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पर्यावरण जिम्मेदारों की सुस्ती से धीमी हुई विकास की रफ्तार, छत्‍तीसगढ़ में इतनी खदानें इसलिए हो चुकी हैं बंद

HIGHLIGHTS

  1. राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्य सचिव उदासीन l
  2. बंद खदानों की पर्यावरण स्वीकृति में देरी करने से महंगी हो रही अधोसंरचना सामग्री l

रायपुर (राज्य ब्यूरो)। Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ में पर्यावरण स्वीकृति के कामकाजों में जिम्मेदारों की मनमानी के चलते प्रदेश का विकास कार्य धीमा पड़ गया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआइएए) के अध्यक्ष देवाशीष दास और सदस्य सचिव अरुण प्रसाद ने प्राधिकरण के तीसरे व वरिष्ठतम सदस्य डा. दीपक सिन्हा को बैठकों से बाहर कर दिया।

इसके अलावा जरूरी बैठकों को भी आयोजित नहीं किया जा रहा है। कुछ खदान संचालकों के लिए बैठकें करके मनमाने निर्णय लेने की भी शिकायतें हैं। इसके चलते प्रदेश की सैकड़ों बंद खदानें पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने के कारण अधर में अटकी हुई हैं।
 

इससे राज्य सरकार को राजस्व की हानि तो उठानी पड़ रही है, साथ ही खदानें बंद होने से इसका असर जनता की जेब पर पड़ रहा है। कम खदानें संचालित होने से समय पर अधोसंरचना विकास के लिए मिट्टी, ईंट, गिट्टी, रेत, मुरुम आदि की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

जानकारों के मुताबिक ये सामग्रियां कम होने के कारण इनके भाव भी सातवें आसमान पर हैं। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि प्रदेश में खनिज साधन विभाग स्वयं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास है और आवास एवं पर्यावरण विभाग पूर्व आइएएस व नवनियुक्त मंत्री ओपी चौधरी के पास है।

प्रदेश में इतनी खदानें इसलिए हो चुकी हैं बंद

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 2500 खदानें संचालित हैं जो कि प्रदेश की अधोसंरचना विकास के लिए मिट्टी, ईंट, गिट्टी, रेत, मुरुम आदि की आपूर्ति करती हैं। इनमें से लगभग 1800 खदानों को वर्ष 2016 से 2018 के मध्य जिला स्तरीय प्राधिकरण (डीईआइएए) द्वारा और शेष 700 खदानों को राज्य स्तर पर एसईआइएए द्वारा पर्यावरण स्वीकृति मिली है।

यहां बताना लाजिमी होगा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने छह नवंबर 2023 के आदेश में इनमें से डीईआइएए से स्वीकृत प्राप्त 1800 खदानों की पर्यावरण स्वीकृति को तकनीकी कारणों से निरस्त कर दिया है। एनजीटी के आदेश में यह प्रविधान किया गया है कि उपरोक्त खदानों को राज्य स्तर पर एसईआइएए प्राधिकरण में पुन: आवेदन करने का अधिकार है। यहां से पर्यावरण स्वीकृति मिलने की दशा में ही पुन: खदान चालू करने का अधिकार होगा।

बता दें कि बंद पड़ी 1800 खदानों में से लगभग 300 खदान संचालकों ने एसईआइएए के पास पुन: आवेदन कर रखा है और यहां अध्यक्ष और सदस्य सचिव की उदासीनता के कारण बैठकें नहीं हो पा रही हैं। मामले में हमने जब अध्यक्ष देवाशीष दास से उनका पक्ष जाना तो उन्होंने पूरा ठीकरा सदस्य सचिव अरुण प्रसाद पर फोड़ते हुए कहा कि मैं तो सेवानिवृत्त अधिकारी हूं। बैठकों का आयोजन करने की जिम्मेदारी सदस्य सचिव की होती है। वहीं सदस्य सचिव अरुण प्रसाद से उनका पक्ष जानने की कोशिश की मगर संपर्क नहीं हो पाया।

पीएम के प्रोजेक्ट में कर चुके हैं मनमानी

प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई शिकायत के मुताबिक एसईआइएए के अध्यक्ष देवाशीष दास पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट भारतमाला परियोजना में भी मनमानी करने के आरोप हैं। जिनके अनुसार वह एसईआइएए के सदस्यों के निर्णय में ही छेड़खानी करते हुए परियोजना से संबंधित 11 प्रकरणों को निरस्त करने की कोशिश कर चुके हैं।

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