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छत्‍तीसगढ़ में निवेश को चाहिए बूस्टर डोज, उद्योगों के सामने जमीन का संकट, जानिए क्‍या है हकीकत

HIGHLIGHTS

  1. छत्‍तीसगढ़ के 14 जिलों में उद्योगों के निवेश को धरातल पर उतरने का इंतजार
  2. आवश्‍यकता अनुरूप सुविधाएं नहीं मिलने से निवेशकों ने नहीं दिखाई रूचि
  3. छत्‍तीसगढ में राज्‍य सरकार ने 94,810 करोड़ के निवेश का किया दावा

अजय रघुवंशी/रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूंजीगत निवेश को बूस्टर डोज की जरूरत है। राज्य गठन के 23 साल में भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों ने हजारों करोड़ रुपये निवेश का दावा किया, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को वह सुविधाएं नहीं मिल पा रही है, जिसकी दरकार है।

प्रदेश के औद्योगिक व व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा निवेश का फायदा छत्तीगढ के आर्थिक विकास के साथ स्थानीय बाजार पर भी पड़ेगा। कंपनियों के आने से रोजगार में वृद्धि होगी। इससे नवाचार बढ़ेगा। वर्तमान में जो एमओयू हुए हैं, उनको जमीन,पर्यावरण अनुमति, सब्सिडी की सबसे बड़ी समस्या आ रही है।

निवेश को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने नई औद्योगिक नीति बनाई है, लेकिन नीतियों का क्रियान्वयन बेहतर ढंग से नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में सिंगल विंडो कारगर साबित नहीं हो रहा है। नान कोर सेक्टर के लिए पालिसी बनाई गई, लेकिन एक भी बड़ी कंपनियों ने यहां उत्पादन शुरू नहीं किया है। प्रदेश में ई-व्हीकल पालिसी के अंतर्गत निवेश को और ज्यादा कारगर करने की आवश्यकता है। राज्य सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान में 192 एमओयू प्रभावी हैं, जिसमें 94,810 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। इस निवेश से प्रदेश में 1.15 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।

जनसुनवाई अटकी, प्रकरण जिला मुख्यालयों में लंबित

औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों के मुताबिक उद्योग को जमीन उपलब्धता में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलाासपुर, रायगढ़, कोरबा, महासमुंद, बस्तर, सरगुजा आदि जिलों में जमीन अधिग्रहण में जनसुनवाई की फाइलें उद्योग विभाग से लेकर जिला मुख्यालयों में लंबित है। ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध की वजह से भी सरकारी जमीन का अधिग्रहण अटका है। 70 प्रतिशत सेे अधिक एमओयू में उत्पादन शुरू नहीं होने की एक बड़ी वजह यह भी हैं।

औद्योगिक नीति के कई नोटिफिकेशन अटके

औद्योगिक नीति 2019-2024 मेें वर्तमान उद्याोग के विस्तार में स्टाम्प ड्यूटी में छूट देने का निर्णय लिया गया था,लेकिन यह नोटिफिकेशन अटका हुआ है। नोटिफिकेन नहीं होने की वजह से उद्योग समूहों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

निवेश के क्या है नियम

1. 10 करोड़ के अधिक निवेश करने वाली इकाइयों के साथ राज्य शासन द्वारा एमओयू निष्पादित किया जाता है।

2. राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड ने वर्तमान में एकल खिड़की प्रणाली के तहत कामन एप्लीकेशन फार्म की शुरूआत की है।

3.100 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाले नान कोर सेक्टर के मेगा प्रोजेक्ट को मंत्री परिषद में बी-स्पोक पालिसी के अंतर्गत निर्णय लिया जाएगा।

4. 25 एकड़ भूमि में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने पर अधोसंरचना लागत का अधिकतम 30 प्रतिशत, अधिकतम पांच करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। साथ ही भूमि के पंजीयन व डायवर्जन शुल्क में पूर्णत: छूुट प्रदान की जाएगी।

5. सरगुजा व बस्तर क्षेत्र में औद्योगिक निवेश के लिए 1,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन।

6.स्टील उद्योगों को विद्युत शुल्क में छूट।

7.एथेनाल प्लांट की स्थापना के लिए विशेष प्रोत्साहन।

8. मेगा निवेश के लिए अधिकतम 500 करोड़ रुपये तक की प्रोत्साहन राशि।

निवेश के सामने यह बड़ी समस्या

1. जमीन अधिग्रहण

2. सिंगल विंडो का कारगर होना।

3. छूट,बिजली, सब्सिडी, कर में रियायत का अनुपालन।

4. बी-स्पोक पालिसी का प्रभावी क्रियान्वयन।

30 हजार करोड़ रुपये के लिए जमीन की चुनौती

जानकारी के मुताबिक प्रदेश में 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश को जमीन नहीं मिल पाई है। लगभग 150 एमओयू में औद्योगिक घरानों को बताएं गए क्षेत्र में जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो पाई है। स्टील, सोलर पावर प्लांट, इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट केे लिए लगभग 50 से लेकर 400 एकड़ जमीन की आवश्यकता है।

इन जिलों के लिए हुआ है निवेश

इन जिलों के लिए निवेश रायपुर, दुर्ग, रायगढ़, बस्तर, बेमेतरा, तिल्दा, बलौदाबाजार, महासमुंद, मुंगेली, कोंडागांव,बिलासपुर, कांकेर, अभनपुर,जशपुर आदि।

इन कंपनियों के लिए हुआ है निवेश

एकीकृत इस्पात संयंत्र, केप्टिव पावर प्लांट, पावर प्लांट, स्टील मेल्टिंग शाप, रोलिंग मिल, स्पंज आयरन, फेरो एलायज, आयरन ओर पैलेट, कोबाल्ट मेटल, पैलेट प्लांट, इंडक्शन फर्नेस, एब्सलूट एल्कोहल, फार्मास्युटिकल्स उत्पाद, डीआरआई प्लांट, एथेनाल, बुलेट प्रुफ, रेडी टू फूड फ्रोजन फूड एंड स्नेक्स,इंटीग्रेटेट फूड चेन प्रोजेक्ट, फैब्रीकेटेड मेटल प्रोडक्ट, फूड प्रोसेसिंग प्लांट आदि।

नई औद्याोगिक नीति से उम्मीद

औद्योगिक नीति- 2019-2024 में उल्लेखित प्रावधानों से निवेश का अपेक्षानुरूप सफलता नहीं मिली। अगले वर्ष 31 अक्टूबर 2024 को औद्योगिक नीति में दी गई सुविधाओं की मियाद भी खत्म हो जाएगी। ऐसे में नई औद्योगिक नीति से उद्योग जगत को बड़ी उम्मीदें हैं। इसके साथ ही इनवेस्टर्स मीट में भी निवेश के लिए रणनीति बनानी होगी।

छत्तीसगढ़ उद्योग विभाग के सचिव भुवनेश यादव ने कहा, जमीन अधिग्रहण के लिए जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया है। काफी उद्योगों को जमीन आवंटित की जा चुकी है। जो लंबित प्रकरण हैं, उसकी जांच करके शीघ्र निराकरण किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ रोलिंग मिल एसोसिएशन के चेयरमेन मनोज अग्रवाल ने कहा, उद्योगों को जमीन आवंटन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिन जिलों के लिए एमओयू हुए हैं,वहां उद्योगों के लिए अधिग्रहण में देरी की वजह से उद्योगों में सही समय पर उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है। औद्योगिक नीति 2019-2024 में काफी अच्छे प्रावधान राज्य सरकार ने किए हैं, लेकिन कई नोटिफिकेशन नहीं होने की वजह से औद्योगिक समूहों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने कहा, जमीन, पर्यावरण, कानूनी अड़चनों की वजह से उद्योग लगने में लेटलतीफी हो रही है। जमीन के आवंटन को लेकर जनसुनवाई महीनों से नहीं हो पा रही है। हमारी मांग है कि उद्योगों के लिए सभी काम के लिए जिम्मेदारी तय की जाए। लेटलतीफी की वजह से उद्योगों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन गर्ग ने कहा, कोर सेक्टर के साथ-साथ अब सरकार को नान कोर सेक्टर व सर्विस सेक्टर के लिए सुविधाएं देनी चाहिए। अन्य राज्यों में सोलर व पावर इंडस्ट्रीज तेजी से आगे बढ़ रही है। विभागों में समय-सीमा के भीतर काम को कड़ाई से पालन सुनिश्चित करवाना होगा।

फैक्ट फाइल

500 करोड़ से अधिक एमओयू करने वाली प्रमुख 10 औद्योगिक घराने

क्रमांक-कंपनी- निवेश- प्रस्तावित स्थल

1. एसकेएस इस्पात-990 करोड़-बस्तर

2. सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स-710 करोड़- बस्तर

3. गौस इस्पात- 850 करोड़- बस्तर

4. निसर्ग इस्पात प्रालि.- 920 करोड़-बस्तर

5. करणीकृपा पावर प्रालि.- 804 करोड़- तिल्दा, बस्तर, बेमेतरा, महासमुंद, कोंडागांव

6.मां दंतेश्वरी इंडस्ट्रीज प्रालि.- 855 करोड़- छत्तीसगढ़ राज्य

7. श्री सीमेंट लिमिटेड-2,000 करोड़-भाटापारा

8. मां कुदरगढ़ी एल्युमिना रिफायनरी- 1,146 करोड़- सरगुजा

9.श्री बजरंग स्टील कार्पोरेट लिमिटेड-1,400 करोड़-तिल्दा, रायपुर

10. नूतन इस्पात एंड पॉवर-980 करोड़-बस्तर

फैक्ट फाइल

वर्ष- एमओयू से उद्योगों में प्रस्तावित रोजगार-रोजगार की वर्तमान स्थिति

2019-20- 3,375- 315

2020-21-69,251-3,488

2021-22-34,989-3,197

2022-23-7,690-35

2023-24-601- 150

कुल- 1,15,906-7,185

(नोट-उद्योग विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक आंकड़ें जून-2023 तक)

फैक्ट फाइल

पांच वर्षों में औद्योगिक विकास में राज्य सरकार का यह है दावा

नई औद्योगिक इकाइयां-3,007

कुल निवेश-37,031

कुल रोजगार-52,735

प्रभावी एमओयू-192

प्रस्तावित निवेश-94,810

रोजगार सृजन-1,15,406

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