CG Cabinet: साय मंत्रिमंडल से रमन कैबिनेट के कई दिग्गज बाहर, पहली बार के पांच विधायकों को मंत्री बनाकर सबको चौंकाया"/>

CG Cabinet: साय मंत्रिमंडल से रमन कैबिनेट के कई दिग्गज बाहर, पहली बार के पांच विधायकों को मंत्री बनाकर सबको चौंकाया

HIGHLIGHTS

  1. साय मंत्रिमंडल का स्वरूप रमन सिंह की सरकार से अलग
  2. पहली बार विधायक निर्वाचित होकर मंत्री बने ये पांच माननीय
  3. कई दिग्गज नेताओं को साय मंत्रिमंडल में नहीं मिली जगह

संदीप तिवारी/रायपुर। Chhattisgarh Cabinet Expansion: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार के नवगठित मंत्रिमंडल का स्वरूप पूर्ववर्ती डा. रमन सिंह की सरकार से अलग है। इस बार पार्टी ने नए-पुराने चेहरों का समावेश किया है। इसके चलते कई दिग्गज नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इनमें पूर्व मंत्री राजेश मूणत, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर शामिल हैं। इन नेताओं के अलावा प्रदेश के कई अन्य दिग्गज नेताओं को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा का भी अंत हो गया। प्रदेश की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत 13 सदस्य हो सकते हैं। इनमें अब तक 12 ने शपथ ले ली है। एक सीट लोकसभा चुनाव के बाद भरी जा सकती है।

दिलचस्प बात यह है कि रमन कैबिनेट के पूर्व मंत्रियों में केवल चार नेताओं को ही मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इनमें रामविचार नेताम, बृजमोहन अग्रवाल, दयालदास बघेल, केदार कश्यप शामिल हैं। मुख्यमंत्री साय समेत उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, लखनलाल देवांगन, श्याम बिहारी जायसवाल, ओपी चौधरी, लक्ष्मी राजवाड़े, टंकराम वर्मा छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रिमंडल के नए चेहरे हैं। इनमें अरुण साव, विजय शर्मा, ओपी चौधरी, लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा पहली बार विधायक निर्वाचित होकर मंत्री बने हैं।
 

मूणत का तगड़ा प्रबंधन फेल क्यों?

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार पूर्व मंत्री व रायपुर पश्चिम विधायक राजेश मूणत पार्टी के कद्दावर चेहरा होने के बाद भी मंत्रिमंडल से बाहर हैं। इसकी वजह पार्टी का पीढ़ी परिवर्तन फार्मूला प्रभावी होना बताया जा रहा है। मूणत रायपुर संभाग से हैं और यहां सामान्य वर्ग से बृजमोहन अग्रवाल, ओबीसी वर्ग से टंकराम वर्मा को मंत्री पद मिला है। मूणत की 2018 के चुनाव में हार को भी उनके बाहर होने की वजह माना जा रहा हैं। मूणत को राष्ट्रीय नेताओं की रैलियों व सभा के बेहतर प्रबंधन के लिए माना जाता है मगर यहां प्रबंधन फेल होता नजर आया।

राजनीतिक सफर: मूणत भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2003, 2008 और 2013 में विधायक बने। रमन सरकार में लगातार 15 साल मंत्री रहे।

नए चेहरे पर दांव से कमजोर हुए अमर अग्रवाल

बिलासपुर के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को मंत्री पद नहीं मिला। इसकी वजह भाजपा का नए चेहरों को प्रमोट करने का फार्मूला बताया जा रहा है। पार्टी ने संभागवार और जातिगत समीकरण को साधते हुए मंत्री पदों का बंटवारा किया है। बिलासपुर संभाग से उप मुख्यमंत्री अरुण साव, मंत्री ओपी चौधरी और मंत्री लखनलाल देवांगन ओबीसी वर्ग से हैं। इस सामाजिक समीकरण और नए चेहरों के बीच अमर कमजोर साबित हुए। हालांकि रमन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए अमर अग्रवाल को आंखफोड़वा कांड, गर्भाशय कांड से किरकिरी झेलनी पड़ी थी।

राजनीतिक सफर: अमर भाजपा के पितृ पुरुष कहलाने वाले दिवंगत नेता लखीराम अग्रवाल के बेटे हैं। वह 1998, 2003, 2008 और 2013 में विधायक चुने गए।

क्षेत्रवार समीकरण में उलझी रेणुका

सरगुजा संभाग से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत रामविचार नेताम आदिवासी वर्ग से हैं। वहीं ओबीसी वर्ग से लक्ष्मी राजवाड़े और श्याम बिहारी जायसवाल शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार संभाग में क्षेत्रीय संतुलन साधने के कारण रेणुका को मंत्री पद नहीं दिया जा सका है। जबकि पहले उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा रही और मंत्री तक नहीं बन पाईं। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद संगठन में भी बदलाव के संकेत हैं।

राजनीतिक सफर: रेणुका सिंह 2003 में पहली बार प्रेमनगर सीट से विधायक चुनी गई थीं। 2008 में दूसरी बार विधायक बनी और महिला बाल विकास मंत्री रहीं। रेणुका प्रदेश मंत्री महिला मोर्चा छत्तीसगढ़ भी रही हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सरगुजा से लोकसभा सदस्य चुनी गई हैं।

ओबीसी के फार्मूले में बाहर हुए तेजतर्रार चंद्राकर

साय मंत्रिमंडल में छह ओबीसी को जगह मिल चुकी है। ऐसे में ओबीसी के फार्मूले में तेजतर्रार नेता व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर फिट नहीं बैठ पाए। कद्दावर नेता होने के बाद भी उनके विधानसभा क्षेत्र से लगी दो सीटें सिहावा और धमतरी में भाजपा को हार मिली है। पार्टी सूत्र के अनुसार उन्हें लोकसभा चुनाव में लड़ाया जा सकता है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रखर वक्ता के रूप में चंद्राकर की अलग पहचान है। अनुमान है कि पार्टी उन्हें कोई बड़ा दायित्व दे सकती है।

राजनीतिक सफर: चंद्राकर 1998 और 2003 में जीते। 2008 में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2013, 2018 में जीते। 2003 और 2013 में रमन कैबिनेट में मंत्री रहे और अब 2023 में पांचवी बार चुनकर आए हैं।

कभी चुनाव नहीं हारे फिर भी मंत्री नहीं बने मोहले

अनुसूचित जाति वर्ग के पुन्नूलाल मोहले आज तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं। इसके बाद भी वह मंत्री नहीं बन पाए। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार उनकी उम्र 70 से पार हो चुकी है और ओबीसी पर अधिक फोकस होने की वजह से अनुसूचित जाति को प्रतिनिधित्व कम मिल पाया। इस बार चुनाव में भी अनुसूचित जाति की 10 सीटों में भाजपा को केवल चार सीटें मिल पाई हैं। इसलिए इस वर्ग से एक मंत्री दयालदास बघेल को बनाया गया है।

राजनीति सफर: मोहले तीन बार के मंत्री, चार बार लोकसभा सदस्य और सातवीं बार विधायक चुने गए हैं। 1985 में पहली बार विधायक बने। रमन सरकार में 2008 , 2013 में मंत्री रहे। इसके बाद 1990, 1994, 2008, 2013, 2018 और 2023 में विधायक चुने गए हैं।

ये विधायक भी मंत्री पद की दौड़ में रहे शामिल

राजेश मूणत, रेणुका सिंह, अमर अग्रवाल और अजय चंद्राकर के अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्रियों में पुन्नूलाल मोहले, विक्रम उसेंडी, लता उसेंडी और भैयालाल राजवाड़े भी मंत्री पद की रेस में थे। हाल में लोकसभा सदस्य से इस्तीफा दे चुकीं रेणुका सिंह और गोमती साय जैसे चेहरे भी मंत्री नहीं बनाए गए। भाजपा ने इस बार रमन कैबिनेट में अलग अलग समय पर मंत्रि पद संभाल चुके 16 नेताओं को मैदान में उतारा था, इनमें से 11 ही जीते।

विक्रम, लता, धरमलाल और गोमती भी नदारद

2018 में चुनाव में हार के बाद बस्तर संभाग के आदिवासी नेता व पूर्व मंत्री विक्रम उसेंडी निष्क्रिय रहे। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री साय स्वयं आदिवासी समाज से हैं, बाकी दो अन्य मंत्रियों में केदार कश्यप व रामविचार नेताम आदिवासी नेता हैं। ऐसे में आदिवासी समाज के विक्रम उसेंडी, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री लता उसेंडी को जगह नहीं मिल सकी। पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े, पूर्व विस अध्यक्ष धरमलाल, पूर्व लोकसभा सदस्य गोमती साय ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चा थी मगर वह शामिल नहीं हो पाए।

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