों तक पहुंचे हैं। रायपुर लोकसभा सीट से सात बार के सांसद रहे रहे रमेश बैस वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं।
राजनांदगांव लोकसभा सीट से वर्ष 1999 में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह चुनाव जीते थे, सांसद बनने के बाद वह छत्तीसगढ़ में तीन बार और 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे। रायगढ़ में चार बार के सांसद रहे विष्णुदेव साय वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी कांग्रेस की टिकट पर महासमुंद सीट से 2004 में चुनाव जीत चुके हैं। केवल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अभी तक सांसद नहीं बन पाए हैं। हालांकि पार्टी ने उन्हें 2009 में रायपुर की सीट से सांसद की टिकट पर मैदान में उतारा लेकिन वह पराजित हो गए। इस चुनाव में एक बार फिर भूपेश बघेल राजनांदगांव लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं।
कांकेर: 1998 से लगातार भाजपा कांकेर लोकसभा सीट ऐसी है जहां पर 1998 से अब तक लगातार भाजपा के प्रत्याशी जीत रहे हैं। लोकसभा चुनाव 1998, 1999, 2004 और 2009 में लगातार चार बार भाजपा नेता सोहन पोटाई चुनाव जीते। इसके बाद 2014 के चुनाव में विक्रम उसेंडी सांसद बने। पिछली बार 2019 के चुनाव में भाजपा के मोहन मंडावी ने लोकसभा चुनाव जीता था।
रायपुर: भाजपा की अजेय सीट रायपुर लोकसभा सीट भाजपा की अजेय सीट बन गई है। यहां वर्ष 1996,1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार भाजपा नेता रमेश बैस चुनाव जीते। पिछली बार 2019 में भाजपा के ही सुनील कुमार सोनी सांसद निर्वाचित हुए थे। इस सीट पर इसके पहले 1989 के चुनाव में भी रमेश बैस जीते थे। वह रायपुर से सात बार के विधायक रहे हैं।
बिलासपुर: 1996 के बाद से कांग्रेस की एंट्री नहीं बिलासपुर लोकसभा सीट ऐसी सीट है जहां पर 1996 में भाजपा के पुन्नूलाल मोहले चुनाव जीते। इसके बाद वह लगातार 1998,1999 और 2004 के चुनाव में सांसद बने। 2009 के चुनाव में भाजपा ने मोहले की जगह दिलीप सिंह जूदेव को टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज की। 2014 में लखन लाल साहू और 2019 में अरुण साव सांसद बने।
इन सीटों पर कांग्रेस लगा चुकी है सेंध
राजनांदगांव- उप चुनाव में कांग्रेस ने लगाई सेंध : 1999 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह चुनाव जीते थे। इसके बाद 2004 में भी भाजपा के प्रदीप गांधी चुनाव जीते थे मगर 2007 के उप चुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में सफलता हासिल की थी। इसके बाद 2009 में भाजपा के मधुसूदन यादव, 2014 में भाजपा के अभिषेक सिंह और 2019 के चुनाव में भाजपा के संतोष पांडेय सांसद निर्वाचित।
बस्तर- 1998 में भाजपा ने खोला खाता, अभी कांग्रेस का कब्जा
1998 में भाजपा ने बस्तर लोकसभा सीट से जीत का खाता खोला और 2014 तक इस सीट पर किसी और को राज करने नहीं दिया। 1998 से लेकर 2011 तक भाजपा के टिकट पर बलिराम कश्यप ने यहां से लगातार चार बार जीत हासिल की और कांग्रेस को हराया, लेकिन 2011 में उनके निधन के बाद यहां उपचुनाव करवाए गए, जिसमें उनके बेटे दिनेश कश्यप और कवासी लखमा के बीच मुकाबला हुआ। कश्यप ने जीत दर्ज की। 2014 के चुनाव में भी दिनेश कश्यप ने अपनी जीत को बरकरार रखा और यहां से सांसद चुने गए। हालांकि 2019 के चुनाव में यहां कांग्रेस के दीपक बैज चुनाव जीते और इस गढ़ को भेद सके।
इन दो सीटों पर कांग्रेस-भाजपा में रहा मुकाबला
कोरबा: इस सीट पर कांग्रेस का ही वर्चस्व कोरबा लोकसभा सीट ऐसी है जो कि परिसीमन के बाद 2009 में अस्तित्व में आई है। इस सीट पर अब तक हुए तीन चुनाव में दो बार कांग्रेस की जीत हुई। 2009 में कांग्रेस के डा. चरण दास महंत, 2014 में भाजपा के डा. बंशीलाल महतो और 2019 के चुनाव में कांग्रेस की ज्योत्सना महंत जो कि अभी भी सांसद हैं, उन्होंने चुनाव जीता था।
महासमुंद: कांग्रेस के सामने वापसी की चुनौती महासमुंद लोकसभा क्षेत्र अविभाजित मध्यप्रदेश व राज्य गठन के बाद भी कांग्रेस के कब्जे में रही है। 1999 के चुनाव में कांग्रेस नेता श्यामाचरण शुक्ल और 2004 में प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता अजीत जोगी चुनाव जीते। इसके बाद से 2009 में भाजपा नेता चंदूलाल साहू, 2014 में दोबारा चंदूलाल साहू और 2019 के चुनाव में भी भाजपा के चुन्नीलाल साहू चुनाव जीते थे।
सरगुजा: इस लोकसभा चुनाव क्षेत्र में राज्य गठन के बाद से अब तक लगातार भाजपा के प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं। राज्य गठन के पहले 1999 के चुनाव में कांग्रेस के खेलसाय सिंह सांसद बने थे। इसके बाद से 2004 के चुनाव में भाजपा के नंद कुमार साय, 2009 में मुरारीलाल सिंह, 2014 में कमलभान सिंह मराबी और 2019 के चुनाव में रेणुका सिंह ने चुनाव जीता था।
जांजगीर-चांपा : इस लोकसभा चुनाव क्षेत्र में राज्य गठन के बाद से अब तक लगातार भाजपा के प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं। राज्य गठन के पहले 1999 के चुनाव में कांग्रेस के डा. चरणदास महंत सांसद बने थे। 2004 के चुनाव में भाजपा से करुणा शुक्ला, 2009 में कमला देवी पाटले, 2014 में दोबारा कमला देवी पाटले और 2019 के चुनाव में गुहाराम अजगल्ले ने चुनाव जीता था।
राज्य गठन के बाद यहां नहीं जीती कांग्रेस
रायगढ़: भाजपा के गढ़ को नहीं तोड़ पाई कांग्रेस रायगढ़ लोकसभा सीट भी भाजपा के ही खाते में रही है। यहां 1999 में वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय चुनाव जीते थे। वह लगातार चार बार 1999, 2004 , 2009 और 2014 के चुनाव में जीते। इसके बाद 2019 में यहां भाजपा नेत्री गोमती साय चुनाव जीतीं। अब तक यह सीट भाजपा के ही खाते में है।
पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज ने तोड़ा था गढ़
दुर्ग: इस लोकसभा क्षेत्र में 1999 और 2004 के दो चुनाव में लगातार भाजपा के नेता ताराचंद्र साहू सांसद बने। इसके बाद 2009 में भाजपा की नेत्री सरोज पांडेय चुनी गईं। 2014 में भाजपा के इस गढ़ को भेदते हुए कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू सांसद निर्वाचित हुए। पिछली बार 2019 के चुनाव में भाजपा के विजय बघेल चुनाव जीते जो कि मौजूदा सांसद हैं।