थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए किया गया निःशुल्क HLA टाइपिंग शिविर “संकल्प” का आयोजन
छत्तीसगढ़ के रायपुर में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए HLA (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) की जाँच के साथ-साथ सिकल सेल बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए डॉक्टर से परामर्श की सुविधा हेतु “संकल्प” शिविर का आयोजन किया गया। छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बिहार और झारखंड से थैलेसीमिया एवं सिकल सेल बीमारी से पीड़ित मरीजों के 180 से अधिक परिवार के सदस्यों ने इस शिविर में भाग लिया और अपने मुँह से स्वैब के नमूने दिए। काश फाउंडेशन की ओर से नारायणा हेल्थ बेंगलुरु और DKMS BMST फाउंडेशन इंडिया के डॉ. सुनील भट की अगुवाई में डॉक्टरों की एक टीम के सहयोग से इस शिविर का आयोजन किया गया।
नारायणा हेल्थ नेटवर्क हॉस्पिटल्स, बेंगलुरु के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और ब्लड एंड मैरो ट्रांसप्लांटेशन के डायरेक्टर एवं क्लिनिकल लीड, डॉ. सुनील भट ने कहा: “हमारे देश में थैलेसीमिया के मामले बड़े पैमाने पर मौजूद हैं और हर साल 10,000 से ज़्यादा बच्चे इस बीमारी के साथ पैदा होते हैं।
थैलेसीमिया एक तरह की आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें प्रोटीन हीमोग्लोबिन में खराबी की वजह से खून में ऑक्सीजन को ले जाने की क्षमता कम हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को, खास तौर पर कम उम्र के मरीजों को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के ज़रिये ठीक किया जा सकता है।
इस लिहाज से देखा जाए, तो बच्चों में ट्रांसप्लांट की जरूरत बहुत अधिक है। HLA टाइपिंग शिविर से हमें थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के लिए उनके परिवार से डोनर्स को ढूंढने में मदद मिलती है। हम इस शिविर की कामयाबी के लिए आयोजकों और अपने सहायक संस्थाओं के शुक्रगुज़ार हैं, और हमें उम्मीद है कि हम भविष्य में कई और मरीजों की मदद कर सकेंगे।”
थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों के ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन की जाँच के लिए इस शिविर का आयोजन किया गया था। HLA टाइपिंग के लिए मरीज और उनके परिवार के सदस्यों के स्वैब के नमूने जर्मनी में मौजूद DKMS लाइफ साइंस लैब में भेजे जाएंगे। DKMS जर्मनी द्वारा इन मरीजों के लिए निःशुल्क जाँच की जाएगी।
DKMS ब्लड कैंसर और खून से संबंधित जानलेवा बीमारियों के खिलाफ मुहिम चलाने वाला एक गैर सरकारी संग़ठन है, जिसने इस क्षेत्र में और दुनिया भर के मरीजों के जीवन को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। स्टेम सेल डोनर्स के तौर पर पंजीकृत लोगों की संख्या 12 मिलियन से अधिक है, DKMS ने ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की सुविधा प्रदान करके दुनिया भर में 100,000 से अधिक मरीजों को जीवन का दूसरा मौका दिया है।
DKMS-BMST के सीईओ, पैट्रिक पॉल कहते हैं, “भारत में ब्लड कैंसर और खून से संबंधित थैलेसीमिया जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की मदद करना ही हमारा मिशन है, जिसके लिए हमने DKMS-BMST थैलेसीमिया कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत, DKMS-BMST स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों और ट्रांसप्लांटेशन क्लीनिकों के साथ मिलकर मरीजों के लिए शिविरों का आयोजन करता है, जहाँ थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे और उनके परिवार के सदस्य HLA टाइपिंग के लिए नमूने देने के लिए दूर-दूर से, और कभी-कभी तो देश के बहुत दूरदराज के इलाकों से आते हैं। जर्मनी में स्थित DKMS लेबोरेटरी में इन शिविरों के नमूनों की जाँच की जाती है और उनकी क्लिनिकल मैचिंग रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाती है।
अगर किसी बीमार बच्चे के नमूने उनके भाई-बहन के नमूनों से मेल नहीं खाते हैं, तो ऐसे मामले में हम असंबंधित डोनर्स की तलाश करके उनकी मदद करते हैं।”
कोई अपना सा हो (KASH) फाउंडेशन की संस्थापक और थल शिविर की आयोजक, सुश्री काजल सचदेव ने कहा, “हमने छत्तीसगढ़ को थैलेसीमिया से मुक्त बनाने के इरादे से साल 2016 में ‘कोई अपना सा हो’ फाउंडेशन की स्थापना की थी। सबसे पहले हमने सिर्फ काउंसलिंग सेंटर के तौर पर इसकी शुरुआत की। इस शिविर का विषय “संकल्प” रखा गया है जो सचमुच बहुत ही खास कार्यक्रम था। हमने थैलेसीमिया और सिकल सेल रोग से पीड़ित बहुत से मरीजों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ इस शिविर में भाग लेते देखा।
निःशुल्क HLA टाइपिंग के लिए स्वैब के नमूनों के अलावा, हमने उन्हें डॉ. सुनील भट्ट के निःशुल्क परामर्श की सुविधा भी प्रदान की। छत्तीसगढ़ भारत में सिकल सेल रोग के प्रमुख क्षेत्र में से एक है, और हमारा उद्देश्य खून से संबंधित इस तरह की बीमारियों पर काबू पाने के लिए जागरूकता बढ़ाना और ऐसे मरीजों की मदद करना है। हम HLA टाइपिंग में मदद करने के लिए अपने सहयोगी DKMS के आभारी हैं, और हमें उम्मीद है कि हम आगे भी जरूरतमंद मरीजों की मदद करते रहेंगे।”