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Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया, बंद रहेंगे मंदिरों के पट, नहीं बंटेगी खीर

HIGHLIGHTS

  1. रायपुर के देवी मंदिर में बिखरती है शरद पूर्णिमा के चंद्रमा की छटा
  2. चंद्रग्रहण होने से देवी मंदिर में शाम को नहीं होगा खीर का वितरण

रायपुर। Sharad Purnima 2023: शरद पूर्णिमा की रात, पूर्ण चंद्रमा से निकलने वाली किरणों को अमृत तुल्य माने जाने की परंपरा चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से बरसने वाले अमृत का पान करने से विविध रोगों से छुटकारा मिलता है। शरीर स्वस्थ रहता है और ताजगी का अहसास होता है। चंद्रमा की अमृत रूपी किरणों को ग्रहण करने के लिए लोग लालायित रहते हैं। इसके लिए छत, आंगन में खीर का कटोरा रखते हैं, ताकि चंद्रमा की किरणें उस खीर में समाहित हो जाएं। खीर का भोग माता लक्ष्मी और अन्य देवों को अर्पित करके उस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। खीर का सेवन करने की इस परंपरा का पालन स्थानीय मंदिरों में सालों से किया जा रहा है, लेकिन इस बार चंद्रग्रहण होने से मंदिरों में शाम को खीर का वितरण नहीं होगा। इस विषय में रोचक जानकारी दे रहे हैं

छत्‍तीसगढ़ के रायपुर के पुरानी बस्ती के ऐतिहासिक महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला बताते हैं कि पुराणों में उल्लेखित है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में माता लक्ष्मी पृथ्वी लोक का भ्रमण करने निकलती हैं। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु अपने घर पर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। माता लक्ष्मी को दूध से बने व्यंजन पसंद हैं, इसलिए दूध-चावल की खीर बनाकर उसमें सूखा मेवा मिलाकर भोग अर्पित करते हैं।

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माता लक्ष्मी को अर्पित खीर को चंद्रमा की रोशन में रखकर आधी रात बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है। 16 कलाओं से युक्त चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने से खीर में औषधीय तत्वों का समावेश हो जाता है। यह खीर आरोग्यवर्धक मानी जाती है। मंदिर में खीर बनाकर महामाया देवी और समलेश्वरी देवी को भोग लगाया जाता है। प्रांगण में खीर को झीने कपड़े से ढंककर रखा जाता है। रात्रि 12 बजे के पश्चात श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करने आते हैं, लेकिन इस बार चंद्रग्रहण होने से यहां शाम को खीर का वितरण नहीं होगा।

 

गायत्री शक्तिपीठ में औषधि वितरण

समता कालोनी स्थित गायत्री शक्तिपीठ के अध्यक्ष श्याम बैस बताते हैं कि गायत्री शक्तिपीठ के संस्थापक ब्रह्मलीन आचार्य श्रीराम शर्मा ने छोटी-छोटी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का महत्व बताया है। उनसे प्रेरणा लेकर श्वांस, दमा, कब्ज, बवासीर, पेट संबंधी रोगों की औषधि वितरित की जाती है। उक्त औषधि को शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की रोशनी में रखे गए खीर के साथ मिलाकर ग्रहण करने से विशेष लाभ होता है। इन मंदिरों के अलावा खाटू श्याम मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर में भी भजन-कीर्तन के पश्चात खीर का प्रसाद वितरित करने की परंपरा निभाई जा रही है।

चंद्रग्रहण का साया, रात दो बजे के बाद बांटेंगे खीर

शरद पूर्णिमा पर इस बार चंद्रग्रहण के साथ पांच योग का संयोग बन रहा है। शरद पूर्णिमा पर सौभाग्य योग, सिद्धि योग, बुधादित्य योग, गजकेसरी योग और शश योग का निर्माण हो रहा है। यह पांचों योग शुभ फलदायी है। चूंकि रात्रि 2.24 बजे तक चंद्रग्रहण रहेगा, इसलिए इस साल रात्रि ढाई बजे के पश्चात ही खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा।

भगवान श्रीकृष्ण ने रचाई थी महारासलीला

कथावाचक आचार्य नंदकुमार चौबे शरद पूर्णिमा का महत्व बताते हुए कहते हैं कि श्रीमद्भागवत कथा प्रसंग में उल्लेखित है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों का अहंकार तोड़ने के लिए शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में महारासलीला रचाई थी। प्रत्येक गोपियों के साथ नृत्य किया। जब गोपियों को यह अहंकार हो गया कि श्रीकृष्ण केवल उनके साथ ही नृत्य कर रहे हैं, तब श्रीकृष्ण अंतर्ध्यान हो गए थे।

अंबा देवी मंदिर में बंटती है 101 लीटर खीर

राजधानी के सत्ती बाजार स्थित अंबा देवी मंदिर परिसर में नवजागृति संगठन के नेतृत्व में शरद पूर्णिमा पर विशेष खीर बनाई जाती है। संगठन के वरिष्ठ सदस्य लक्की शर्मा बताते हैं कि खीर बनाकर पहले मां अंबे और राम सा पीर को भोग लगाया जाता है। उसके बाद मंदिर प्रांगण में चंद्रमा की किरणों तले दो घंटे के लिए रखा जाता है। खीर में काजू, किशमिश, बादाम, चिरौंजी युक्त खीर का प्रसाद लेने रात्रि दो बजे तक श्रद्धालु पहुंचते हैं। खीर का प्रसाद ग्रहण कर श्रद्धालु अपने साथ घर ले जाते हैं। घर के बुजुर्ग जिन्हें श्वांस, दमा और पेट संबंधी रोग हों उन्हें खीर का सेवन कराया जाता है, लेकिन इस बार चंद्रग्रहण होने से यहां शाम को खीर का वितरण नहीं होगा।

महाराष्ट्र मंडल में मराठी सोहला

चौबे कालोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल में शरद पूर्णिमा की रात मराठी सोहला का आयोजन होता है। महिलाओं के लिए क्विज प्रतियोगिता, व्यंजन बनाओ, परिधान प्रतियोगिता के साथ ही नृत्य, गीत, लघु नाटक में महिलाएं अपनी प्रतिभा दिखाती हैं।। चंद्रमा की रोशनी में सुई-धागा पिरोने का अभ्यास भी कराया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी में सुई-धागा पिरोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

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