ग्राम चिल्हाटी में बनी सीसी रोड गायब, मानो जैसे कभी बनाई ही न गई हो,ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा

एसडीओ अमित बंजारे ने बताया कि 12 से 15 लाख रुपये की लागत में पांच से 600 मीटर सड़क का निर्माण कार्य किया जाना था। उनका कहना है कि निर्माण के बाद जब सड़क की गुणवत्ता की जांच की गई थी, तब वह सारे मापदंड में सही पाए गए थे। वहीं वह ये भी कहते हैं कि ग्राम पंचायत की सड़क पर भारी वाहन चलता है तो वह डैमेज हो

HIGHLIGHTS

  1. सरपंच और सब इंजीनियर की मिलीभगत से सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार का मामला।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए आवंटित धनराशि का दुरुपयोग कर बनाई अधूरी सड़क।
  3. भ्रष्टाचार के इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।

बिलासपुर। मस्तूरी विकासखंड के ग्राम पंचायत चिल्हाटी में सरपंच और सब इंजीनियर की मिलीभगत से सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए आवंटित धनराशि का दुरुपयोग करते हुए अधूरी सड़क बनाई गई, जो महज दो साल में ही अब पूरी तरह से गायब हो चुकी है। ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि जिम्मेदार अधिकारी और सरपंच बचाव के बहाने खोज रहे हैं।

अधिकारियों का बचाव

सड़क निर्माण की खराबी पर सवाल उठने पर एसडीओ अमित बंजारे ने कहा कि निर्माण के समय सड़क की गुणवत्ता जांची गई थी और तब वह सभी मापदंडों पर सही पाई गई थी। वहीं सड़क को बनने के बाद उसे पकने का वक़्त नहीं दिया गया। इस पर सवाल उठता है कि अगर सड़क पककर तैयार नहीं हुई थी तो उसकी गुणवत्ता की जांच कैसे की गई।इसी तरह निर्माण के इंचार्ज सब इंजीनियर अभिषेक भारद्वाज कहते हैं कि सड़क पर धान मंडी से हैवी लोडेड गाड़ियां निकलती थीं, जिस वजह से सड़क पर खराबी आई है।

ग्रामीणों का आरोप

ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच और अधिकारियों की मिलीभगत से प्रस्तावित लंबाई से भी कम दूरी तक की सड़क बनाई गई। वहीं जो सड़क बनाई गई वह भी गुणवत्ताहीन थी। सड़क बनने के महज दो महीने बाद ही उखाड़ना शुरू हो गया था। उनका आरोप है कि इसके निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया है। नईदुनिया से बात करते हुए ग्रामीणों ने प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

मंडी का ध्यान नहीं रखा गया

ग्रामीणों के अनुसार, निर्माण के दौरान यह मालूम था कि सड़क से भारी वाहन गुजरेंगे, फिर भी सड़क को टिकाऊ नहीं बनाया गया। सड़क बनने के बाद भारी वाहनों की वजह से टूटने का दावा करना गलत है, क्योंकि इसे पहले से ध्यान में रखना चाहिए था।

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