छत्‍तीसगढ़ के एकमात्र सरकारी दिल के अस्‍पताल में आखिर क्‍यों नहीं टिक रहा कोई डाक्‍टर, जानिए वजह"/>

छत्‍तीसगढ़ के एकमात्र सरकारी दिल के अस्‍पताल में आखिर क्‍यों नहीं टिक रहा कोई डाक्‍टर, जानिए वजह

HIGHLIGHTS

  1. छत्‍तीसगढ़ के एकमात्र सरकारी दिल के अस्‍पताल पर संकट
  2. एकमात्र कार्डियक एनेस्थेटिक ने नौकरी से दिया त्यागपत्र
  3. कम सैलरी मिलने की वजह से छोड़ रहे नौकरी

रायपुर (राज्य ब्यूरो)। छत्‍तीसगढ़ के एकमात्र सरकारी दिल के अस्पताल एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में लंबे समय से बाइपास सर्जरी शुरू नहीं हो पाई है। अब ओपन हार्ट सर्जरी पर भी ग्रहण लग गया है। आंबेडकर अस्पताल में एसीआइ में पदस्थ एकमात्र कार्डियक एनेस्थेटिक ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया है।

एसीआइ की कार्डियक एनेस्थेटिक डा. तान्या छोड़ा ने अपना त्यागपत्र विभागाध्यक्ष को सौंपा है, जिसमें नौकरी छोड़ने के लिए व्यक्तिगत कारण बताया गया है। ओपन हार्ट सर्जरी और बाइपास जैसे जटिल आपरेशनों में कार्डियक एनेस्थेटिक की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। यहां से अभी तक पांच सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर सरकारी नौकरी छोड़ चुके हैं। एक माह पहले ही यहां कैंसर सर्जन ने नौकरी छोड़ी थी।

सैलरी कम मिलने की वजह से छोड़ रहे नौकरी

इधर, आंबेडकर अस्पताल में चर्चा है कि सुपर स्पेशियलिटी डाक्टरों को सैलरी कम मिलने की वजह से ही वे नौकरी छोड़ रहे हैं। सुपर स्पेशियलिटी डाक्टरों को राज्य के सरकारी अस्पतालों में एमडी और एमएस के समकक्ष वेतनमान दिया जा रहा है। वे इसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

उनका कहना है कि वे एमडी और एमएस डाक्टरों से पांच साल ज्यादा पढ़ाई करते हैं। डाक्टरों का कहना है कि राज्य शासन की ओर से बिलासपुर और जगदलपुर में सुपरस्पेशलिटी हास्पिटल शुरू करने की तैयारी की जा रही है, लेकिन जहां डाक्टर पदस्थ हैं उन्हें उचित वेतमान नही मिल रहा है। देश के दूसरे राज्यों में सुपरस्पेशलिटी डाक्टरों के लिए अलग से वेतनमान है।

भर्ती नियम बनाना ही भूल गए

आंबेडकर अस्पताल में बाइपास सर्जरी शुरू करने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की हार्टलंग्स मशीन तो दे दी गई है, लेकिन भर्ती नियम नहीं बनाए जाने के कारण इन्हें चलाने के लिए परफ्यूजनिस्ट और कार्डियक सर्जरी फिजिशियन असिस्टेंट की भर्ती अब तक नहीं हो पाई है। जबकि इनके लिए तीन-तीन पद स्वीकृत हो चुके हैं।

प्रदेशभर से एसीआइ में बाइपास सर्जरी के हर माह 35 से 40 मामले आते हैं। सुविधा नहीं होने के कारण डाक्टरों को इन्हें एम्स या फिर कहीं अन्य अस्पताल रेफर करने के लिए विवश होना पड़ता है। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से अन्य राज्यों से तुलना कर भर्ती नियम की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग को दे दी गई है। अब तक भर्ती नियम नहीं बनने से बाइपास सर्जरी की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

प्रदेश में हो चुके हैं 200 से अधिक ओपन हार्ट आपरेशन

एसीआइ का प्रारंभ नवंबर-2017 में एस्कार्ट हार्ट सेंटर के अधिग्रहण के बाद शुरू हुआ था। सीमित संसाधनों के बावजूद यहां पर अभी तक 1,300 से ज्यादा दिल, फेफड़े, खून की नसों के आपरेशन हुए हैं। 200 से अधिक ओपन हार्ट, बच्चों के दिल में छेद के आपरेशन हुए हैं। प्रदेश में छाती, फेफड़े एवं खून की नसों से संबंधित करीब 95 प्रतिशत आपरेशन एसीआइ में होते हैं। एनेस्थेटिक विशेषज्ञ के नहीं होने से यहां आपरेशन के बंद होने का खतरा मंडराने लगा है।

137 पद स्वीकृत, भर्ती नहीं

स्वास्थ्य विभाग की ओर से एसीआइ के लिए वर्ष- 2022 में 137 पोस्ट सेंशन हुए थे, जिसमें चिकित्सक, कार्डियक इनटेंसनविस्ट, कार्डियक एनेस्थेटिक, परफ्यूजनिस्ट आदि शामिल हैं। डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रक्रिया शुरू ही नही हो पाई है।

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