गाय के चारे में ज्यादा प्रोटीन से गोबर से निकलती है पर्यावरण के लिए नुकसानदायक विषैली गैसें, रिसर्च में पता चली ये बात"/>

गाय के चारे में ज्यादा प्रोटीन से गोबर से निकलती है पर्यावरण के लिए नुकसानदायक विषैली गैसें, रिसर्च में पता चली ये बात

HIGHLIGHTS

  1. रायपुर के छात्र हर्ष साहू जर्मनी में कर रहे शोध।
  2. रिसर्च के साथ रिसर्च साइटिंस्ट के रूप कमा रहे 56 लाख रुपये।
  3. गाय की गोबर में पाए जाने वाले अपशिष्ट पदार्थों पर हर्ष साहू कर रहे हैं शोध।

रायपुर। गोबर से कार्बन डाइआक्साइड, मिथेन और नाइट्रस आक्साइड गैस निकलती हैं। ये पर्यावरण के लिए ज्यादा नुकसानदायक हैं। गाय को बड़ी मात्रा में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेटयुक्त खाना खिलाने से यह विषैली गैसें निकलती हैं। रायपुर के रहने वाले हर्ष साहू जर्मनी में गाय की गोबर में पाए जाने वाले अपशिष्ट पदार्थों पर शोध कर रहे हैं।

डेयरी कालेज में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने रायपुर पहुंचे हर्ष साहू ने बताया कि वे जर्मनी के वैज्ञानी प्रोफेसर डा. थामस आमुक के मार्गदर्शन में शोध कर रहे हैं। अब तक उन्होंने अपने रिसर्च में पाया है कि पशुओं को दिए जाने वाले चारे में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने से, बहुत सारी प्रोटीन अपच हो जाती है। इससे बनने वाली गैसें अपशिष्ट पदार्थ के रूप में गोबर के माध्यम से बाहर निकलती हैं।

काम के साथ कर रहे शोध

25 वर्षीय हर्ष साहू ने बताया कि डेयरी टेक्नोलाजी में मेरी रुचि थी। मैंने रायपुर के डेयरी कालेज में 2016 में दाखिला लिया। स्नातक के बाद 2019 में जर्मनी के एक विश्वविद्यालय से पीजी करने का मन बनाया। जर्मनी में पढ़ने का सपना सेकेंड ईयर से था। मैं उस समय एडवांस स्टडी के लिए काफी रिसर्च करता रहता था। जर्मनी के शोध कार्यों से मैं प्रभावित हुआ। उनके रिसर्च वर्क को पढ़कर मैं सोचता था मुझे कब वहां के बड़े वैज्ञानियों के साथ काम करने का मौका मिलेगा। इसके बाद मई 2019 में मैंने वहां दाखिला लिया। 2021 में स्नातकोत्तर पूरा करने के बाद से जर्मनी के ही एक संस्थान में रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में काम कर रहा हूं। वहां 56 लाख रुपये वार्षिक आय है। साथ ही बायो मेडिकल साइंस में पीएचडी भी कर रहा हूं।

लेटर आफ मोटिवेशन महत्वपूर्ण

हर्ष ने बताया कि मेरे पिता घनश्याम साहू बिजनेसमैन और माता गृहणी हैं। उन्होंने बताया कि जर्मनी या दूसरे यूरोपीय देशों में स्नातकोत्तर करना भारत में पीजी करने से आसान है। विदेश में पढ़ाई करने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम रहना जरूरी है। अंग्रेजी भाषा पर मजबूत पकड़, शोध की आधारभूत जानकारी, लैब से जुड़े सभी जानकारी होनी चाहिए। एब्रोड कंट्री लेटर आफ मोटिवेशन बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपका लेटर आफ मोटिवेशन नया और अलग होना चाहिए। सीनियर या इधर-उधर से कापी पेस्ट न हो।

भारत में 10 वर्ष बाद बन सकती है बड़ी समस्या

शोध कार्य पूरा होने पर मैं रायपुर आकर काम करूंगा। मेरे सारे रिसर्च इसी पर आधारित है कि इसका भारत में कैसे उपयोग किया जा सकता है। आज मैं जो रिसर्च कर रहा हूं गोबर से हानि के बारे में, हम इसके बारे में सोचते भी नहीं हैं। विदेश में इस पर शोध शुरू हो चुका है। आने वाले 10 वर्ष बाद यहां भी यह समस्या आएगी। तो मैं जब भारत वापस लौटूं तो मेरे पास समस्या का समाधान हो।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button