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Chhattisgarh News: हवाई किराये पर एमएसपी लाया जाए, कैट ने केंद्रीय विमानन मंत्री से की मांग, जानिए क्‍या है नियम

रायपुर। कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने हवाई किराये में एमएसपी लागू करने की मांग की है। कैट का कहना है कि विमानन कंपनियों द्वारा हवाई यात्रियों से काफी ज्यादा हवाई किराया वसूला जा रहा है। ऐसा लग रहा है कि जैसे एयरलाइंस कंपनियां कार्टेल मोड में काम कर रही हैं। इस संबंध में कैट ने केंद्रीय विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र भी लिखा है।

कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि एयरलाइंस द्वारा वसूले जाने वाले अतार्किक, अत्यधिक और अनिर्देशित हवाई किराया टैरिफ बड़े चिंता की बात है। उपभोक्ताओं को काफी परेशानी और आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि हवाई कंपनियों द्वारा की इस प्रकार से खुली लूट की जा रही है।
 

हवाई टिकट की कीमतें वसूलने के माडल की जांच करना आवश्यक

वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पारवानी ने कहा कि हवाई कंपनियों द्वारा हवाई टिकट की कीमतें वसूलने के माडल की जांच करना आवश्यक है। ये कंपनियां किसी भी हवाई यात्रा के लिए पहले एक कीमत तय करती हैं, लेकिन जैसे-जैसे हवाई यात्रा की मांग बढ़ती है, कीमतें बिना किसी तथ्य के कई गुना और मनमाने ढंग से बढ़ा दी जाती हैं। कई मौकों पर तो यह बढ़ोतरी पांच/छह गुना या उससे भी अधिक होती है।

कैट का कहना है कि किराये की निगरानी के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) जिम्मेदार है। यह उन एयरलाइनों को निर्देश जारी कर सकता है जो अत्यधिक या हिंसक कीमतें वसूलती हैं या अल्पाधिकारवादी प्रथाओं में संलग्न हैं। डीजीसीए के निरीक्षण के कारण, एयरलाइंस अधिक शुल्क लेती हैं, जिससे हवाई किराए में वृद्धि होती है।

यह है नियम

मालूम हो कि विमान नियम 1937 के नियम 135 में प्रावधान है कि “(1) नियम 134 के उप-नियम (1) और (2) के अनुसार परिचालन करने वाला प्रत्येक हवाई परिवहन उपक्रम, सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए टैरिफ स्थापित करेगा।“ जिसमें संचालन की लागत, सेवा की विशेषताएं, उचित लाभ और आम तौर पर प्रचलित टैरिफ शामिल हैं।

उपरोक्त नियम में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए डीजीसीए और हवाई अड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण को एयर टैरिफ से निपटने और परिचालन लागत, सेवाओं और अन्य संबद्ध कारकों के आधार पर उचित लाभ वसूलने के लिए एयरलाइंस को निर्देश जारी करने का अधिकार है।

हालांकि देखा गया है कि एयरलाइंस डीजीसीए या एईआरए की किसी भी निगरानी के अभाव में हवाई कंपनियां कोई भी कीमत वसूलने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसके कारण हवाई यात्रियों का मानसिक और आर्थिक उत्पीड़न होता है। विमान नियम, 1937 के तहत, एयरलाइनों को उचित लाभ और आम तौर पर प्रचलित टैरिफ को ध्यान में रखते हुए टैरिफ तय करना आवश्यक है।

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