छत्‍तीसगढ़ में 10 महीने में 1.21 लाख को मिला मोतियाबिंद से छुटकारा, नौ जिलों में नहीं मिले एक भी दृष्टिहीन"/>

छत्‍तीसगढ़ में 10 महीने में 1.21 लाख को मिला मोतियाबिंद से छुटकारा, नौ जिलों में नहीं मिले एक भी दृष्टिहीन

HIGHLIGHTS

  1. – प्रदेश के नौ जिलों में मोतियाबिंद से दृष्टिहीन हो चुके एक भी मरीज नहीं,
  2. – 2025 तक मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित

अभिषेक राय/रायपुर। Chhattisgarh News: राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान के अंतर्गत प्रदेश को वर्ष-2025 तक मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से लक्ष्य प्राप्ति के लिए पूरजोर प्रयास भी किया जा रहा है। अभियान के तहत नौ जिले कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री हो चुके हैं। 10वें के लिए कांकेर जिले ने दावा प्रस्तुत कर दिया है।

प्रदेश में दस माह में 1,21,513 लोगों के मोतियाबिंद का आपरेशन किया गया है। केंद्र सरकार ने वर्ष-2022 में राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान की शुरुआत की थी। इसी के साथ लक्ष्य रखा गया था कि तीन साल के अंदर यानी 2025 तक देश में अंधेपन की दर को 0.25% तक कम किया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री का तात्पर्य यह है कि इन जिलों में मोतियाबिंद के कारण दृष्टिहीन हो चुके चिन्हित सभी लोगों के आंखों की रोशनी लौटाई जा चुकी है। कबीरधाम यह स्टेटस हासिल करने वाला प्रदेश का पहला जिला था।

इसके बाद बलौदा बाजार, राजनांदगांव, रायगढ़, रायपुर, बलौदा, धमतरी, दुर्ग और कोरबा को कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री हो चुके हैं। लेकिन, अंतिम निर्णय केंद्र सरकार की ओर किया जाना है। दस्तावेजों का वेरीफिकेशन कर केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।

अत्याधुनिक फेको तकनीक से इलाज

प्रदेश के 14 जिलों में मोतियाबिंद के इलाज की अत्याधुनिक फेको तकनीक के माध्यम से पीड़ितों का इलाज किया जा रहा है। आपरेशन की इस विधि में आंख में महज एक बारिक छेद किया जाता है, जिसके माध्यम से मोतियाबिंद को आंख के अंदर ही घोल दिया जाता है। इस छेद के जरिए ही फोल्डेबल लेंस को आंख के अंदर प्रत्यारोपित किया जाता है। फेको तकनीक की शुरूआत जिला अस्पताल बीजापुर, सूरजपुर, बलौदाबाजार, बैकुंठपुर (कोरिया), कोंडागांव, धमतरी, मुंगेली, सरगुजा, बस्तर, रायगढ़, राजनांदगांव, रायपुर और बिलासपुर से की गई थी। इसमें अब कोरबा भी शामिल हो गया है।

 

 

आंखों की जांच व आपरेशन के लिए 100 बिस्तर अस्पताल

 

आंखों की जांच और आपरेशन के लिए 100 बिस्तरों वाले माना सिविल अस्पताल में छह सर्जन सहित 35 कर्मचारियों की टीम काम कर रही है। सोमवार को ग्लाकोमा, गुरूवार को रेटिना और शनिवार को बच्चों में आंख की बीमारी की विशेष जांच की जाती है।

रेटिना संबंधी विकारों के लिए ग्रीन लेजर की सुविधा भी अस्पताल में उपलब्ध है। माना में रायपुर समेत अन्य जिलों के नेत्र रोगियों के आपरेशन किए जा रहे हैं। मरीजों को लाने व ले जाने की निश्शुल्क सुविधा भी अस्पताल की ओर से उपलब्ध कराई जाती है। आपरेशन के बाद मरीजों के नियमित फालोअप के लिए बुलाया जाता है।

 

 

स्कूली बच्चों में बढ़ रहे दृष्टिदोष का व्यायाम से मुकाबले की तैयारी

 

प्रदेश के स्कूली बच्चों में बढ़ रहे दृष्टिदोष का मुकाबल स्वास्थ्य विभाग व्यायाम से करेगा। इसके लिए पूरी योजना तैयार कर ली गई गई है। स्कूल शिक्षा विभाग की मदद से पहले शासकीय और उसके बाद निजी स्कूलों में इसे लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्कूलों में चलाए गए अभियान में पाया गया है कि विगत पांच वर्षों में दृष्टिदोष वालों विद्यार्थियों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

 

इसकी मुख्य वजह पढ़ाई के अत्याधिक दबाव, मोबाइल और टेलीविजन के ज्यादा उपयोग को माना गया। वर्ष 2018-19 में 11,258,20 विद्यार्थियों की जांच में 30,897 में दृष्टिदोष की समस्या पाई गई थी। वर्ष 2022-23 में 10,909,91 की जांच में 37302 विद्यार्थियों में दृष्टिदोष पाया गया है।

इस चुनौती से निटपने के लिए राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सभी जिलों से एक-एक सहायक नेत्र चिकित्सक और पांच-पांच शिक्षकों को आंखों के व्यायाम का प्रशिक्षण के लिए पुडुचेरी भेजा जाएगा। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सहायक नेत्र चिकित्सक और शिक्षक अन्य शासकीय स्कूलों में जाकर प्रशिक्षण देंगे।

 

अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम राज्य नोडल अधिकारी डा. निधि ग्वालरे ने कहा, प्रदेश के नौ जिले कैटरेक्ट ब्लाइंडनेस बैकलाग फ्री हो चुके हैं। कांकेर ने भी दावा किया है, जल्द ही टीम निरीक्षण के लिए जाएगी। कोरबा में फेको तकनीकी से इलाज शुरू किया गया है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी शुरू किया जाएगा। व्यायाम प्रशिक्षण प्रक्रियाधीन है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रशिक्षण दिया जाना है।

राज्य में वर्षवार मोतियाबिंद आपरेशन

 

वर्ष – सर्जरी- लक्ष्य

2016-17- 1,09,627-1,68,565

2017-18 – 1,16,925-168565

2018-19 – 1,18,605-1,68,565

2019-20 – 1,20,670-1,68,000

2020-21 – 41,874-1,25,380

2021-22- 85,178-1,37,911

2022-23- 50,542-1,77,300

पांच वर्ष के आंकड़े

वर्ष बच्चाें की जांच चश्मा वितरण

2018-19 11,25,820 30,897

 

2019-20 9,92,561 35,388

2020-21 0 5,500

2021-22 8,00,319 23,731

2022-23 10,90,991 37,302

प्रदेशभर में मोतियाबिंद आपरेशन की स्थिति (अप्रैल-23 से फरवरी-24 तक)

जिला-कुल

रायपुर- 34,849

बिलासपुर- 14,016

दुर्ग- 11,280

राजनांदगांव- 6,797

रायगढ़- 5,352

धमतरी- 4,945

बस्तर- 3,833

 

कोरबा- 3,817

बालोद- 3,161

बलौदाबाजार- 2,875

कबीरधाम- 2,850

महासमुंद- 2,782

बेमेतरा- 2,645

सरगुजा- 2,151

जांजगीर-चांपा- 1,860

कांकेर- 1,781

खैरागढ़-छुईखदान-गंडई- 1,715

सारंगढ़-बिलाईगढ़- 1,524

जशपुर- 1,516

सूरजपुर- 1,384

कोरिया- 1,261

गरियाबंद- 1,162

मुंगेली- 1,121

कोंडगांव- 1,098

 

मोहला-मानपुर- 1,011

बलरामपुर- 9,53

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर- 9,27

सुकमा- 8,52

बीजापुर- 8,11

दंतेवाड़ा- 5,24

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही- 4,50

नारायणपुर- 2,05

सक्ती- 5

फैक्ट फाइल

14 जिलों में फेको तकनीकी से इलाज

10वें जिले के लिए कांकेर किया दावा

35 कर्मचारियों की टीम माना में कर रही काम

34,849 लोगों का सबसे अधिक रायपुर में सर्जरी

5 लोगों का सबसे कम सक्ती जिले में आपरेशन

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