Lok Sabha Election 2024: छत्‍तीसगढ़ में दो दशक में चुनावी मैंदान में उतरीं 70 महिलाएं, छह की चमकी किस्मत"/>

Lok Sabha Election 2024: छत्‍तीसगढ़ में दो दशक में चुनावी मैंदान में उतरीं 70 महिलाएं, छह की चमकी किस्मत

HIGHLIGHTS

  1. – अब तक हुए चार लोकसभा चुनाव में छह महिलाएं बनीं सांसद
  2. – 11 लोकसभा सीट में भाजपा ने उतारा तीन महिलाएं, कांग्रेस भी जुटी

संदीप तिवारी/रायपुर। Lok Sabha Election 2024: छत्‍तीसगढ़ गठन के बाद प्रदेश में अब तक चार बार लोकसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। इन चुनावों में अब तक 70 महिलाएं चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं। इनमें केवल छह महिलाओं की ही किस्मत चमकी और सांसद बनने की मौका मिला। भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियों के अलावा क्षेत्रीय पार्टियों से भी महिलाएं चुनाव लड़ चुकी हैं। इतना ही नहीं, कुछ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनावी रण में ताल ठोंक चुकी हैं मगर मतदाताओं ने राष्ट्रीय पार्टियों के नेत्रियों पर ही भरोसा जताया है। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 166 प्रत्याशी मैदान में रहे। इनमें 23 महिलाएं, 55 निर्दलीय रहे और तीन महिलाएं ही सांसद बन पाईं।

राज्य गठन के बाद अब तक जो महिलाएं छत्तीसगढ़ से सांसद बनीं उनमें करुणा शुक्ला, सरोज पांडेय, कमला देवी पाटले, ज्योत्सना महंत, रेणुका सिंह, गोमती साय शामिल हैं। अभी भाजपा की ओर से तीन महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। इनमें कोरबा से सरोज पांडेय, जांजगीर-चांपा से कमलेश जांगड़े और महासमुंद से रूप कुमारी चौधरी चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस भी तीन से चार सीटों में महिलाओं को उतारने की तैयारी कर रही है। हालांकि इसके पहले अविभाजित मध्यप्रदेश की बात करें तो रायपुर से पहली महिला सांसद केसर कुमारी देवी वर्ष 1957-62 रहीं, जबकि अविभाजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ से पहली महिला सांसद मिनीमाता थीं।

किसने कब जमाई पैठ

2004 के चुनाव में 12 महिलाएं मैदान में उतरी थीं। इनमें केवल करुणा शुक्ला जीती थीं। 2009 के लोकसभा चुनाव में 15 महिलाओं में सरोज पांडेय और कमलादेवी पाटले को ही जीत मिली थी। वर्ष 2009 और 2014 में करुणा शुक्ला चुनाव हार गईं। वर्ष 2014 में सरोज पांडेय भी चुनाव हारीं। वर्ष 2014 में सिर्फ कमला देवी पाटले सांसद बनीं। 2019 के चुनाव में सरगुजा लोकसभा सीट से भाजपा नेत्री रेणुका सिंह, रायगढ़ सीट से भाजपा नेत्री गोमती साय और कोरबा लोकसभा सीट से कांग्रेस नेत्री ज्योत्सना महंत सांसद बनीं। वर्तमान में रेणुका और गोमती विधायक बनने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है और ज्योत्सना महंत अभी वर्तमान में सांसद हैं।

करुणा शुक्ला : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला छत्तीसगढ़ की राजधानी का चर्चित चेहरा थीं। वर्ष 2004 में करुणा शुक्ला भाजपा के टिकट पर जांजगीर-चांपा से चुनाव लड़ीं और विजयी हुईं। उन्होंने डा. चरणदास महंत (वर्तमान नेता प्रतिपक्ष) को हराकर जीत दर्ज की थी। परिसीमन के बाद उन्हें 2009 में कोरबा सीट से टिकट मिला, लेकिन हार गईं। वर्ष 2014 में कांग्रेस से बिलासपुर से लड़ीं, तब भी हार का सामना करना पड़ा। बाद में करूणा कांग्रेस में शामिल हो गईं थी। विधानसभा चुनाव 2018 में वह पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह के सामने कांग्रेस से चुनाव लड़ीं और हार गईं।

सरोज पांडेय : वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में सरोज पांडेय ने दुर्ग से जीत हासिल की थी। भाजपा की तेजतर्रार नेत्री सरोज पांडेय तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। उन्हें भाजपा ने कोरबा से मैंदान में उतारा है। इसके पहले सरोज दुर्ग जिले से महापौर, विधायक और सांसद रहीं। साल 2000 पहली बार और 2005 में दूसरी बार दुर्ग की महापौर बनीं। 2008 में पहली बार वैशाली नगर से विधायक बनीं। 2009 के दुर्ग संसदीय सीट से सांसद बनी। 2013 में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष, 2014 का लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू से हारीं। इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव रहीं। 2018 में पहली बार निर्वाचित राज्यसभा सदस्य बनीं, उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू को हराया था।

कमला देवी पाटले : वर्ष 2009 और 2014 के चुनाव में लगातार दूसरी बार जांजगीर-चांपा में कमला देवी पाटले ने बतौर सांसद सिक्का जमाया। वह 31 अगस्त, 2009 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी व पर्यावरण और वन संबंधी स्थायी समिति की सदस्य बनीं। 21 जून, 2010 में वाणिज्य संबंधी स्थायी समिति, महिला और बाल कल्याण संबंधी समिति की सदस्य बनीं।

ज्योत्सना महंत : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत की धर्मपत्नी ज्योत्सना महंत पिछली बार कोरबा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ीं और वह चुनाव जीती भी थीं।जीव विज्ञान में एमएससी ज्योत्सना स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार से आती हैं। बताते हैं कि जब-जब डा. महंत कोरबा से चुनाव में लड़े तब डा. महंत के साथ ज्योत्सना महंत ने साथ में सघन दौरा किया था। पिछले कई साल से ज्योत्सना महंत समाज सेवा से जुड़ी हुई हैं। पार्टी इस बार भी उन्हें मैदान में उतार सकती है। अगर ऐसा हुआ तो उनका मुकाबला भाजपा की वरिष्ठ नेत्री सरोज पांडेय से होगा।

रेणुका सिंह : रेणुका सिंह आदिवासी समाज से महिला चेहरा हैं। प्रदेश की भरतपुर सोनहत सीट से पिछले विधानसभा चुनाव में विधायक चुनी गई हैं। रेणुका 1999 में वो पहली बार जनपद पंचायत की सदस्य चुनकर राजनीति में आईं। रेणुका 2003 में पहली बार सरगुजा संभाग की रामानुजगंज विधानसभा से विधायक चुनी गईं। रेणुका सिंह दूसरी बार साल 2008 में विधायक बनीं। रेणुका स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री रहीं और सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष भी रहीं। पिछली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में सरगुजा संसदीय क्षेत्र से सांसद बनीं और मोदी सरकार में जनजातीय मामलों की केंद्रीय राज्य मंत्री रहीं हैं।

गोमती साय : गोमती साय जशपुर के ग्राम मुंडाडीह निवासी हैं। 2005 में वे पहली बार जिला पंचायत सदस्य बनी थी। 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष जशपुर बनी। जशपुर जिला पंचायत रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में आता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें वर्तमान के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का टिकट रायगढ़ से काट कर उम्मीदवार बनाया था। वह सांसद बनीं। इसके बाद विधानसभा चुनाव 2018 में पत्थलगांव से विधायक निर्वाचित हुईं।

पिछले चार चुनावों में 11 सीटों पर महिलाएं

वर्ष कुल मैदान में सदन पहुंची
2019 23 03
2014 20 01
2009 15 02
2004 12 01

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